ETV Bharat / state

वेलेंटाइन डे स्पेशलः आप का खत नहीं मिला मुझ को, दौलत-ए-दो-जहां मिली मुझ को - valentine day special

भले ही टेक्नोलॉजी कितना भी विकसित हो गई हो मोबाइल इंटरनेट स्मार्टफोन का दौर चल रहा हो पर हमें कभी-कभार अपनों को एक सुंदर सा खत लिख देना चाहिए जिससे उन्हें खोल कर यादों के समंदर में डूब कर जीवन के पलों को दोबारा जी सके.

प्रेमी जोड़े जिन्होंने जीवन के हसीन पलों की यादों को खत में संजोया
author img

By

Published : Feb 14, 2019, 1:46 PM IST

लखनऊ : मिर्जा गालिब ने क्या खूब कहा है कि कासिद के आते आते खत इक और लिख रखूँ , मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में. आज आपको ऐसे ही प्रेमी जोड़े से मिलवाएंगे जिनकी शादी 47 साल पहले हुई थी वह भी अरेंज मैरिज जिसके बाद उन दोनों में प्यार की कड़ी बना "खत".

रविशंकर शुक्ला और सुमन शुक्ला अपने वैवाहिक जीवन को बड़े सादगी से जीते आ रहे हैं. जिनके जीवन में खतों की अहम भूमिका रही है. शादी के बाद खतों का सिलसिला एक बार जो शुरू हुआ 15 सालों तक लगातार चलता ही रहा और आज भी वह खत जीवन के हसीन पलों की यादों को समेटे हुए संजोकर रखे गए हैं.


प्रेमियों के जीवन में खत की अहमियत
जहां आज प्रेमी युगल अपने जज्बातों को टेक्नोलोजी का सहारा लेकर के एक दूसरे से शेयर करते हैं वहीं जब यह टेक्नोलॉजी नहीं थी तो खतों ने प्रेमियों के जीवन में अहम किरदार निभाया. वो खत आज भी उनके लिए किसी जागीर से कम नहीं है.

undefined
प्रेमी जोड़े जिन्होंने जीवन के हसीन पलों की यादों को खत में संजोया
undefined


खतों के पन्नों पर लिखे गए हर एक शब्द उनके जीवन के सुनहरे पलों की यादों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. जिसे ना कोई वायरस करप्ट कर सकता है और ना ही कोई डिलीट कर सकता है.


आप का ख़त नहीं मिला मुझ को, दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
बिना एक दूसरे को देखें इनकी प्रेम कहानी शादी के बाद समय के उस दौर में शुरू हुई जब किसी भी तरीके की टेक्नोलॉजी कि शुरुआत नहीं हुई थी. इंटरनेट, मोबाइल टेलीफोन आदि जैसी कोई सुविधा नहीं थी जिससे की बात किया जा सके.


उनका कहना है कि आज भी उन्होंने अपने सुनहरे पलों की जागीर को खतों के रूप में संभाल कर रखा हुआ है और बीते दिनों के हसीन पलों की यादों के समंदर में गोते लगाते हैं. लखनऊ के रविशंकर शुक्ला जोकि स्टैटिसटिकल ऑफीसर के पद से रिटायर हुए है और साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमन शुक्ला है जो कि एक गृहणी है. दोनों की शादी मात्र 22 वर्ष की आयु में हुई थी वह भी घरवालों की मर्जी से.

undefined

लखनऊ : मिर्जा गालिब ने क्या खूब कहा है कि कासिद के आते आते खत इक और लिख रखूँ , मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में. आज आपको ऐसे ही प्रेमी जोड़े से मिलवाएंगे जिनकी शादी 47 साल पहले हुई थी वह भी अरेंज मैरिज जिसके बाद उन दोनों में प्यार की कड़ी बना "खत".

रविशंकर शुक्ला और सुमन शुक्ला अपने वैवाहिक जीवन को बड़े सादगी से जीते आ रहे हैं. जिनके जीवन में खतों की अहम भूमिका रही है. शादी के बाद खतों का सिलसिला एक बार जो शुरू हुआ 15 सालों तक लगातार चलता ही रहा और आज भी वह खत जीवन के हसीन पलों की यादों को समेटे हुए संजोकर रखे गए हैं.


प्रेमियों के जीवन में खत की अहमियत
जहां आज प्रेमी युगल अपने जज्बातों को टेक्नोलोजी का सहारा लेकर के एक दूसरे से शेयर करते हैं वहीं जब यह टेक्नोलॉजी नहीं थी तो खतों ने प्रेमियों के जीवन में अहम किरदार निभाया. वो खत आज भी उनके लिए किसी जागीर से कम नहीं है.

undefined
प्रेमी जोड़े जिन्होंने जीवन के हसीन पलों की यादों को खत में संजोया
undefined


खतों के पन्नों पर लिखे गए हर एक शब्द उनके जीवन के सुनहरे पलों की यादों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं. जिसे ना कोई वायरस करप्ट कर सकता है और ना ही कोई डिलीट कर सकता है.


