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गायब हो गए यूपी के 44 हजार से ज्यादा तालाब

तालाब, जो हमारे इतिहास की गवाही देते हैं, जिनका होना हमारा रहन-सहन बताता है, जिनके किनारे रिश्तों की कई कहानियां गढ़ी गई हैं. उन तालाबों का वजूद खोता जा रहा है. आप ये जानकर हैरान होंगे कि उत्तर प्रदेश में 44,317 तालाब ही गायब हो गए हैं. दरअसल जमीन के लालच में लोग तालाबों को ही निगल गए.

तो गायब हो गए यूपी के 44 हजार से ज्यादा तालाब
तो गायब हो गए यूपी के 44 हजार से ज्यादा तालाब
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Published : Nov 21, 2020, 12:17 PM IST

Updated : Nov 21, 2020, 5:46 PM IST

लखनऊ: जमीन के लिए हमारी भूख ने तालाबों को निगल लिया है. लोगों की लालच और लापरवाही ने पानी के 44 हजार स्त्रोत खो दिए हैं. वे तालाब जो न सिर्फ लोगों की प्यास बुझाते बल्कि सिंचाई और निस्तारण का बड़ा जरिया होते हमने उनका वजूद ही खत्म कर दिया है. यूं तो हमारे प्रदेश में कागजों पर 7 लाख से ज्यादा तालाब-पोखर हैं. राजस्व विभाग के आंकड़े कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 7,06,145 तालाब हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में सिर्फ 6,61,828 तालाब ही बचे हैं. 44,317 तालाबों पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है.

सन 1952 के राजस्व अभिलेखों में उत्तर प्रदेश में 7,06,145 तालाब दर्ज हैं.

प्रदेश में तालाबों की स्थिति
सन 1952 से राजस्व अभिलेखों में 7,06,145 तालाब दर्ज हैं. राजस्व अभिलेखों में दर्ज इन तालाबों में से 44,317 तालाबों पर वर्तमान में भी अवैध कब्जे मौजूद हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में शासन के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. इन तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के बाद तालाबों की खोदाई कर पुनर्जीवित किया गया है. वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में दर्ज 7,06,145 तालाबों में से 6,61,828 तालाब अतिक्रमण मुक्त हैं. आंकड़े तो यही कहते हैं, लेकिन धरातल पर तालाबों के खत्म होने की हकीकत और भी भयावह है.

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बड़े शहरों में तालाबों पर कब्जे के मामले और भी ज्यादा हैं.

तालाबों के खत्म होने का नुकसान

गंगा-यमुना के दोआब की जमीन भी आज सूखे की चपेट में है. भूजल स्तर हर साल गिरता जा रहा है और तालाब खत्म होते जा रहे हैं, जो ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के सबसे बढ़िया साधन थे. पहला उदाहरण तो बुंदेलखंड का ही है, जहां कि सूखी धरती पर ये तालाब ही थे जिन्होंने जीवन की आस बनाए रखी, जैसे-जैसे तालाब खोते गए बुंदेलखंड पलायन की गर्त में समा गया. राज्य में भू जल स्तर लगातार गिर रहा है. कुएं तक सूखने लगे हैं. पानी के लिए बोरिंग की गहराई बढ़ती जा रही है और बढ़ता जा रहा है सूखे का कहर. हालांकि इसकी विकरालता पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में ज्यादा देखने को मिल रही है.

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सरकारी आंकड़े कहते हैं कि यूपी के 5 जिलों में किसी भी तालाब पर अतिक्रमण नहीं हुआ है.

एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन

प्रदेश भर में हो रहे जमीनों के कब्जों की खबरों के बाद देर से ही सही पर सरकार जागी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन किया. इस अभियान के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई. अधिकारियों का दावा है कि 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. तमाम कार्रवाइयों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी तालाब पर अवैध कब्जे हैं.

