लखनऊ: योगी सरकार सेना के जवानों के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. उत्तर प्रदेश में द्वितीय श्रेणी की सभी नौकरियों में भूतपूर्व सैनिकों को पांच प्रतिशत का आरक्षण देने का निर्णय लिया है. इसके लिए सरकार भूतपूर्व सैनिकों को समूह 'ख' के पदों पर पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण अनुमन्य किए जाने के लिए अधिनियम में संशोधन करेगी. इसका लाभ यूपी के निवासी सैनिकों को ही दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा अधिनियम-1993 की धारा (1) खंड (एक-क) में संशोधन की कार्यवाही के लिए अनुमति प्रदान की है. उत्तर प्रदेश के मूल निवासी तीनों भारतीय सेना के भूतपूर्व सैनिकों को राज्य सरकार के अधीन समूह 'ख' पदों में पांच प्रतिशत आरक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है. यह आरक्षण प्रत्येक श्रेणी में क्षैतिज (होरिजेंटल) रूप से दिया जाएगा.
इसकी जानकारी देते हुए शनिवार को राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश वह प्रांत है, जहां से सर्वाधिक लोग सेना में जाते हैं. राज्य में बड़ी संख्या में पूर्व सैनिक निवास करते हैं. वर्तमान प्रदेश सरकार सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों एवं उनके परिवार के कल्याण के लिए संवेदनशील है. उत्तर प्रदेश के मूल निवासी भारतीय सेना, केंद्रीय अर्धसैनिक बलों, प्रदेश के अर्धसैनिक बलों के शहीद के परिवार को दी जा रही 25 लाख की अनुग्रह आर्थिक सहायता राशि बढ़ाकर 50 लाख रुपये की गई है.
प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शहीद सैनिकों के आश्रितों को सेवायोजित किए जाने की व्यवस्था भी की गई है. इस संबंध में सशस्त्र सेना के तीनों सेनाओं और अर्धसैनिक बलों में कार्यरत रहते हुए कर्तव्य पालन के दौरान एक अप्रैल 2017 के पश्चात शहीद होने वाले सैनिकों व अर्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए 19 मार्च 2018 को उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में कार्यकारी आदेश जारी किया गया.
प्रवक्ता ने बताया कि इससे पूर्व शहीद सैनिकों एवं अर्धसैनिक बलों के आश्रितों को शासकीय सेवा में लिए जाने की व्यवस्था नहीं थी. वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के वीरता पुरस्कारों से सम्मानित पदक विजेताओं को एकमुश्त व वार्षिकी उच्च दरों से दी जा रही है.