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मेडल पाकर खिले मेधावियों के चेहरे, आयोजित हुआ 7वां दीक्षांत समारोह - लखनऊ न्यूज

लखनऊ में स्थित डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का 7वां दीक्षांत समारोह सोमवार को आयोजित हुआ. इस दौरान कुल 151 पदक 122 मेधावियों को बांटा गया. जिनमें 55 स्वर्ण पदक, 48 रजत पदक और 48 कांस्य पदक थे. इनमें 71 छात्राएं और 51 छात्रों ने कब्जा जमाया. खास बात यह है कि इनमें 11 दिव्यांग विद्यार्थियों ने 14 पदक प्राप्त किए हैं.

छात्र-छात्राओं के मिले मेडल.
छात्र-छात्राओं के मिले मेडल.
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Published : Dec 15, 2020, 2:02 AM IST

लखनऊः डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह की शुरुआत शैक्षिक यात्रा से हुई. इसमें साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बतौर मुख्य अतिथि विवि की कुलाध्यक्ष और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इसके अलावा विश्वविद्यालय सामान्य परिषद के अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल रहे. कुलपति प्रोफेसर राणा किशन पाल सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बताया साथ ही कुलपति ने डिग्री हासिल किए विद्यार्थियों को दीक्षा उपदेश प्रदान किया.

दीक्षांत समारोह.

कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान
समारोह में विद्यार्थियों को 151 मेडल दिए गए, जिनमें गोल्ड मेडल 55 थे. छात्राओं को 34 और छात्रों को 21 मेडल मिले. इसी तरह 48 सिल्वर मेडल में लड़कियों को 25 और लड़कों को 23 मेडल मिले, जबकि ब्रॉन्ज के 48 मेडल में 25 छात्राओं और 23 छात्रों को दिए गए. बता दें कि कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान किए गए. इनमें 71 छात्राओं और 51 छात्रों को मेडल मिले हैं. इनमें छात्राओं ने 84 मेडल हासिल किए और लड़कों ने 67 मेडल प्राप्त हुए. वहीं समारोह में कुल 1205 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई. इसमें 632 छात्राएं और 573 छात्र शामिल रहे. कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान किए गए. सबसे अधिक मेडल श्रवणबाधितार्थ विभाग को मिले. इस विभाग को तीन गोल्ड, दो सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त हुए. इनमें दिव्यांगों में 3 छात्राएं और 8 छात्र शामिल रहे. वहीं 1205 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जिसमें 632 छात्राएं और 573 छात्र शामिल रहे.

छात्र को मेडल प्रदान करतीं राज्यपाल.
छात्र को मेडल प्रदान करतीं राज्यपाल.
दिव्यांगों ने 14 मेडल हासिल कर हौसलों को किया साबितडॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दृष्टिहीन राम दरस, मोनू सिंह, सावित्री और अतुल सहित 11 दिव्यांगों ने 14 मेडल हासिल कर अपने हौसलों को साबित कर दिया. जैसे-जैसे दिव्यांगों के गली में मेडल पढ़ते जा रहे थे. वैसे-वैसे सभागार में तालियों की गूंज बढ़ती जा रही थी. मेडल पाने के बाद दिव्यांगों के खिले हुए चेहरे ऐसे बयां कर रहे हो मानों कि भले उनकी आंखों की रोशनी न हो, लेकिन उनके शरीर में मौजूद दिव्य शक्ति ही उनके जीवन की ज्योति है. समारोह में 122 सामान्य और दिव्यांग विद्यार्थियों को कुल 151 मेडल कुलाध्यक्ष और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दिए.बीते समय को भूलकर भविष्य की ओर बढ़ना किया शुरू एमए (इतिहास) विभाग के दिव्यांग छात्र राम दरस ने सर्वाधिक 4 पदक हासिल किया, जिनमें दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि साल 2000 में उनको ट्यूमर हो गया था. तब डॉक्टर ने इलाज के दौरान कहा था कभी भी उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है. इसके बाद वर्ष 2013 में आंखों से रोशनी चली गई. उन्होंने बताया कि कुछ खास लोगों ने उनका मार्गदर्शन किया. इसके बाद बीते हुए समय को भूलकर भविष्य की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया और आज कामयाबी मिलती जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मंजिल की ओर बढ़ने में परिजनों का जबरदस्त सहयोग मिल रहा है.