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प्रदेश के हर जिले में लोगों ने तालाबों पर कब्जा कर रखा है.
राजधानी लखनऊ में की गई प्रभावी कार्रवाई
तालाबों पर कब्जे राजधानी लखनऊ में भी हुए हैं. राजस्व अभिलेखों के अनुसार, लखनऊ में 11,269 तालाब हैं. इनमें से 1592 तालाबों पर अवैध कब्जे हैं. बीते कुछ वर्षों में राजधानी लखनऊ में प्रभावी कार्रवाई करते हुए तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई. अधिकारी कहते हैं कि राजधानी लखनऊ में 102 तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें पुनर्जीवित किया गया है.

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उत्तर प्रदेश में मौजूदा वक्त में सिर्फ 6,61,828 तालाब ही बचे हैं.

लखनऊ की बड़ी कार्रवाइयां

  1. राजधानी लखनऊ की मलिहाबाद तहसील के अंतर्गत 8 बीघे में फैली ससपन झील से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है. झील पर अवैध कॉलोनी का निर्माण किया गया था. बीते दिनों जिला प्रशासन ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है.
  2. राजधानी लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली झील को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्रवाई की गई है. इस समय झील की खोदाई का काम चल रहा है और झील से निकलने वाली मिट्टी का प्रयोग हाईवे के निर्माण में किया जा रहा है.
  3. बिजनौर में 15 हेक्टेयर में फैले तालाब पर अतिक्रमण हो गया था. बीते दिन इस तालाब से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है. तालाब को पाट कर यहां पर अवैध तौर पर प्लाटिंग कर दी गई थी. अब इस तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है.

वर्ष 2001 में हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किया था कि सरकारी तालाबों पर अवैध कब्जे नहीं हो सकते, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में लगातार तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है. वर्ष 1952 के अभिलेखों के तहत उत्तर प्रदेश में 7,60,000 तालाब दर्ज थे, वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 6,62,000 तालाब मौजूद हैं, जिनमें से भारी संख्या में तालाबों को रिस्टोर किया गया है. अन्य तालाबों को लेकर भी प्रभावी कार्यवाही की जा रही है.

दीपक त्रिवेदी, चेयरमैन, राजस्व परिषद

लखनऊ: जमीन के लिए हमारी भूख ने तालाबों को निगल लिया है. लोगों की लालच और लापरवाही ने पानी के 44 हजार स्त्रोत खो दिए हैं. वे तालाब जो न सिर्फ लोगों की प्यास बुझाते बल्कि सिंचाई और निस्तारण का बड़ा जरिया होते हमने उनका वजूद ही खत्म कर दिया है. यूं तो हमारे प्रदेश में कागजों पर 7 लाख से ज्यादा तालाब-पोखर हैं. राजस्व विभाग के आंकड़े कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में 7,06,145 तालाब हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में सिर्फ 6,61,828 तालाब ही बचे हैं. 44,317 तालाबों पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है.

सन 1952 के राजस्व अभिलेखों में उत्तर प्रदेश में 7,06,145 तालाब दर्ज हैं.

प्रदेश में तालाबों की स्थिति
सन 1952 से राजस्व अभिलेखों में 7,06,145 तालाब दर्ज हैं. राजस्व अभिलेखों में दर्ज इन तालाबों में से 44,317 तालाबों पर वर्तमान में भी अवैध कब्जे मौजूद हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों में शासन के निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. इन तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के बाद तालाबों की खोदाई कर पुनर्जीवित किया गया है. वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में दर्ज 7,06,145 तालाबों में से 6,61,828 तालाब अतिक्रमण मुक्त हैं. आंकड़े तो यही कहते हैं, लेकिन धरातल पर तालाबों के खत्म होने की हकीकत और भी भयावह है.

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बड़े शहरों में तालाबों पर कब्जे के मामले और भी ज्यादा हैं.

