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लॉकअप में दिव्यांग की मौत: राजधानी पुलिस ने मामले में किया नया खुलासा

राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को लॉकअप में बंद दिव्यांग की मौत में पुलिस ने नया खुलासा किया है. पुलिस का कहना है कि दिव्यांग पर लगा चोरी का आरोप गलत है. इस बारे में अभी जांच पड़ताल जारी है. मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है.

लॉकअप में दिव्यांग की मौत
लॉकअप में दिव्यांग की मौत
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Published : Jul 8, 2020, 10:33 AM IST

लखनऊः राजधानी के गोमतीनगर थाने के लॉकअप में बंद उमेश गौतम की शुक्रवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. हत्या के मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. पुलिस ने बताया कि रिटायर्ड डीआईजी के निर्माणाधीन मकान में चोरी की बात बेबुनियाद लगती है. इस मकान में न तो होल्डर है और न टोटी है. ऐसे में उमेश वहां किस उद्देश्य से चोरी करने गया होगा.

दिव्यांग उमेश के भाई रामलाल और भाभी रीता ने कहा कि उमेश चोरी नहीं करता था. वह दिन भर ई-रिक्शा चलाकर अपना पेट पालता था. ई-रिक्शा की बैटरी चोरी न हो जाए, इसीलिए वह ई-रिक्शा में ही सो जाता था. गुरुवार रात भी उमेश अपने ई-रिक्शा में सोया था. रात के समय कोई बदमाश ई-रिक्शा की बैटरी लेकर भागा तो उमेश की आंख खुल गई और वह बदमाश के पीछे भागा. बदमाश का पीछा करते हुए उमेश निर्माणाधीन मकान में घुस गया.

डीआईजी के नौकर ने की थी मारपीट
वहां डीआईजी के नौकर राजकुमार ने अपने दोनों भाई अमित और मोहित के साथ मिलकर उमेश को बंधक बना लिया और बहुत पीटा. सुबह करीब 5 बजे राजकुमार ने उमेश को पुलिस के हवाले कर दिया. वहां शुक्रवार को लॉकअप में बंद उमेश की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पुलिस अभी भी इस मौत की गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रही है.

चोरी का आरोप साबित नहीं
बुधवार को पुलिस ने बताया कि जांच में उमेश पर चोरी का कोई भी आरोप साबित नहीं हो रहा है. उमेश और राजकुमार के बीच किसी प्रकार के विवाद का भी पता नहीं चला है, इसीलिए पुलिस उमेश के भाई की बात को सच मानते हुए पड़ताल कर रही है. राजकुमार की गिरफ्तारी के बाद केस में एससी-एसटी एक्ट की धारा जुड़ने से इस केस की विवेचना एसीपी कैंट डॉ. बीनू सिंह को ट्रांसफर कर दी गई है. हालांकि अभी तक उमेश के मौत का सच पता नहीं चल सका है.

लखनऊः राजधानी के गोमतीनगर थाने के लॉकअप में बंद उमेश गौतम की शुक्रवार को संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. हत्या के मामले में पुलिस की जांच में कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. पुलिस ने बताया कि रिटायर्ड डीआईजी के निर्माणाधीन मकान में चोरी की बात बेबुनियाद लगती है. इस मकान में न तो होल्डर है और न टोटी है. ऐसे में उमेश वहां किस उद्देश्य से चोरी करने गया होगा.

दिव्यांग उमेश के भाई रामलाल और भाभी रीता ने कहा कि उमेश चोरी नहीं करता था. वह दिन भर ई-रिक्शा चलाकर अपना पेट पालता था. ई-रिक्शा की बैटरी चोरी न हो जाए, इसीलिए वह ई-रिक्शा में ही सो जाता था. गुरुवार रात भी उमेश अपने ई-रिक्शा में सोया था. रात के समय कोई बदमाश ई-रिक्शा की बैटरी लेकर भागा तो उमेश की आंख खुल गई और वह बदमाश के पीछे भागा. बदमाश का पीछा करते हुए उमेश निर्माणाधीन मकान में घुस गया.

डीआईजी के नौकर ने की थी मारपीट
वहां डीआईजी के नौकर राजकुमार ने अपने दोनों भाई अमित और मोहित के साथ मिलकर उमेश को बंधक बना लिया और बहुत पीटा. सुबह करीब 5 बजे राजकुमार ने उमेश को पुलिस के हवाले कर दिया. वहां शुक्रवार को लॉकअप में बंद उमेश की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. पुलिस अभी भी इस मौत की गुत्थी को सुलझाने का प्रयास कर रही है.

चोरी का आरोप साबित नहीं
बुधवार को पुलिस ने बताया कि जांच में उमेश पर चोरी का कोई भी आरोप साबित नहीं हो रहा है. उमेश और राजकुमार के बीच किसी प्रकार के विवाद का भी पता नहीं चला है, इसीलिए पुलिस उमेश के भाई की बात को सच मानते हुए पड़ताल कर रही है. राजकुमार की गिरफ्तारी के बाद केस में एससी-एसटी एक्ट की धारा जुड़ने से इस केस की विवेचना एसीपी कैंट डॉ. बीनू सिंह को ट्रांसफर कर दी गई है. हालांकि अभी तक उमेश के मौत का सच पता नहीं चल सका है.

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