लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती प्रकरण एक बार फिर सवालों के घेरे में है. सरकार और जिम्मेदारों पर सवाल उठ रहे हैं. अभ्यर्थियों का कहना है कि जिम्मेदारों के स्तर पर लापरवाही की गई है. इसका खामियाजा अभ्यर्थियों को उठाना पड़ रहा है. इसको लेकर अभ्यर्थियों की ओर से मंगलवार को लखनऊ स्थित एससीईआरटी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन भी किया गया.
उत्तर प्रदेश में इस समय 69000 सहायक शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया चल रही है. पहले दो चरणों की काउंसलिंग हो चुकी है. अब सरकार ने तीसरे चरण की प्रक्रिया शुरू करने का कार्यक्रम घोषित किया है. इसको लेकर दूसरे और पहले चरण के छूटे हुए अभ्यर्थियों में नाराजगी है. अभ्यर्थियों का कहना है कि आवेदन के समय हुई मामूली त्रुटियों के चलते उन्हें भर्ती प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है, जबकि वह इस भर्ती के लिए आवश्यक सभी मापदंडों पर खरे उतरते हैं. अभ्यर्थियों की मांग है कि उनके आवेदनों में सुधार कर दोबारा से प्रक्रिया में शामिल किया जाए.
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अभ्यर्थियों का कहना है कि पुनर्मूल्यांकन में 103 लोग उत्तीर्ण घोषित हुए जिनका रिजल्ट याचिका 6420/2019 नरेंद्र कुमार चतुर्वेदी बनाम अन्य के आदेश के आधार पर घोषित हुआ. इसमें कहा गया था कि रिजल्ट देने के 4 सप्ताह के अंदर नियुक्ति पत्र दिया जाना चाहिए, जोकि नहीं दिया गया. रिजल्ट 18 सितंबर 2020 को आया था. 4 सप्ताह कब के पूरे हो गए. सरकार ने इसमें खुद हलफनामा भी दिया था. एक बार पुनः कॉपी चेक कराने के बाद नियुक्ति देने के लिए रिजल्ट तो दे दिया गया, लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई.