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लखनऊ: कोरोना से बेहाल हुईं इंडस्ट्रीज, आधी हुई मजदूरों की संख्या - कोरोना का इंडस्ट्रीज पर बुरा असर

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में रोजाना इजाफा देखने को मिल रहा है. कोरोना की वजह से आम जनजीवन जहां पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है, वहीं इंडस्ट्रीज पर भी इसका बुरा असर पड़ा है. औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या 50 फीसद तक कम हो गई है.

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कोरोना का इंडस्ट्री पर असर
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Published : Aug 31, 2020, 2:52 AM IST

लखनऊ: देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ रहा है. राजधानी लखनऊ में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस बात का सबसे अधिक डर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को सता रहा है.

50 फीसदी कम हुई मजदूरों की संख्या
देश भर में होटल, व्यवसाय और शिक्षण संस्थान बंद हैं. इन सबके बंद होने से अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसके परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. वहीं औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को कहीं न कहीं डर सता रहा है कि वे भी कहीं कोरोना से संक्रमित न हो जाएं. राजधानी लखनऊ में भी कमोबेश यही हाल है. यहां औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या करीब 50 फीसद तक कम हो गई है. वहीं प्रोडक्शन की अगर बात करें तो इस पर भी बुरा असर दिखाई पड़ रहा है.

लोगों की बदली धारणा
कोरोना महामारी के चलते वैश्विक स्वास्थ्य संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अब अधिकतर लोगों को लिए लॉकडाउन नया नियम बन रहा है. लोगों की यह धारणा बन रही है कि आने वाले समय में जब तक जीना होगा, कोरोना के खौफ में ही जीना पड़ेगा. ऐसे में दुनिया की सूरत हमेशा के लिए बदली हुई नजर आएगी.

कोरोना का इंडस्ट्री पर असर.
मजदूरों को सता रहा डर
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों और परिजनों को डर सता रहा है. ये लोग अभी भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि समस्या बहुत बड़ी है, यह आज की नहीं बल्कि एक या दो साल ऐसे ही चलेगी. प्रदेश सरकार के लागू किए गए सभी नियमों का पालन सभी फैक्ट्रियों में किया जा रहा है. सभी मजदूरों से मास्क लगाने को कहा गया है. फैक्ट्री परिसर में सैनिटाइजेशन भी कराया जा रहा है. इसके अलावा मजदूरों को हाथ सैनिटाइज करने की सलाह भी दी जा रही है.

3 बार होती है थर्मल स्कैनिंग
मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि सभी फैक्ट्रियों में दिन में तीन बार मजदूरों की थर्मल स्कैनिंग कराए जाने की व्यवस्था की गई है. पहली बार जब मजदूर फैक्ट्री में आते हैं, दूसरी बार दोपहर में और तीसरी बार घर वापस जाते समय की जाती है. इसके सभी डाटा सुरक्षित रखे जा रहे हैं.

प्रोडक्शन पर पड़ा बुरा असर
मनमोहन अग्रवाल ने जानकारी दी कि जब से कोरोना काल शुरू हुआ है, तभी से सभी फैक्ट्रियों के प्रोडक्शन पर बुरा असर पड़ा है. जब लॉकडाउन लगा था, तब प्रोडक्शन सिर्फ 20 से 25% हुआ था. वहीं जब स्थिति कुछ सुधरी तो यह बढ़कर 30 से 40 फीसदी हो गया है. उन्होंने कहा कि खर्चे में कमी नहीं हुई हैं, बल्कि यह बोझ बनता जा रहा है.

इंडस्ट्री के बहुत बुरे हाल
मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि कोरोना की वजह से स्थिति बहुत ही खराब है. इस वजह से इंडस्ट्री इतनी जल्दी उबर नहीं पाएगी. इस महामारी से इंडस्ट्री को उबरने में कम से कम 1 से 2 साल का समय लगेगा. साथ ही जिन लोगों ने कर्ज ले रखा है, कभी न कभी उनको वापस करना ही पड़ेगा, जो कि अपने आप में एक चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि फैक्ट्री में मजदूरों को दूर-दूर खड़ा करना पड़ेगा. आज हालात ऐसे हैं कि लोगों के मन में डर बढ़ता ही जा रहा है.

