लखनऊ: उत्तर प्रदेश में चुनाव टिकट बांटने के लिए पार्टियां हमेशा विवादों में रही हैं. बीते दिनों एक बड़े राजनीतिक दल के टिकट के लिए आवेदन शुल्क लिया गया. इसकी खूब चर्चा हुई. कई राजनीतिक दलों पर तो लाखों रुपए लेकर टिकट बेचने तक के आरोप भी लगते रहे हैं. इन सबके बीच आम आदमी पार्टी दावा कर रही है कि उनके यहां प्रत्याशी की दबंगई या बैंक बैलेंस देखकर नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर टिकट दिए जा रहे हैं. जिस तरह कॉर्पोरेट कंपनी में नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थी आवेदन करता है, वैसे ही यहां भी उम्मीदवार की सीवी देखकर टिकट दिए जाते हैं.
आम आदमी पार्टी की तरफ से अभी तक दो चरणों में पार्टी की तरफ से 170 विधानसभा प्रभारियों के नामों की घोषणा कर दी गई है. खास बात यह है कि इस सूची में वरिष्ठ पत्रकार, डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर समाज के हर वर्ग से लोग जुड़े हैं, इसमें भी युवाओं की संख्या ज्यादा है. वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप यादव कहते हैं कि अभी तक यूपी के राजनीतिक दल जातिवाद, क्षेत्रवाद या फिर बैंक बैलेंस के आधार पर टिकट बांटते रहे हैं. आम आदमी पार्टी में व्यक्ति की योग्यता को महत्व दिया गया जिसका नतीजा है कि हमारे जैसे युवाओं को यहां आगे आने का मौका मिला है.
यह प्रक्रिया अपनाई जा रही है
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह बताते हैं कि उनके यहां किसी भी उम्मीदवार या विधानसभा प्रभारी के चयन को लेकर ट्रिपल सी का फार्मूला अपनाते हैं. पहला उसके खिलाफ कोई आपराधिक मुकदमा न हो, दूसरा उसका चरित्र अच्छा हो, उसके खिलाफ करप्शन का कोई मामला न हो. प्राप्त आवेदन के हिसाब से बकायदा साक्षात्कार होता है, तब जाकर किसी विधानसभा प्रभारी या उम्मीदवार का चयन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि अभी तक 170 लोगों की सूची जारी की गई है लेकिन, अगर इनमें से किसी पर भी किसी तरह के करप्शन या आपराधिक मामला होने की बात सामने आती है तो उसमें भी बदलाव किया जाएगा.