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8 महीने में दुष्कर्म के 42,000 मामले दर्ज, महिला अपराध पर कैसे लगेगी लगाम - यूपी में महिला अपराध के केस

भारत को आजाद हुए 72 वर्ष हो गए हैं, लेकिन एक सवाल हमेशा बना रहता है कि क्या हमारे समाज की महिलाएं स्वतंत्र और सुरक्षित हैं, क्योंकि जिस तरह आए दिन दुष्कर्म की घटनाएं होती रहती हैं, उससे तो यही लगता है कि सरकार ने सिर्फ कागजों पर ही महिला सशक्तीकरण का बीड़ा उठाया है.

बृजलाल, पूर्व डीजीपी
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Published : Aug 14, 2019, 1:11 PM IST

लखनऊ: 1947 में भारत को अंग्रेजों से पूरी तरीके से आजादी मिल गई थी. आजादी मिलते ही हमें अंग्रेजी हुकूमत के शोषण और अत्याचार से भी आजादी मिल गई. अब हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. जहां एक ओर हमें अंग्रेजों से आजादी मिलने की खुशी है तो वहीं दूसरी ओर इस बात की निराशा है कि आज भी हमारे देश में महिलाओं को अत्याचार, शोषण और अपराध से पूरी तरीके से आजादी नहीं मिल पाई है.

जानकारी देते पूर्व डीजीपी बृजलाल.

महिलाओं की आजादी पर उठ रहे हैं सवाल
आज भी बड़े पैमाने पर महिलाओं को आपराधिक घटनाओं का सामना करना पड़ता है. पिछले दिनों कोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार पिछले आठ महीनों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 42,000 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही महिलाओं की आजादी है.

ये भी पढ़े:- लखनऊ: 15 अगस्त को लेकर चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर बढ़ाई गई सुरक्षा

महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोकने में असफल रही पुलिस-
आजादी के 72 वर्ष बाद भी महिलाओं को अपराधों से पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है. महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की घटनाओं के पीछे कारणों को जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कोई तंत्र ही मौजूद नहीं है. भले ही हमारे पास बड़ी संख्या में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए कानून मौजूद हो, लेकिन यह सभी कानून घटनाओं के बाद प्रभावी हैं. वहीं दूसरी ओर हमारे समाज में लंबे समय तक महिलाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयास नहीं किए गए.

महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए उनकी पढ़ाई-लिखाई और सामाजिक स्वतंत्रता अनिवार्य है. जब महिलाएं सशक्त हो जाएंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तो वह अपने प्रति होने वाले अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएंगी और उन अपराधों के बदले जवाब भी दे सकेंगी.
-बृजलाल, पूर्व डीजीपी

लखनऊ: 1947 में भारत को अंग्रेजों से पूरी तरीके से आजादी मिल गई थी. आजादी मिलते ही हमें अंग्रेजी हुकूमत के शोषण और अत्याचार से भी आजादी मिल गई. अब हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं. जहां एक ओर हमें अंग्रेजों से आजादी मिलने की खुशी है तो वहीं दूसरी ओर इस बात की निराशा है कि आज भी हमारे देश में महिलाओं को अत्याचार, शोषण और अपराध से पूरी तरीके से आजादी नहीं मिल पाई है.

जानकारी देते पूर्व डीजीपी बृजलाल.

महिलाओं की आजादी पर उठ रहे हैं सवाल
आज भी बड़े पैमाने पर महिलाओं को आपराधिक घटनाओं का सामना करना पड़ता है. पिछले दिनों कोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार पिछले आठ महीनों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 42,000 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही महिलाओं की आजादी है.

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महिलाओं के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं को रोकने में असफल रही पुलिस-
आजादी के 72 वर्ष बाद भी महिलाओं को अपराधों से पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है. महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की घटनाओं के पीछे कारणों को जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कोई तंत्र ही मौजूद नहीं है. भले ही हमारे पास बड़ी संख्या में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए कानून मौजूद हो, लेकिन यह सभी कानून घटनाओं के बाद प्रभावी हैं. वहीं दूसरी ओर हमारे समाज में लंबे समय तक महिलाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयास नहीं किए गए.

महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जिसके लिए उनकी पढ़ाई-लिखाई और सामाजिक स्वतंत्रता अनिवार्य है. जब महिलाएं सशक्त हो जाएंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तो वह अपने प्रति होने वाले अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएंगी और उन अपराधों के बदले जवाब भी दे सकेंगी.
-बृजलाल, पूर्व डीजीपी

Intro:नोट- स्वतंत्रता दिवस के लिए दिए गए प्लान की स्पेशल खबर, सर कृपया स्पेशल टैग के साथ चलाएं

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लखनऊ। वर्ष 1947 में भारत को अंग्रेजी शासन से पूरी तरीके से आजादी मिल गई। आजादी मिलते ही हमें अंग्रेजी हुकूमत के शोषण व अत्याचार से भी आजादी मिल गई। अब हम 73वं स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहे हैं। जहां एक और हमें अंग्रेजों से आजादी मिलने की खुशी है वहीं दूसरी ओर इस बात की निराशा भी है कि आज भी हमारे देश की महिलाएं अत्याचार शोषण अपराध से पूरी तरीके से आजाद नहीं हो पाई है। आज भी बड़े पैमाने पर महिलाओं को आपराधिक घटनाओं का सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों कोर्ट में दाखिल एक याचिका के अनुसार पिछले 8 महीनों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 42000 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई हैं ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही महिलाओं की आजादी है?


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आजादी के 73 साल बाद भी महिलाओं को अपराधों से पूरी तरह से स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों की घटनाओं के पीछे कारणों को जानने के लिए जब हमने पड़ताल की तो पता चला कि उत्तर प्रदेश पुलिस के पास महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए कोई तंत्र ही मौजूद नहीं है भले ही हमारे पास बड़ी संख्या में महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए कानून मौजूद हो लेकिन यह सभी कानून घटनाओं के बाद प्रभावी हैं। घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन के पास कोई तंत्र मौजूद नहीं है वहीं दूसरी ओर हमारे समाज में लंबे समय तक महिलाओं को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रयास नहीं किए गए जिसके चलते आज भी महिलाओं में पिछड़ापन पाया जाता है हालांकि पिछले कुछ दशकों में इसमें सुधार जरूर आया है लेकिन अभी भी पूरी तरीके से सुधार नहीं हो सका है इन्हीं कारणों के चलते आजादी कि 73 साल भी महिलाएं अपराधों से पूरी तरह से आजाद नहीं हो पाई हैं।


महिलाओं की स्थिति व आजादी के बारे में जब पूर्व डीजीपी बृजलाल से हमने बातचीत की तो बृजलाल ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की आवश्यकता है जिसके लिए उनकी पढ़ाई-लिखाई व सामाजिक स्वतंत्रता अनिवार्य है जब महिलाएं सशक्त हो जाएंगी और अपने पैरों पर खड़ी होंगी तो वह अपने प्रति होने वाले अपराधों के खिलाफ आवाज उठाएंगी और उन अपराधों के बदले जवाब भी दे सकेंगे वहीं बृजलाल ने बताया कि हमें समाज इस दिशा की ओर होना चाहिए कि महिलाओं उप बराबरी का हक दिया जाए उन्हें सशक्त बनाया जाए वही महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोकने के लिए पुलिस को एक ऐसी योजना तैयार करनी चाहिए जिससे सामाजिक तालमेल बिठाकर महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोका जा सके।


Conclusion:संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26
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