लखनऊ: देश में कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ रहा है. राजधानी लखनऊ में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. इस बात का सबसे अधिक डर औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को सता रहा है.

50 फीसदी कम हुई मजदूरों की संख्या
देश भर में होटल, व्यवसाय और शिक्षण संस्थान बंद हैं. इन सबके बंद होने से अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है. इसके परिणाम स्वरूप बड़े पैमाने पर लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है. वहीं औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों को कहीं न कहीं डर सता रहा है कि वे भी कहीं कोरोना से संक्रमित न हो जाएं. राजधानी लखनऊ में भी कमोबेश यही हाल है. यहां औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों की संख्या करीब 50 फीसद तक कम हो गई है. वहीं प्रोडक्शन की अगर बात करें तो इस पर भी बुरा असर दिखाई पड़ रहा है.

लोगों की बदली धारणा
कोरोना महामारी के चलते वैश्विक स्वास्थ्य संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. अब अधिकतर लोगों को लिए लॉकडाउन नया नियम बन रहा है. लोगों की यह धारणा बन रही है कि आने वाले समय में जब तक जीना होगा, कोरोना के खौफ में ही जीना पड़ेगा. ऐसे में दुनिया की सूरत हमेशा के लिए बदली हुई नजर आएगी.

कोरोना का इंडस्ट्री पर असर.
मजदूरों को सता रहा डर
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूरों और परिजनों को डर सता रहा है. ये लोग अभी भी घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं. उन्होंने कहा कि समस्या बहुत बड़ी है, यह आज की नहीं बल्कि एक या दो साल ऐसे ही चलेगी. प्रदेश सरकार के लागू किए गए सभी नियमों का पालन सभी फैक्ट्रियों में किया जा रहा है. सभी मजदूरों से मास्क लगाने को कहा गया है. फैक्ट्री परिसर में सैनिटाइजेशन भी कराया जा रहा है. इसके अलावा मजदूरों को हाथ सैनिटाइज करने की सलाह भी दी जा रही है.

3 बार होती है थर्मल स्कैनिंग
मनमोहन अग्रवाल ने बताया कि सभी फैक्ट्रियों में दिन में तीन बार मजदूरों की थर्मल स्कैनिंग कराए जाने की व्यवस्था की गई है. पहली बार जब मजदूर फैक्ट्री में आते हैं, दूसरी बार दोपहर में और तीसरी बार घर वापस जाते समय की जाती है. इसके सभी डाटा सुरक्षित रखे जा रहे हैं.

प्रोडक्शन पर पड़ा बुरा असर
मनमोहन अग्रवाल ने जानकारी दी कि जब से कोरोना काल शुरू हुआ है, तभी से सभी फैक्ट्रियों के प्रोडक्शन पर बुरा असर पड़ा है. जब लॉकडाउन लगा था, तब प्रोडक्शन सिर्फ 20 से 25% हुआ था. वहीं जब स्थिति कुछ सुधरी तो यह बढ़कर 30 से 40 फीसदी हो गया है. उन्होंने कहा कि खर्चे में कमी नहीं हुई हैं, बल्कि यह बोझ बनता जा रहा है.

इंडस्ट्री के बहुत बुरे हाल
मनमोहन अग्रवाल ने कहा कि कोरोना की वजह से स्थिति बहुत ही खराब है. इस वजह से इंडस्ट्री इतनी जल्दी उबर नहीं पाएगी. इस महामारी से इंडस्ट्री को उबरने में कम से कम 1 से 2 साल का समय लगेगा. साथ ही जिन लोगों ने कर्ज ले रखा है, कभी न कभी उनको वापस करना ही पड़ेगा, जो कि अपने आप में एक चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि कभी सोचा नहीं था कि फैक्ट्री में मजदूरों को दूर-दूर खड़ा करना पड़ेगा. आज हालात ऐसे हैं कि लोगों के मन में डर बढ़ता ही जा रहा है.
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