लखनऊ : यूपी में हादसों के दिन अफसर वीआईपी ट्रीटमेंट में व्यस्त रहते हैं. यह इतिहास पुराना है. कानपुर में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान महिला और उसकी बेटी की मौत के बाद डीएम कैलाश खेर के कार्यक्रम में नृत्य में व्यस्त थी. इसी तरह से मथुरा के लिए बांके बिहारी मंदिर में जब भगदड़ हुई तो उस दिन वहां के कप्तान और डीएम वीआईपी ट्रीटमेंट ले रहे थे. कोरोना के दौरान लखनऊ के जिलाधिकारी रहे अभिषेक प्रकाश की जगह शासन को रोशन जैकब को जिम्मेदारी देनी पड़ी थी. ऐसे ही कई अन्य मामलों में अफसरों की लापरवाही सामने आई है.
कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन का घटना से पहले का एक वीडियो वायरल हुआ. जिसमें वे कैलाश खेर के मंच पर नृत्य करती हुईं नजर आ रही हैं. इसी मंच पर कुछ अन्य अधिकारी भी गाते और नृत्य करते हुए दिखाई दिए. इस घटना के बाद अधिकारियों के व्यवहार की जमकर आलोचना हो रही है. कहा जा रहा है कि वारदात के दौरान अधिकारियों का रवैया उचित नहीं था. इससे पहले बांके बिहारी मंदिर में एक भगदड़ हुई थी. इस भगदड़ के दौरान मथुरा के जिला अधिकारी और एसएसपी वीआईपी दीर्घा में अपने परिवार के साथ आराम से खड़े हुए थे. इस वीडियो के बारे होने के बाद भी काफी आलोचना ब्यूरोक्रेसी की हुई थी.
लखनऊ में जब कोरोना वायरस था उस दौरान तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश के रवैये से लखनऊ के लोग बहुत अधिक नाराज थे. इसी वजह से शासन को रोशन जैकब को जिलाधिकारी के काम की जिम्मेदारी देनी पड़ी थी. इसके बाद कोरोना की स्थिति नहीं सुधर सकी थी. ऐसे ही कई मामलों में उत्तर प्रदेश में ब्यूरोक्रेसी की लापरवाही सामने आती रही है. कई विधायक नेता और सांसद ब्यूरोक्रेसी की तानाशाही की शिकायत करते रहे हैं. इसके बावजूद बाल भी बांका नहीं हो रहा है. जिसको लेकर जबरदस्त नाराजगी व्याप्त है. इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विजय उपाध्याय ने बताया कि निश्चित तौर पर ब्यूरोक्रेसी का व्यवहार उत्तर प्रदेश में बदला हुआ नजर आ रहा है. जिसमें लापरवाही और अंधेर साफ दिखाई दे रही है. इसकी वजह से बड़ी घटनाओं को यह संभाल नहीं पा रहे हैं. इस पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. वरना बड़ी घटनाओं में सरकार की किरकिरी होती रहेगी.
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