लखनऊः मुख्यमंत्री की वन डिस्टिक, वन डेस्टिनेशन योजना को मूर्त रूप देने के लिए वन निगम ने कसरत शुरू कर दी है. इसके लिए प्रदेश भर में आठ और डोर विकसित किए जाएंगे. निगम ने अपने ही संसाधनों से इस योजना को अंजाम देने के लिए कार्य योजना तैयार कर ली है.
37 जिलों को मिलेगा लाभ
प्रदेश में अभी तक कुल 9 ईको सर्किट है. जिनमें सिर्फ तराई सर्किट ही विकसित है. इनमें वेस्टर्न वाइल्ड लाइफ सर्किट में शिवालिक सहारनपुर, आजमगढ़, बिजनौर, हस्तिनापुर को शामिल किया गया है. लायन सफारी सर्किट में ब्लेजर बागरा लॉयन सफारी इटावा, ताज नेचर वॉक आगरा, नेशनल चंबल सेंचुरी को शामिल किया गया है. इसी तरह नेशनल चंबल सेंचुरी, वन लॉयन सफारी सर्किट, बुंदेलखंड एडवेंचर सर्किट, गंगेज बेसिन सर्किट, ईस्टर्न वाइल्डलाइफ सर्किट, तराई टाइगर सर्किट विकसित किए जाने हैं. ये सभी सर्किट प्रदेश के 37 जिलों में फैले हुए हैं.
निगम को पौने दो करोड़ की हुई थी आय
एक सर्किट से हीसालाना पौने दो करोड़ की आय प्रदेश में अभी तक सिर्फ तराई सर्किट ही विकसित है. जिनमें कतरनिया घाट, वन जीव प्रभाग, दुधवा नेशनल पार्क किशनपुर टाइगर रिजर्व और पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र शामिल है. इस सर्किट से पिछले वित्तीय वर्ष में निगम को पौने दो करोड़ की आय हुई थी. इस साल ये आय 2 करोड़ से अधिक हो जाने की उम्मीद है.
विभाग के पास है पर्याप्त बजट
वन निगम में इको पर्यटन का कार्य देख रहे डिविजनल मैनेजर देवमणि मिश्रा ने बताया कि वन डिस्टिक, वन डेस्टिनेशन योजना के तहत डोर विकसित करने के लिए वन निगम के पास पर्याप्त फंड है. निगम इन्हें अपने संसाधनों से ही विकसित करेगा. जिस पर कार्य प्रारंभ हो गया है. वन मंत्री और सभी अधिकारी इसमें पर्याप्त रुचि ले रहे हैं.