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विश्व प्रकृति दिवस आज : प्रकृति को जलवायु परिवर्तन से बचाना एक बड़ी चुनौती - जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती

तीन अक्टूबर को विश्व प्रकृति दिवस (World Nature day) के रूप में मनाया जाता है. प्रकृति में हो रहे प्रदूषणों के कारण जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन गया है. वर्तमान में कोई भी मानसून अपने निर्धारित माह के हिसाब से नहीं आ रहा है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 3, 2023, 8:44 PM IST

पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी

लखनऊ : प्रकृति में हो रहे प्रदूषणों के कारण जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन गया है. वर्तमान में कोई भी मानसून अपने निर्धारित माह के हिसाब से नहीं आ रहा है. विश्व प्रकृति दिवस का उद्देश्य यह है की आने वाली पीढ़ी प्रकृति के महत्व को समझे और इसे संरक्षित करने के लिए आगे बढ़े. जब प्रकृति में सारी व्यवस्थाएं उसके अनुकूल रहेंगी तो मानव जीवन के लिए कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं होगी. भूमंडल, वायुमंडल, जलमंडल यह तीनों मानव के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. जब प्रकृति हरी भरी होगी तो शुद्ध हवा और शुद्ध जल की प्राप्ति होगी. प्रकृति दिवस व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को एक साथ आने और बदलाव लाने के लिए अवसर प्रदान करता है.

विश्व प्रकृति दिवस आज
विश्व प्रकृति दिवस आज

'आजीविका के लिए वन हैं जरूरी' : पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि 'हर साल विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य इतना है कि ताकि हम अपनी प्रकृति को संरक्षित रख सकें. उन्होंने कहा कि प्रकृति है तो हम हैं. प्रकृति से ही हमें भोजन-पानी और जीवन है. प्रकृति से हमें जीने के सारे संसाधन प्राप्त हो रहे हैं और अगर प्रकृति जीवित नहीं रहेगी तो हम सभी का जीवन तहस-नहस हो जाएगा. वर्तमान में स्थिति बहुत खराब होती जा रही है. प्रकृति से हमें जीने की सारी चीज मिल रही है. अगर वह संरक्षित नहीं रहेगा तो जीवन कैसे चलेगा. आज हमारे सामने प्रकृति संरक्षण के संबंध में बहुत सी चुनौतियां सामने आ रही हैं. जंगल कटते जा रहे हैं. नदियां सूखती जा रही हैं. वायुमंडल और जल प्रदूषण होता जा रहा है, यानी कि जीवन के जितने साधन हैं वह या तो समाप्त हो रहा है या प्रदूषित हो रहा है या फिर उनकी गुणवत्ता खराब हो रही है. प्रकृति को बचाने के लिए हमें इसकी रक्षा करनी होगी अगर मानवता को बचाए रखना है.

पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी
पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी

भूमंडल, जलमंडल व वायुमंडल के बिना जीवन संभव नहीं : उन्होंने कहा कि 'हम सभी को मालूम है कि प्रकृति के तीन अवयव होते हैं. जिसे घटक के नाम से जाना जाता है. जिसमें भूमंडल, जल मंडल और वायुमंडल शामिल हैं. इन तीनों को बचाने का दायित्व हम सभी का है. भूमंडल से हमें भोजन मिलता है. जलमंडल से हमें पानी मिलता है और वायुमंडल से हमें शुद्ध हवा मिलती है. इन्हीं तीनों घातक से हमारा जीवन चलता है. इन तीनों चीजों को हमें संजो के चलना है और तीनों की रक्षा करनी है.'

विश्व प्रकृति दिवस आज
विश्व प्रकृति दिवस आज

प्रकृति की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती : उन्होंने कहा कि 'वर्तमान में प्रकृति की सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती हो गई है. यदि यह तीनों इसी तरह दिन-ब-दिन प्रदूषित होते रहे तो मानव जीवन की कल्पना करना संभव नहीं होगा. सोचने वाली बात है कि किस तरह से प्रकृति को संरक्षित किया जा सकता है. हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पर जीवन संभव है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पर पानी है और वायु है. इसके अलावा अन्य किसी ग्रह या उपग्रह पर अभी तक यह खोज में नहीं पता चला है कि वहां वायु और पानी दोनों की उपस्थिति हो. उन्होंने कहा कि हम ऐसे उपग्रह पर हैं जहां पर हमें यह दोनों ही चीज उपलब्ध हैं. अगर इन दोनों ही चीजों की रक्षा हम नहीं करेंगे तो जीवन सफल नहीं होगा. इसलिए हमें मिलकर के प्रकृति को बचाना है. इसी को संदेश देने के लिए विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है ताकि आम जनता प्रकृति के महत्व को समझें और अपने दायित्व का पालन करें.'

