लखनऊः सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगने के बाद समय पर सूचना उपलब्ध न कराने को लेकर सूचना आयोग की ओर से विभिन्न विभागों में तैनात सूचना अधिकारियों पर 58.34 लाख रुपये का दंड बकाया है. वहीं आरटीआई दंड वसूली के 258 मामले प्रकाश में आए हैं.
सूचना के अधिकार के तहत विभिन्न विभागों से मांगी गई सूचना मिलने पर सूचना आयोग की ओर से लगाए गए दंड के बारे में प्राप्त जानकारी के बारे में बताते हुए एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर ने कहा कि प्राप्त सूचना के अनुसार, गृह विभाग में आरटीआई अर्थ दंड के कुल 248 मामलों में 58.34 लाख रुपये की वसूली शेष है.
आरटीआई एक्ट की धारा 20 में सूचना आयोग को सूचना देने में हीलाहवाली करने वाले जन सूचना अधिकारी (पीआईओ) पर अर्थ दंड लगाने का अधिकार है, जिसकी अधिकतम राशि 25,000 रुपये है. इस दंड की वसूली की जिम्मेदारी संबंधित विभाग की होती है.
गृह विभाग में वर्तमान में कुल 248 मामलों में दंड की वसूली होनी शेष है. इसमें सबसे पुराना मामला 29 नवम्बर 2007 को पीआईओ, एसएसपी मेरठ कार्यालय पर 25000 रुपये दंड का है. जबकि 24 अप्रैल 2008 को पीआईओ एसपी मेरठ ग्रामीण कार्यालय पर 2 मामलों में 25000 रुपये का दंड लगाया गया था.
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नूतन ठाकुर ने बताया कि सर्वाधिक दंड वसूली आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर के 8 मामलों में बकाया है. एडीजी तनुजा श्रीवास्तव से 4 मामलों में 85 हजार रुपये और गृह विभाग के अनुभाग अधिकारी शरद सक्सेना से 4 मामलों में 1 लाख की दंड वसूली बकाया है.