लखनऊ: प्रदेश भर के निजी आयुष मेडिकल कॉलेजों में आने वाले दिनों में जल्द ही छात्रों को फीस बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है. इसके लिए आयुष विभाग ने फीस तय न होने का कारण बताया है, लेकिन इस पूरे कारण की वजह से जल्द ही आयुर्वेदिक कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों को फीस बढ़ोतरी का सामना करना पड़ेगा.
अभिभावकों पर बढ़ेगा पढ़ाई का खर्च
- प्रदेश भर के निजी आयुष मेडिकल कॉलेजों की फीस का निर्धारण इस बार होने जा रहा है.
- करीब 3 साल बाद एक बार फिर से फीस संशोधन के लिए निदेशालय से शासन स्तर तक गहमागहमी तेज हो गई है.
- संशोधन के लिए हर कॉलेज से उसकी बैलेंस शीट मंगाई गई है.
- माना जा रहा है कि इस बार आयुष में दाखिला लेने वालों की फीस बढ़ाई जा सकती है.
- फीस बढ़ती है तो छात्रों के अभिभावकों पर पढ़ाई के खर्च का बोझ बढ़ जाएगा. प्रदेश में आयुर्वेदिक कॉलेज संचालित हो रहे हैं.
क्लीनिकल, नॉन-क्लीनिकल की फीस होगी तय
- वर्ष 2016 से आयुर्वेदिक कॉलेजों में बीएएमससी की फीस को हर साल 2 लाख 4 हजार 600 रूपये शुल्क देना पड़ता है.
- एमडी क्लीनिकल के लिए 5 लाख 13 हजार रूपये और नॉन क्लीनिकल के लिए 3 लाख 10 हजार रूपये शुल्क तय है.
फीस बढ़ोतरी को लेकर शासन से कहा गया है कि हर कॉलेज में अपनी बैलेंस शीट मार्च तक आयुर्वेदिक निदेशालय के निदेशक पाठ्यक्रम एवं मूल्यांकन को भेज दे. शासन की ओर से नियुक्त चार्टर्ड अकाउंटेंट को भी इससे संबंधित जानकारी भेजनी है. कॉलेज को दो सेट में बैलेंस शीट बनानी है. कई कॉलेज से हर साल की तरह ही बैलेंस शीट भेजे जा रहे हैं.
कॉलेजों की यह समस्या होगी दूर
आयुर्वेदिक कॉलेजों के प्रबंधकों का कहना है कि डेंटल और एमबीबीएस कॉलेजों में बहुत अधिक फीस है. वर्ष 2017 में प्रबंधन कोटा भी हो चुका है. आयुष के यूजी व पीजी की सीट पर दाखिले के लिए कुछ कॉलेजों की फीस में करीब 90 हजार रूपये तक का अंतर है. सभी कॉलेजों में 15 से 20 हजार रूपये की फीस में विभिन्नता होनी चाहिए. नीट काउंसलिंग में 25 वर्ष के की बाध्यता एक समस्या है. आयुष नीट की अलग से व्यवस्था होनी चाहिए. अब इस पूरी व्यवस्था को बदलने के बाद कॉलेजों की यह तमाम दिक्कतें जल्द ही दूर हो सकती हैं.