लखनऊ: कोरोना वायरस के चलते बड़ी संख्या में जेलों में कैदियों के संक्रमित होने से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यूपी सरकार ने जेलों में बंद कैदियों को पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. वहीं, प्रदेश की जेलों में बंद 2,256 सजायाफ्ता कैदियों को रिहा किया गया था. ये इसलिए किया गया था, ताकि जेल में भीड़ कम हो सके और कैदियों को कोरोना वायरस से बचाया जा सके. लेकिन सरकार के इस फैसले का कैदियों ने जमकर फायदा उठाया.
77 कैदियों को विशेष पैरोल पर छोड़ा गया
राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश के जिला कारागार से 77 कैदियों को 8 सप्ताह की विशेष पैरोल पर छोड़ा गया था. लेकिन इनमें केवल 17 कैदी ही वापस आए हैं, जबकि 60 कैदियों का कोई सुराग नहीं मिला है. कमिश्नरेट और 20 जिलों की पुलिस इन कैदियों की धरपकड़ के लिए लगी हुई है.
60 कैदियों की तलाश में जुटी पुलिस
प्रदेश के जिला कारागार के कैदियों को 8 सप्ताह की पैरोल दी गई थी. नवंबर में ही पैरोल की अवधि खत्म होने के बाद कैदियों को लौटना था, लेकिन अब तक केवल 17 कैदी पैरोल से वापस आये हैं. जबकि 60 कैदियों का कोई पता नहीं चल सका है. वहीं जेल प्रशासन उनकी तलाश और गिरफ्तारी के लिए पुलिस अधिकारियों से मदद के लिए लेटर भी लिखा है. पुलिस की टीमें फरार कैदियों की तलाश में जुटी हुई हैं.
सर्वाधिक कैदी लखनऊ के जेल के है
पैरोल की मियाद खत्म होने पर वापस ना आने वाले कैदियों में लखनऊ के 35, सीतापुर के 5, हरदोई के 4, रायबरेली, उन्नाव, श्रावस्ती, कानपुर नगर, बहराइच के 3-3 प्रयागराज, बाराबंकी, शाहजहांपुर, आजमगढ़, बरेली, गोंडा के 2-2, पीलीभीत, बदायूं, अंबेडकरनगर, वाराणसी, प्रतापगढ़ और फतेहपुर के एक-एक कैदी शामिल हैं.
अप्रैल माह में 77 कैदियों को शासन के आदेश पर 8 सप्ताह की पैरोल पर रिहा किया गया था. लेकिन पैरोल की अवधि खत्म होने पर केवल 17 कैदी जेल में दाखिल हुए हैं. जबकि 60 कैदी जेल में नहीं लौटे. ऐसे कैदियों को पकड़कर जेल में दाखिल कराने के लिए पुलिस की मदद ली जा रही है.
-आशीष तिवारी, वरिष्ठ जेल अधीक्षक