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बिजली विभाग "स्मार्ट" का खेल, तीन साल में 7167 ने लगाई छलांग, 4911 हुए पीछे, 8238 नो डिस्प्ले - UP News

राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर (Smart Meter) लगाने की कवायद एक बार फिर तेज हो गई है. हालांकि मीटरों की खरीद-फरोख्त के साथ मीटर रीडिंग के खेल में लाखों-करोड़ों के वारे न्यारे होते हैं. इसमें कमाई बिजली कंपनियों और दलालों की खूब होती है. इसके इतर उपभोक्ताओं की जेब ढीली होती है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 1:55 PM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर की क्वालिटी को लेकर लगातार सवाल उठते ही रहे हैं. स्मार्ट मीटर की शिकायत उपभोक्ताओं ने विभाग के अधिकारियों से भी कई बार की. मीटर के खराब होने से लेकर आगे भागने और बैक होने के साथ ही नो डिस्प्ले की तमाम शिकायतें मध्यांचल कस्टमर केयर पर दर्ज हुईं. अब एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश में जहां विद्युत उपभोक्ताओं के घर में वर्तमान में जो इलेक्ट्रॉनिक मीटर विभिन्न कंपनियों के लगे हैं उनकी गुणवत्ता बहुत ही घटिया है. इसका खुलासा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में मीटर निर्माता कंपनियों के परीक्षण खंड व स्टोर खंड के साथ मीटिंग में हुआ.



बिजली कंपनियों पर अंकुश नहीं.
बिजली कंपनियों पर अंकुश नहीं.

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने पिछले तीन वर्षों में विभिन्न कंपनियों से जो मीटर खरीदा उसमें गारंटी पीरियड में 30268 मीटर खराब पाए गए. इनमें से 7,167 मीटर केवल पश्चिमांचल कंपनी में पिछले तीन वर्षों में रीडिंग जंप वाले पाए गए. 4,911 मीटर अपने आप बैक होते पाए गए यानी कि पीछे चल गए. लगभग 8238 मीटर नो डिस्पले के पाए गए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में किस प्रकार के मीटर खरीदे जा रहे हैं. घटिया मीटरों का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है. जब उपभोक्ता शिकायत करते हैं कि उनका मीटर जंप हो गया तो उन पर स्टोर रीडिंग करने का आरोप लगाया जाता है. जब मीटर बैक हो जाता है तो बैक करने का आरोप लगता है. सबसे ज्यादा गारंटी पीरियड में खराब पाए गए उनमें प्रमुख रूप से पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मॉडर्न ट्रांसफार्मर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के गारंटी पीरियड में कुल 14 हजार 696 मीटर हैं. इनमें से 6,039 मीटर जंप और 3,980 मीटर बैक पाए गए. 3,213 नो डिस्पले आरटीसी खराब और अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त पाए गए.

मैसर्स कैपिटल पाॅवर के मीटर जो कुल गारंटी अवधि में 3,017 खराब हुए. इनमें से 602 मीटर जम्प हुए और 304 बैक हो गए. 451 नो डिस्पले हुए. इसी तरह जीनस पावर के थ्री फेज व सिंगल फेज के कुल लगभग 3,913 मीटर गारंटी पीरियड में खराब हुए. 146 मीटर जम्प और 165 बैक वाले पाए गए जबकि 1,721 नो डिस्पले. एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पाॅवर कंपनी के सिंगल फेज व थ्री फेज के कुल गारंटी अवधि में 4,902 मीटर खराब पाए गए. इनमें 254 मीटर जंप के पाए गए और लगभग 237 मीटर बैक पाए गए. 1,570 नो डिस्पले आरटीसी व अन्य कारणों से खराब पाए गए. एवन मीटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कुल लगभग थ्री फेज व सिंगल फेज के जो मीटर गारंटी अवधि में खराब पाए गए उनकी संख्या लगभग 3,048 थी. इनमें जंप के लगभग 124 और बैक के 214 मीटर पाए गए. 836 नो डिस्पले मीटर.




