लखनऊ: कोरोना महामारी ने एक घर में एक ही तबाही मचाई कि 25 दिनों में परिवार के 8 लोगों की जान चली गई. इस घटना से पूरे परिवार में मातम का माहौल है. वहीं इस घटना से सरकार द्वारा किये गए दावों की पोल खुल गई. आरोप है कि परिवार को न तो हॉस्पिटल में बढ़िया इलाज मिला और न ही ऑक्सीजन सिलेंडर मिला. जिसके कारण एक परिवार ने अपने घर से 8 लोगों को खो दिया है. इस परिवार में एक तरफ तो गम का माहौल रहा, तो वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की तरफ से कोई मदद न मिलने को लेकर गुस्सा भी.
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काटते रहे हॉस्पिटल के चक्कर
ओंकार का कहना है उन्होंने जब पहले भाई को खोया तो उनके द्वारा भाई को चारबाग के पास रेलवे हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. लेकिन उस हॉस्पिटल के डॉक्टरों की लापरवाही ने भी दूसरे भाई की जान ले ली. उन्होंने बताया हॉस्पिटल में डॉक्टर एक पुड़िया में दवाई दे रहे थे. कोरोना रिपोर्ट भी बाहर से ही करानी पड़ती थी. उन्होंने बताया भाई की रिपोर्ट निगेटिव होने के बाजवूद उनको कोरोना वार्ड में रखा गया था. हालत गंभीर होते ही हॉस्पिटल ने लोहिया के लिए रेफर कर दिया. लेकिन लोहिया में भी भर्ती नहीं लिया गया. हॉस्पिटल के चक्कर काटते हुए इरम हॉस्पिटल वेंटिलेटर मिला, जहां उसे भर्ती कराया था, लेकिन वहां पर भी भाई को नहीं बचाया जा सका है.
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गांव में नहीं हुई कोई व्यवस्था
ओंकार सिंह यादव का कहना है गांव में आज तक ना तो सैनिटाइजेशन, ना ही मेडिकल व्यवस्था, ना तो कोरोना जांच के लिए कैम्प लगाया गया है. उन्होंने बताया कोई भी व्यवस्था ना होने की वजह से उनके गांव इमहालिया पुरवा में लगभग 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है. जबकि सैकड़ों लोग कोरोना से संक्रमित हैं, जो झोलाछाप डॉक्टरों की दवाई से इलाज करा रहे हैं. उन्होंने कहा कोई व्यवस्था ना मिल पाने की वजह से उन्होंने अपनी बड़ी अम्मा रूप रानी (82), मां कमला देवी (80), भाई विजय कुमार यादव (62), विनोद कुमार यादव (60), निरंकार कुमार यादव (45) व सत्य प्रकाश यादव (35) और बहन मिथिलेश कुमारी (56) व सायला कुमारी (53) की मौत हो गई है.