दादी के नाम की यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना गर्व की बात
शामली मिश्रा ने बताया कि मेरे लिए गर्व की बात है कि लॉ डिपार्टमेंट में पहली पीएचडी उपाधि प्राप्त हुई है. वह भी उस यूनिवर्सिटी से जो मेरी दादी के नाम से है. उन्होंने कहा कि दादी के पदचिन्हों पर चलकर समाज के लोगों के लिए कुछ अच्छा काम करना है. मेरे पिताजी सतीश चंद्र मिश्रा वकील और राज्यसभा के सदस्य हैं. उनकी प्रेरणा से आज डॉक्टर की उपाधि मिली है.

दिव्यांगों के हित के लिए राजनीति में होना है शामिल
एमए राजनीतिक विज्ञान के छात्र मोनू सिंह ने रजत पदक हासिल किया है. उन्होंने बताया कि उनकी रेटिना में दिक्कत है. इससे बचपन में तो आंखों की रोशनी थी, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई अपने आप उनकी आंखों से रोशनी गायब होती गई. उन्होंने कहा कि जीवन का उद्देश्य दिव्यांग समाज को आगे बढ़ाना है. हर तबके की राजनीति में सहभागिता है, लेकिन हमारे देश में दिव्यांगों की कोई सहभागिता राजनीति में नहीं है. संसद भवन, लोकसभा में उन्हें उचित स्थान नहीं मिला. इसलिए दिव्यांगों के हित के लिए राजनीति में आना है.

बीटेक छात्रों ने कुलाध्यक्ष पद पर जमाया कब्जा
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में कुलाध्यक्ष पदक से बीटेक के स्वर्ण पदक रोहित श्रीवास्तव, रजत पदक से अजीत कुमार रावत और कांस्य आकांक्षा सिंह को दिया गया. वहीं राजनीति विज्ञान में सर्वाधिक अंक पाने वाली शिवांगी कश्यप को मुलायम सिंह यादव गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. एमए हिंदी में सर्वाधिक अंक पाने वाली मेधावी मानसी यादव को आलोक तोमर गोल्ड मेडल और स्नातक में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाली सुमित्रा को डॉ. शकुंतला मिश्रा स्मृति गोल्ड मेडल दिया गया.

लखनऊः डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के 7वें दीक्षांत समारोह की शुरुआत शैक्षिक यात्रा से हुई. इसमें साहित्य अकादमी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर विश्वनाथ प्रसाद तिवारी बतौर मुख्य अतिथि विवि की कुलाध्यक्ष और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इसके अलावा विश्वविद्यालय सामान्य परिषद के अध्यक्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल रहे. कुलपति प्रोफेसर राणा किशन पाल सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को बताया साथ ही कुलपति ने डिग्री हासिल किए विद्यार्थियों को दीक्षा उपदेश प्रदान किया.

दीक्षांत समारोह.

कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान
समारोह में विद्यार्थियों को 151 मेडल दिए गए, जिनमें गोल्ड मेडल 55 थे. छात्राओं को 34 और छात्रों को 21 मेडल मिले. इसी तरह 48 सिल्वर मेडल में लड़कियों को 25 और लड़कों को 23 मेडल मिले, जबकि ब्रॉन्ज के 48 मेडल में 25 छात्राओं और 23 छात्रों को दिए गए. बता दें कि कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान किए गए. इनमें 71 छात्राओं और 51 छात्रों को मेडल मिले हैं. इनमें छात्राओं ने 84 मेडल हासिल किए और लड़कों ने 67 मेडल प्राप्त हुए. वहीं समारोह में कुल 1205 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई. इसमें 632 छात्राएं और 573 छात्र शामिल रहे. कुल 151 मेडल 122 मेधावियों को प्रदान किए गए. सबसे अधिक मेडल श्रवणबाधितार्थ विभाग को मिले. इस विभाग को तीन गोल्ड, दो सिल्वर और तीन ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त हुए. इनमें दिव्यांगों में 3 छात्राएं और 8 छात्र शामिल रहे. वहीं 1205 विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान की गई, जिसमें 632 छात्राएं और 573 छात्र शामिल रहे.