'वन है तो पानी है, वन है तो शुद्ध हवा है' : उन्होंने कहा कि अगर पृथ्वी पर रह रहे लोगों को एक क्षण भी हवा न मिल सके या फिर ऐसी हवा प्राप्त हो जो बुरी तरह से प्रदूषित हो तो आप कितने समय तक जीवित रह सकेंगे. इसके अलावा भूगर्भ का दोहन लगातार हो रहा है. ऐसे में भूगर्भ से पानी समाप्त होने के कगार पर है. नदियां सूखती जा रही हैं. इनको अगर हम संजोकर नहीं रखेंगे तो हमारा जीवन कैसे संभव होगा. उन्होंने कहा कि इस बार विश्व प्रकृति दिवस की जो थीम रखी गई है वह वन और आजीविका है. वन और आजीविका में कितना गहरा संबंध है. यह हम सभी को भली भांति मालूम है. लाखों करोड़ों लोगों की आजीविका सीधे वन पर आधारित है. वे वन से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लकड़ियां, फल, फूल इत्यादि ले रहे हैं. जिससे उनका जीवन चलता है. वहीं अगर अप्रत्यक्ष तौर पर देखा जाए तो किसी को कुछ पूछने की आवश्यकता ही नहीं है. क्योंकि अगर वन है तो हमारा जीवन है. हमें खाने के लिए अन्य प्राप्त हो रहा है. वन है तो पानी है. वन है तो शुद्ध हवा है. इसलिए जरूरी है कि प्रकृति को बचाएं.

'होती है कैंसर जैसी बीमारियां' : केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि 'सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होंगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाए तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है, वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था जिसे आप एसपीएम कहते हैं. अगर आप कंडे जला रहे हैं, उपले जला रहे हैं, लकड़ी जला रहे हैं और जो परिवहन व्यवस्था है हमारी उससे भी उत्सर्जित होता है. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.'

शहर में दौड़ रहे लाखों वाहन : वनों के विनाश, उद्योग, कल कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु और ध्वनि प्रदूषण का कारक माना जा रहा है. शहर में दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न से उत्पन्न होने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 21,23, 813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. इस प्रकार से राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

यह भी पढ़ें : विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस-2021: काशी की ये महिला अनोखे तरीके से कर रही प्रकृति का संरक्षण

यह भी पढ़ें : जनकल्याण के लिए जरूरी है पर्यावरण संरक्षण के उपाय अपनाना

पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी

लखनऊ : प्रकृति में हो रहे प्रदूषणों के कारण जलवायु परिवर्तन एक बड़ी चुनौती बन गया है. वर्तमान में कोई भी मानसून अपने निर्धारित माह के हिसाब से नहीं आ रहा है. विश्व प्रकृति दिवस का उद्देश्य यह है की आने वाली पीढ़ी प्रकृति के महत्व को समझे और इसे संरक्षित करने के लिए आगे बढ़े. जब प्रकृति में सारी व्यवस्थाएं उसके अनुकूल रहेंगी तो मानव जीवन के लिए कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं होगी. भूमंडल, वायुमंडल, जलमंडल यह तीनों मानव के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. जब प्रकृति हरी भरी होगी तो शुद्ध हवा और शुद्ध जल की प्राप्ति होगी. प्रकृति दिवस व्यक्तियों, संगठनों और सरकारों को एक साथ आने और बदलाव लाने के लिए अवसर प्रदान करता है.

विश्व प्रकृति दिवस आज
विश्व प्रकृति दिवस आज

'आजीविका के लिए वन हैं जरूरी' : पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने बताया कि 'हर साल विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है. इसे मनाने का उद्देश्य इतना है कि ताकि हम अपनी प्रकृति को संरक्षित रख सकें. उन्होंने कहा कि प्रकृति है तो हम हैं. प्रकृति से ही हमें भोजन-पानी और जीवन है. प्रकृति से हमें जीने के सारे संसाधन प्राप्त हो रहे हैं और अगर प्रकृति जीवित नहीं रहेगी तो हम सभी का जीवन तहस-नहस हो जाएगा. वर्तमान में स्थिति बहुत खराब होती जा रही है. प्रकृति से हमें जीने की सारी चीज मिल रही है. अगर वह संरक्षित नहीं रहेगा तो जीवन कैसे चलेगा. आज हमारे सामने प्रकृति संरक्षण के संबंध में बहुत सी चुनौतियां सामने आ रही हैं. जंगल कटते जा रहे हैं. नदियां सूखती जा रही हैं. वायुमंडल और जल प्रदूषण होता जा रहा है, यानी कि जीवन के जितने साधन हैं वह या तो समाप्त हो रहा है या प्रदूषित हो रहा है या फिर उनकी गुणवत्ता खराब हो रही है. प्रकृति को बचाने के लिए हमें इसकी रक्षा करनी होगी अगर मानवता को बचाए रखना है.

पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी
पर्यावरणविद् वीपी श्रीवास्तव ने जानकारी दी

भूमंडल, जलमंडल व वायुमंडल के बिना जीवन संभव नहीं : उन्होंने कहा कि 'हम सभी को मालूम है कि प्रकृति के तीन अवयव होते हैं. जिसे घटक के नाम से जाना जाता है. जिसमें भूमंडल, जल मंडल और वायुमंडल शामिल हैं. इन तीनों को बचाने का दायित्व हम सभी का है. भूमंडल से हमें भोजन मिलता है. जलमंडल से हमें पानी मिलता है और वायुमंडल से हमें शुद्ध हवा मिलती है. इन्हीं तीनों घातक से हमारा जीवन चलता है. इन तीनों चीजों को हमें संजो के चलना है और तीनों की रक्षा करनी है.'

विश्व प्रकृति दिवस आज
विश्व प्रकृति दिवस आज

प्रकृति की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती : उन्होंने कहा कि 'वर्तमान में प्रकृति की सुरक्षा करना एक बड़ी चुनौती हो गई है. यदि यह तीनों इसी तरह दिन-ब-दिन प्रदूषित होते रहे तो मानव जीवन की कल्पना करना संभव नहीं होगा. सोचने वाली बात है कि किस तरह से प्रकृति को संरक्षित किया जा सकता है. हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां पर जीवन संभव है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यहां पर पानी है और वायु है. इसके अलावा अन्य किसी ग्रह या उपग्रह पर अभी तक यह खोज में नहीं पता चला है कि वहां वायु और पानी दोनों की उपस्थिति हो. उन्होंने कहा कि हम ऐसे उपग्रह पर हैं जहां पर हमें यह दोनों ही चीज उपलब्ध हैं. अगर इन दोनों ही चीजों की रक्षा हम नहीं करेंगे तो जीवन सफल नहीं होगा. इसलिए हमें मिलकर के प्रकृति को बचाना है. इसी को संदेश देने के लिए विश्व प्रकृति दिवस मनाया जाता है ताकि आम जनता प्रकृति के महत्व को समझें और अपने दायित्व का पालन करें.'

'वन है तो पानी है, वन है तो शुद्ध हवा है' : उन्होंने कहा कि अगर पृथ्वी पर रह रहे लोगों को एक क्षण भी हवा न मिल सके या फिर ऐसी हवा प्राप्त हो जो बुरी तरह से प्रदूषित हो तो आप कितने समय तक जीवित रह सकेंगे. इसके अलावा भूगर्भ का दोहन लगातार हो रहा है. ऐसे में भूगर्भ से पानी समाप्त होने के कगार पर है. नदियां सूखती जा रही हैं. इनको अगर हम संजोकर नहीं रखेंगे तो हमारा जीवन कैसे संभव होगा. उन्होंने कहा कि इस बार विश्व प्रकृति दिवस की जो थीम रखी गई है वह वन और आजीविका है. वन और आजीविका में कितना गहरा संबंध है. यह हम सभी को भली भांति मालूम है. लाखों करोड़ों लोगों की आजीविका सीधे वन पर आधारित है. वे वन से अपना जीवन यापन कर रहे हैं. लकड़ियां, फल, फूल इत्यादि ले रहे हैं. जिससे उनका जीवन चलता है. वहीं अगर अप्रत्यक्ष तौर पर देखा जाए तो किसी को कुछ पूछने की आवश्यकता ही नहीं है. क्योंकि अगर वन है तो हमारा जीवन है. हमें खाने के लिए अन्य प्राप्त हो रहा है. वन है तो पानी है. वन है तो शुद्ध हवा है. इसलिए जरूरी है कि प्रकृति को बचाएं.

'होती है कैंसर जैसी बीमारियां' : केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि 'सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होंगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाए तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है, वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था जिसे आप एसपीएम कहते हैं. अगर आप कंडे जला रहे हैं, उपले जला रहे हैं, लकड़ी जला रहे हैं और जो परिवहन व्यवस्था है हमारी उससे भी उत्सर्जित होता है. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.'

शहर में दौड़ रहे लाखों वाहन : वनों के विनाश, उद्योग, कल कारखाने, खनन के साथ-साथ परिवहन को भी वायु और ध्वनि प्रदूषण का कारक माना जा रहा है. शहर में दौड़ रहे वाहनों में लगे हॉर्न से उत्पन्न होने वाली आवाजें ध्वनि प्रदूषण में इजाफा कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 21,23, 813 पुराने वाहन और करीब 2,03,584 ट्रांसपोर्ट वाहन हैं. लखनऊ में पंजीकृत वाहनों में ट्रांसपोर्ट वाहन करीब 14,223, नॉन ट्रांसपोर्ट गाड़ियां 3,32,067 हैं. इस प्रकार से राजधानी में कुल वाहनों की संख्या 3,46,290 है.

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