आप का ख़त नहीं मिला मुझ को, दौलत-ए-दो-जहाँ मिली मुझ को
बिना एक दूसरे को देखें इनकी प्रेम कहानी शादी के बाद समय के उस दौर में शुरू हुई जब किसी भी तरीके की टेक्नोलॉजी कि शुरुआत नहीं हुई थी. इंटरनेट, मोबाइल टेलीफोन आदि जैसी कोई सुविधा नहीं थी जिससे की बात किया जा सके.


उनका कहना है कि आज भी उन्होंने अपने सुनहरे पलों की जागीर को खतों के रूप में संभाल कर रखा हुआ है और बीते दिनों के हसीन पलों की यादों के समंदर में गोते लगाते हैं. लखनऊ के रविशंकर शुक्ला जोकि स्टैटिसटिकल ऑफीसर के पद से रिटायर हुए है और साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमन शुक्ला है जो कि एक गृहणी है. दोनों की शादी मात्र 22 वर्ष की आयु में हुई थी वह भी घरवालों की मर्जी से.

undefined
Intro:आज आपको ऐसे प्रेमी जोड़े से मिलवाएंगे जिनकी शादी 47 साल पहले हुई थी और वह भी अरेंज मैरिज जिसके बाद उन दोनों में प्यार की कड़ी बना "खत"। शादी के बाद खतों का सिलसिला एक बार जो शुरू हुआ 15 सालों तक लगातार चलता ही रहा और आज भी वह खत जीवन के हसीन पलों की यादों को समेटे हुए संजोकर रखे गए हैं।


Body:जहां आज प्रेमी युगल अपने जज्बातों को टेक्नोलोजी का सहारा लेकर के एक दूसरे से शेयर करते हैं वहीं जब यह टेक्नोलॉजी नहीं थी तो खतों ने प्रेमियों के जीवन में अहम किरदार निभाया है जो आज भी उनके लिए किसी जागीर से कम नहीं है। खतो के पन्नों पर लिखे गए हर एक शब्द उनके जीवन के सुनहरे पलो की यादों को आज भी जिंदा रखे हुए हैं। जिसे ना कोई वायरस करप्ट कर सकता है और ना ही कोई डिलीट कर सकता है। आज आपको ऐसे ही 47 साल से अपने वैवाहिक जीवन को जीते आ रहे हैं शादीशुदा प्रेमियों से मिलवाएंगे जिनके जीवन में खतों की अहम भूमिका रही है।

ये रविशंकर शुक्ला है जोकि स्टैटिसटिकल ऑफीसर के पद से रिटायर हुए थे और साथ उनकी धर्मपत्नी श्रीमती सुमन शुक्ला है जो कि एक ग्रहणी रही है। दोनों की शादी मात्र 22 वर्ष की आयु में हुई थी वह भी घरवालों की मर्जी से और बिना एक दूसरे को देखें इनकी प्रेम कहानी शादी के बाद समय के उस दौर में शुरू हुई जब किसी भी तरीके की टेक्नोलॉजी कि शुरुआत नहीं हुई थी। इंटरनेट, मोबाइल टेलीफोन आदि जैसी कोई सुविधा नहीं थी जिससे की बात किया जा सके बस एक मात्र सहारा था "ख़त" जिसके जरिए बातचीत का सिलसिला शुरू हुआ और शादी के बाद 15 सालों तक खतों के जरिए ही साथ ना रहने पर बातचीत होती थी।

हमने जब खतों की अहमियत के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि उनके जीवन में खतों की बहुत अहमियत रही है अगर ये खत ना होते तो बात भी ना हो पाती। आज भी उन्होंने अपने सुनहरे पलों की जागीर को खातों के रूप में संभाल कर रखा हुआ है और बीते दिनों के हसीन पलों की यादों के समंदर में गोते लगाते हैं।

बाइट- रविशंकर शुक्ल
बाइट- श्रीमती सुमन शुक्ल


Conclusion:भले ही टेक्नोलॉजी कितना भी विकसित हो गई हो मोबाइल इंटरनेट स्मार्टफोन का दौर चल रहा हो पर हमें कभी-कभार अपनों को एक सुंदर सा खत लिख देना चाहिए जिससे भविष्य में अगर हम कभी बीते दिनों में जाना चाहे तो उन्हें खोल कर यादों के समंदर में डूब कर जीवन के पलों मैं दोबारा जी सके।

योगेश मिश्रा लखनऊ

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.