लखनऊ : उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम टीम ने यूपी में 1 साल के दौरान 528 मुकदमे दर्ज किए, जिसमें 126 केस का खुलासा कर 385 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने सोमवार को आंकड़ा जारी करते हुए बताया कि साइबर अपराध के मामलों में कार्रवाई करते हुए पकड़े गए आरोपियों से करीब छह करोड़ रुपये (5 करोड़ 63 लाख 47 हजार रूपये से अधिक राशि) पीड़ितों को वापस कराये गये.
अपर मुख्य सचिव गृह के मुताबिक प्रदेश के सभी साइबर थानों को पर्याप्त उपकरणों एवं संसाधनों की व्यवस्था की गयी है. शासन की तरफ से नये साइबर थानों को और अधिक सुदृढ़ करने एवं डाटा सम्बन्धी कार्यों के लिये 32 करोड़ 80 लाख रूपये की धनराशि दी गयी है. इस धनराशि से सभी साइबर थानों के साइबर लैब के लिये डाटाबेस मैनेजमेंट, फॉरेन्सिक टूल्स, डेटा एनालिसिस सॉफ्टवेयर, डेटा एक्सट्रैक्शन सॉफ्टवेयर आदि की व्यवस्था की गयी.
अवनीश अवस्थी ने बताया कि प्रदेश में अब तक NCCRP पर कुल 49,779 शिकायतें एवं MHA से कुल 21,512 टिप लाइन शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनका निस्तारण सम्बन्धित जनपदों एवं साइबर क्राइम थानों से कराया जा रहा है. साइबर क्राइम मुख्यालय द्वारा अब तक कुल 12,547 संदिग्ध मोबाइल नम्बरों को बंद किये जाने के लिये रिपोर्ट किया गया है. साइबर क्राइम के खुलासे के सम्बन्ध में संचालित लैब में अब तक कुल 1363 न्यायिक/पुलिस राजपत्रित/अराजपत्रित कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है. उन्होंने यह भी बताया कि यूपी 112 में साइबर क्राइम से सम्बन्धित प्रशिक्षण एवं जांच कार्य के लिये CCPWC LAB की स्थापना की गयी है.
प्रदेश सरकार की तरफ से पूर्व में स्थापित साइबर थाना लखनऊ और गौतमबुद्धनगर के अलावा सभी 16 जोनल स्तर पर एक-एक साइबर क्राइम थाने क्रमशः आगरा, अलीगढ़, प्रयागराज, चित्रकूटधाम (बांदा), बरेली, मुरादाबाद, गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन (गोण्डा), कानपुर, झांसी, अयोध्या, सहारनपुर, आजमगढ़, मिर्जापुर और वाराणसी की स्थापना की गयी है. शासन द्वारा इन थानों को सुचारू रूप से संचालित किये जाने के लिये 384 पदों का सृजन भी किया गया है. साइबर क्राइम थानों के नियंत्रण एवं राज्य स्तरीय पर्यवेक्षण के लिये अपर पुलिस महानिदेशक के निर्देश में सिग्नेचर बिल्डिंग में साइबर क्राइम मुख्यालय पर साइबर क्राइम सेल संचालित किया जा रहा है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से साइबर अपराध को रोकने के लिए 155260 हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया. एक अप्रैल को दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में सॉफ्ट लांच किया गया था. 17 अप्रैल को इसे पूरे देश के लिए शुरू कर दिया गया और उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, ओडिशा, दमन दीव और दादर नगर हवेली में भी इसे लांच कर दिया गया.
हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने के बाद संबंधित पुलिस ऑपरेटर ठगी के शिकार हुए व्यक्ति के लेनदेन का ब्यौरा लिखता है. इस जानकारी को नागरिक वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली पर एक टिकट के रूप में दर्ज किया जाता है. फिर यह टिकट संबंधित बैंक, वॉलेट्स, मर्चेंट्स आदि तक तेजी से पहुंचाया जाता है. पीड़ित को एक एसएमएस भेजा जाता है, जिसमें उसकी शिकायत की पावती संख्या होती है और साथ ही निर्देश होते हैं कि इस पावती संख्या का इस्तेमाल करके 24 घंटे के भीतर धोखाधड़ी का पूरा विवरण राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) पर जमा करें. अब संबंधित बैंक, जो अपने रिपोर्टिंग पोर्टल के डैशबोर्ड पर इस टिकट को देख सकता है, वह अपने आंतरिक सिस्टम में इस विवरण की जांच करता है.
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