छात्र को मेडल प्रदान करतीं राज्यपाल.
छात्र को मेडल प्रदान करतीं राज्यपाल.
दिव्यांगों ने 14 मेडल हासिल कर हौसलों को किया साबितडॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दृष्टिहीन राम दरस, मोनू सिंह, सावित्री और अतुल सहित 11 दिव्यांगों ने 14 मेडल हासिल कर अपने हौसलों को साबित कर दिया. जैसे-जैसे दिव्यांगों के गली में मेडल पढ़ते जा रहे थे. वैसे-वैसे सभागार में तालियों की गूंज बढ़ती जा रही थी. मेडल पाने के बाद दिव्यांगों के खिले हुए चेहरे ऐसे बयां कर रहे हो मानों कि भले उनकी आंखों की रोशनी न हो, लेकिन उनके शरीर में मौजूद दिव्य शक्ति ही उनके जीवन की ज्योति है. समारोह में 122 सामान्य और दिव्यांग विद्यार्थियों को कुल 151 मेडल कुलाध्यक्ष और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने दिए.बीते समय को भूलकर भविष्य की ओर बढ़ना किया शुरू एमए (इतिहास) विभाग के दिव्यांग छात्र राम दरस ने सर्वाधिक 4 पदक हासिल किया, जिनमें दो स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि साल 2000 में उनको ट्यूमर हो गया था. तब डॉक्टर ने इलाज के दौरान कहा था कभी भी उनकी आंखों की रोशनी जा सकती है. इसके बाद वर्ष 2013 में आंखों से रोशनी चली गई. उन्होंने बताया कि कुछ खास लोगों ने उनका मार्गदर्शन किया. इसके बाद बीते हुए समय को भूलकर भविष्य की ओर आगे बढ़ना शुरू कर दिया और आज कामयाबी मिलती जा रही है. उन्होंने कहा कि इस मंजिल की ओर बढ़ने में परिजनों का जबरदस्त सहयोग मिल रहा है.

दादी के नाम की यूनिवर्सिटी से पीएचडी करना गर्व की बात
शामली मिश्रा ने बताया कि मेरे लिए गर्व की बात है कि लॉ डिपार्टमेंट में पहली पीएचडी उपाधि प्राप्त हुई है. वह भी उस यूनिवर्सिटी से जो मेरी दादी के नाम से है. उन्होंने कहा कि दादी के पदचिन्हों पर चलकर समाज के लोगों के लिए कुछ अच्छा काम करना है. मेरे पिताजी सतीश चंद्र मिश्रा वकील और राज्यसभा के सदस्य हैं. उनकी प्रेरणा से आज डॉक्टर की उपाधि मिली है.

दिव्यांगों के हित के लिए राजनीति में होना है शामिल
एमए राजनीतिक विज्ञान के छात्र मोनू सिंह ने रजत पदक हासिल किया है. उन्होंने बताया कि उनकी रेटिना में दिक्कत है. इससे बचपन में तो आंखों की रोशनी थी, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई अपने आप उनकी आंखों से रोशनी गायब होती गई. उन्होंने कहा कि जीवन का उद्देश्य दिव्यांग समाज को आगे बढ़ाना है. हर तबके की राजनीति में सहभागिता है, लेकिन हमारे देश में दिव्यांगों की कोई सहभागिता राजनीति में नहीं है. संसद भवन, लोकसभा में उन्हें उचित स्थान नहीं मिला. इसलिए दिव्यांगों के हित के लिए राजनीति में आना है.

बीटेक छात्रों ने कुलाध्यक्ष पद पर जमाया कब्जा
डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह में कुलाध्यक्ष पदक से बीटेक के स्वर्ण पदक रोहित श्रीवास्तव, रजत पदक से अजीत कुमार रावत और कांस्य आकांक्षा सिंह को दिया गया. वहीं राजनीति विज्ञान में सर्वाधिक अंक पाने वाली शिवांगी कश्यप को मुलायम सिंह यादव गोल्ड मेडल प्रदान किया गया. एमए हिंदी में सर्वाधिक अंक पाने वाली मेधावी मानसी यादव को आलोक तोमर गोल्ड मेडल और स्नातक में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाली सुमित्रा को डॉ. शकुंतला मिश्रा स्मृति गोल्ड मेडल दिया गया.

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