तालाबों के खत्म होने का नुकसान

गंगा-यमुना के दोआब की जमीन भी आज सूखे की चपेट में है. भूजल स्तर हर साल गिरता जा रहा है और तालाब खत्म होते जा रहे हैं, जो ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के सबसे बढ़िया साधन थे. पहला उदाहरण तो बुंदेलखंड का ही है, जहां कि सूखी धरती पर ये तालाब ही थे जिन्होंने जीवन की आस बनाए रखी, जैसे-जैसे तालाब खोते गए बुंदेलखंड पलायन की गर्त में समा गया. राज्य में भू जल स्तर लगातार गिर रहा है. कुएं तक सूखने लगे हैं. पानी के लिए बोरिंग की गहराई बढ़ती जा रही है और बढ़ता जा रहा है सूखे का कहर. हालांकि इसकी विकरालता पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड में ज्यादा देखने को मिल रही है.

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सरकारी आंकड़े कहते हैं कि यूपी के 5 जिलों में किसी भी तालाब पर अतिक्रमण नहीं हुआ है.

एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन

प्रदेश भर में हो रहे जमीनों के कब्जों की खबरों के बाद देर से ही सही पर सरकार जागी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए एंटी भू माफिया स्क्वॉड का गठन किया. इस अभियान के तहत पूरे उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर कार्रवाई की गई. अधिकारियों का दावा है कि 42,717 तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है. तमाम कार्रवाइयों के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर सरकारी तालाब पर अवैध कब्जे हैं.

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प्रदेश के हर जिले में लोगों ने तालाबों पर कब्जा कर रखा है.
राजधानी लखनऊ में की गई प्रभावी कार्रवाई
तालाबों पर कब्जे राजधानी लखनऊ में भी हुए हैं. राजस्व अभिलेखों के अनुसार, लखनऊ में 11,269 तालाब हैं. इनमें से 1592 तालाबों पर अवैध कब्जे हैं. बीते कुछ वर्षों में राजधानी लखनऊ में प्रभावी कार्रवाई करते हुए तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई. अधिकारी कहते हैं कि राजधानी लखनऊ में 102 तालाबों को अतिक्रमण मुक्त कराकर उन्हें पुनर्जीवित किया गया है.

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उत्तर प्रदेश में मौजूदा वक्त में सिर्फ 6,61,828 तालाब ही बचे हैं.

लखनऊ की बड़ी कार्रवाइयां

  1. राजधानी लखनऊ की मलिहाबाद तहसील के अंतर्गत 8 बीघे में फैली ससपन झील से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है. झील पर अवैध कॉलोनी का निर्माण किया गया था. बीते दिनों जिला प्रशासन ने प्रभावी कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की है.
  2. राजधानी लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में 52 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली झील को अतिक्रमण से मुक्त कराने की कार्रवाई की गई है. इस समय झील की खोदाई का काम चल रहा है और झील से निकलने वाली मिट्टी का प्रयोग हाईवे के निर्माण में किया जा रहा है.
  3. बिजनौर में 15 हेक्टेयर में फैले तालाब पर अतिक्रमण हो गया था. बीते दिन इस तालाब से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की गई है. तालाब को पाट कर यहां पर अवैध तौर पर प्लाटिंग कर दी गई थी. अब इस तालाब को पुनर्जीवित करने के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दिया गया है.

वर्ष 2001 में हिंचलाल तिवारी बनाम कमला देवी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश जारी किया था कि सरकारी तालाबों पर अवैध कब्जे नहीं हो सकते, जिसके बाद उत्तर प्रदेश में लगातार तालाबों से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है. वर्ष 1952 के अभिलेखों के तहत उत्तर प्रदेश में 7,60,000 तालाब दर्ज थे, वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 6,62,000 तालाब मौजूद हैं, जिनमें से भारी संख्या में तालाबों को रिस्टोर किया गया है. अन्य तालाबों को लेकर भी प्रभावी कार्यवाही की जा रही है.

दीपक त्रिवेदी, चेयरमैन, राजस्व परिषद

Last Updated : Nov 21, 2020, 5:46 PM IST
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