लखनऊ : प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार (Posting In Medical Colleges) लगातार काम कर रही है. सरकारी मेडिकल संस्थानों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी ने अधिकारियों की भी नींदें उड़ा दी हैं. मेडिकल संस्थानों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने फैसला लिया है कि वर्ष 2019 में नीट पीजी द्वारा एमडी या एमएस कर विशेषज्ञ बन चुके करीब 700 डॉक्टरों को अनिवार्य सेवा बांड के तहत दो साल के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं देनी होंगी. अस्पतालों में तैनाती के लिए राजधानी स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में छह व नौ अक्टूबर को ऑनलाइन काउंसलिंग होगी. जिसमें विभागवार उपलब्ध रिक्त पदों के अनुसार डॉक्टरों को अस्पताल का चयन करना होगा.
स्वास्थ्य महानिदेशक किंजल सिंह ने बताया कि 'ऑनलाइन काउंसलिंग की नोटिस जारी हो गई है. छह अक्टूबर को मनोचिकित्सक, फोरेन्सिक मेडिसिन, बायोकैमिस्ट्री, रेडियोथेरेपी, ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन, एनेस्थीसिया, एनॉटमी, फिजियोलॉजी, जनरल मेडिसिन, ईएनटी, इम्यूनोलॉजी एंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के डॉक्टरों को कॉलेज अलॉट किये जाएंगे. इन डॉक्टरों के ज्वाइन करने के बाद नौ अक्टूबर को दोबारा काउंसलिंग कराई जाएगी, जिनमें आर्थोपैडिक, पल्मोनरी मेडिसिन, जनरल सर्जरी, आब्स एंड गायनी, पैथोलॉजी, फार्माकोलॉजी, कम्यूनिटी मेडिसिन, माइक्रोबायोलॉजी और ओफ्थल्मोलॉजी, स्किन एंड वीडी रेडियोडायग्नोसिस, पीएमआर और पीडियाट्रिक्स विभाग के डॉक्टरों को तैनाती दी जाएगी.'
2018 बैच के विशेषज्ञ बदल सकेंगे कॉलेज : साल 2018 बैच के पीजी कर चुके डॉक्टर, जो किसी कॉलेज में सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें कॉलेज बदलने का मौका मिलेगा. इसके लिए उन्हें एक साल पूरा करने संबंधी सीनियर रेजीडेंटशिप का प्रमाण पत्र लाना होगा.