यह भी पढ़ें : घर बैठे जानिए कैसे बनता और निकलता है आपके बिजली मीटर से बिल, परेशानी से भी बचेंगे

Electricity Meter : पुराने मीटर की अपेक्षा हर बार तेज गति से भागते हैं नए मीटर, उपभोक्ता परेशान

लखनऊ : राजधानी लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश में स्मार्ट मीटर की क्वालिटी को लेकर लगातार सवाल उठते ही रहे हैं. स्मार्ट मीटर की शिकायत उपभोक्ताओं ने विभाग के अधिकारियों से भी कई बार की. मीटर के खराब होने से लेकर आगे भागने और बैक होने के साथ ही नो डिस्प्ले की तमाम शिकायतें मध्यांचल कस्टमर केयर पर दर्ज हुईं. अब एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसने स्मार्ट मीटर की स्मार्टनेस पर सवाल खड़े कर दिए हैं. उत्तर प्रदेश में जहां विद्युत उपभोक्ताओं के घर में वर्तमान में जो इलेक्ट्रॉनिक मीटर विभिन्न कंपनियों के लगे हैं उनकी गुणवत्ता बहुत ही घटिया है. इसका खुलासा पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में मीटर निर्माता कंपनियों के परीक्षण खंड व स्टोर खंड के साथ मीटिंग में हुआ.



बिजली कंपनियों पर अंकुश नहीं.
बिजली कंपनियों पर अंकुश नहीं.

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम ने पिछले तीन वर्षों में विभिन्न कंपनियों से जो मीटर खरीदा उसमें गारंटी पीरियड में 30268 मीटर खराब पाए गए. इनमें से 7,167 मीटर केवल पश्चिमांचल कंपनी में पिछले तीन वर्षों में रीडिंग जंप वाले पाए गए. 4,911 मीटर अपने आप बैक होते पाए गए यानी कि पीछे चल गए. लगभग 8238 मीटर नो डिस्पले के पाए गए. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश की बिजली कंपनियों में किस प्रकार के मीटर खरीदे जा रहे हैं. घटिया मीटरों का खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है. जब उपभोक्ता शिकायत करते हैं कि उनका मीटर जंप हो गया तो उन पर स्टोर रीडिंग करने का आरोप लगाया जाता है. जब मीटर बैक हो जाता है तो बैक करने का आरोप लगता है. सबसे ज्यादा गारंटी पीरियड में खराब पाए गए उनमें प्रमुख रूप से पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत मॉडर्न ट्रांसफार्मर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के गारंटी पीरियड में कुल 14 हजार 696 मीटर हैं. इनमें से 6,039 मीटर जंप और 3,980 मीटर बैक पाए गए. 3,213 नो डिस्पले आरटीसी खराब और अन्य कारणों से क्षतिग्रस्त पाए गए.

मैसर्स कैपिटल पाॅवर के मीटर जो कुल गारंटी अवधि में 3,017 खराब हुए. इनमें से 602 मीटर जम्प हुए और 304 बैक हो गए. 451 नो डिस्पले हुए. इसी तरह जीनस पावर के थ्री फेज व सिंगल फेज के कुल लगभग 3,913 मीटर गारंटी पीरियड में खराब हुए. 146 मीटर जम्प और 165 बैक वाले पाए गए जबकि 1,721 नो डिस्पले. एचपीएल इलेक्ट्रिक एंड पाॅवर कंपनी के सिंगल फेज व थ्री फेज के कुल गारंटी अवधि में 4,902 मीटर खराब पाए गए. इनमें 254 मीटर जंप के पाए गए और लगभग 237 मीटर बैक पाए गए. 1,570 नो डिस्पले आरटीसी व अन्य कारणों से खराब पाए गए. एवन मीटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के कुल लगभग थ्री फेज व सिंगल फेज के जो मीटर गारंटी अवधि में खराब पाए गए उनकी संख्या लगभग 3,048 थी. इनमें जंप के लगभग 124 और बैक के 214 मीटर पाए गए. 836 नो डिस्पले मीटर.




यह भी पढ़ें : घर बैठे जानिए कैसे बनता और निकलता है आपके बिजली मीटर से बिल, परेशानी से भी बचेंगे

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