लखनऊ : आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद व उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए बड़ा हमला बोला है. आप नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि 'उन्होंने अपने गृह प्रदेश गुजरात को लूटने के लिए अपने दोस्त अडानी को खुली छूट दे रखी है. उन्होंने कहा कि 2007 में जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उस वक्त उन्होंने अडानी के साथ एक समझौता किया था, जिसमें अडानी की कंपनी 2.25 पैसे प्रति यूनिट के रेट पर 25 साल तक बिजली देगी, लेकिन जब 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने 2018 में कोयला महंगा होने की दलील देकर बिजली की दरों में बड़ी बढ़ोतरी कर दी. जिस पर गुजरात सरकार ने कुछ शर्तों के साथ मुहर लगा दी.' इस मामले में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भारत सरकार से तीन सवाल भी पूछे हैं.
उत्तर प्रदेश के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि 'इस मामले में प्रदेश सरकार को गुमराह किया गया, क्योंकि आर्गस ग्लोबल कंपनी खुद यह मानती है कि अडानी को विदेश से कोयला खरीदने की क्या जरूरत थी. जब देश में ही कोयले के उत्पादन सरप्लस मात्रा में है. सरकार की आंकड़ों की मानें तो पिछले साल ही 30% कोयले का उत्पादन भारत देश में ही बढ़ा है. भारत अपने यहां के कोयले को हर राज्य सरकार को भेजती है. उन्होंने कहा कि गुजरात सरकार की ओर से भारत सरकार को एक चिट्ठी भी लिखी गई. जिसके मुताबिक 2018 से 2023 तक दुनिया के अन्य देशों द्वारा तय दाम पर पेमेंट होता रहे. कंपनी जो रेट बताती रही गुजरात सरकार उसका भुगतान करती रही. इसके तहत 13802 करोड़ रुपए गुजरात के लोगों की जेब से निकालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर अडानी के जेब में डाला गया.'
उन्होंने कहा कि 'हिडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद जिस तरह से अडानी के नेट कैपिटल में गिरावट दर्ज की गई. यह मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो गुजरात सरकार घबरा गई और 15 में 2023 को एक चिट्ठी लिखकर उसने कहा कि अडानी की कंपनी ने कोयला खरीदने इसका कोई प्रमाण नहीं दिया. चिट्ठी में कहा गया कि जिस वक्त इंडोनेशिया में कोयले का रेट ज्यादा बताया गया, उस वक्त वहां पर कोयले का रेट सस्ता था. भ्रष्टाचार और झूठ बोलकर पेमेंट करवाया गया, इसलिए कंपनी 3802 करोड़ रुपये वापस गुजरात सरकार को करे. आप नेता ने मांग की है कि इस मामले में गुजरात सरकार के तमाम अधिकारियों और मित्रों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, जिन्होंने 2018 से लेकर 2023 तक फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर कर भुगतान कराया.
आप ने किए तीन सवाल?
पहला सवाल : जब 2007 में 25 वर्षों के लिए ₹2.25 पैसे प्रति यूनिट बिजली देने का एग्रीमेंट साइन हुआ था तो 2018 में किसके दबाव में वह एग्रीमेंट परिवर्तित हुआ?
दूसरा सवाल : जब पांच वर्षों तक अडानी अपना बिल लगा रहे थे, कोयले के बढ़े हुए दाम दिखाते थे, तो गुजरात सरकार के अधिकारियों ने जांच क्यों नहीं की? अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले का क्या दाम है यह पता क्यों नहीं किया?
तीसरा सवाल : अब तक सरकार चुप्पी क्यों साधे हुई थी? ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसे मसलों पर आंख पर पट्टी बांधकर धृतराष्ट्र क्यों बनी हुई थी? इसका जवाब सरकार को देना चाहिए.