लखनऊ: क्रॉनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डीजीज (सीओपीडी) की समस्या बढ़ रही है. यह बीमारी होने के बाद पूरी तरह ठीक नहीं की जा सकती है. मगर, दवाओं के जरिये समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है. वहीं, इलाज के दरमियान 70 फीसदी व्यक्ति इनहेलर को सही तरीके से नहीं लेता है. जिससे दवा समयगत पूरा असर नहीं दिखा पाती.
ये बातें पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने वर्ल्ड सीओपीडी पर आयोजित कांफ्रेंस में कहीं. उन्होंने कहा कि सीओपीडी व सांस की अन्य समस्या में इनहेलर कारगर है. वहीं तमाम लोगों में इनहेलर को लेकर भ्रम है. जबकि यह टैबलेट से अधिक प्रभावी व सुरक्षित है. वहीं जो इनहेलर लेते हैं. वह पूरा कोर्स करने के बजाए बीच में छोड़ देते हैं. इसके अलावा सही तरीके से इनहेलर न लेने से दवा की पूरी डोज शरीर में नहीं पहुंचती है. ऐसे में इनहेलर कैसे लेना है, यह डॉक्टर से अवश्य जानें.
सीओपीडी कैसे होती है
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक 60 फीसदी सीओपीडी के मरीजों में बीमारी का कारण धूमपान होता है. वहीं, 40 फीसद के सीओपीडी के कारण दूसरे हैं. ये वो लोग होते हैं जो चूल्हे में लकड़ी, कोयला, कंडे और बुरादा आदि में खाना बनाते हैं. उसका जहरीला धुंआ फेफड़ों में पैबस्त हो रहा है. इसके अलावा प्रदूषण भी कारक है.
ह्रदयरोग के बाद मौत का दूसरा कारण
दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें ह्रदय रोग से होती हैं. सीओपीडी बड़ी समस्या बन रही है. यह तीसरा मौत का सबसे बड़ी कारण थी, जो दूसरे नंबर पर आ गई है. इस दौरान लंग ट्रांसप्लांट पर भी व्याख्यान हो सकेगा. कार्यक्रम में कुलपति डॉ. बिपिन पुरी ने कहा कि जागरुकता से सांस संबंधी बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है. समय पर इलाज से बीमारी काबू में रहती है. कार्यक्रम में प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग के डॉ. आरएएस कुशवाहा, डॉ. राजीव गर्ग और डॉ. आनंद श्रीवास्तव मौजूद रहे.
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