लखनऊः कोरोना से निपटने के लिए पूर्वोत्तर रेलवे प्रशासन ने ट्रेन के डिब्बों को आइसोलेशन कोच में तब्दील करना शुरू कर दिया है. पूर्वोत्तर रेलवे की कोचिंग डिपो में डिब्बों को आइसोलेशन वार्ड में बदला जा रहा है. 4 दिन में ही रेलवे ने 25 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदल दिया है, जबकि अगले 3 दिन में शेष 25 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड बना दिया जाएगा. इसके बाद इन बोगियों का इस्तेमाल कोरोना पीड़ितों के इलाज में किया जा सकेगा.
पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के ऐशबाग कोचिंग डिपो में इन दिनों रेल की बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का काम तेजी से चल रहा है. आइसोलेशन वार्ड में पारदर्शी प्लास्टिक पर्दे लगे हैं. हर कोच में बने आइसोलेशन वार्ड में पहला केबिन डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के लिए बनाया गया है. इसमें मरीजों के लिए ऑक्सीजन की सुविधा, दवाएं और उपकरण मौजूद रहेंगे. वहीं शौचालय को बाथरूम में परिवर्तित किया गया है, जिसमें लॉग हैंडल, टैप और हैंड शावर के साथ एक बाल्टी और मग भी उपलब्ध कराए गए हैं.
पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए पीपीई किट
प्रत्येक केबिन में सूखा कूड़ा, गीला कूड़ा और खतरनाक अपशिष्ट पदार्थ के निस्तारण के लिए फुट पेडल ऑपरेटेड ढक्कनदार तीन अलग-अलग डस्टबिन रखे गए हैं. चिकित्सकों और पैरामेडिकल स्टाफ की सुरक्षा के लिए पीपीई किट उपलब्ध कराई गई है. सीडीओ अमित कुमार राय की निगरानी में जनरल बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किया जा रहा है.
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12 कोच बनाने का लक्ष्य
सीडीओ अमित कुमार राय ने बताया कि 12 कोच बनाने का लक्ष्य मिला है, जिसमें से चार कोच अब तक तैयार कर लिए गए हैं. दो कोच रविवार और दो सोमवार को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील किए गए थे. 10 अप्रैल तक सभी 12 कोच आइसोलेशन वार्ड के रूप में तैयार कर लिए जाएंगे. जनरल बोगियों को आइसोलेशन वार्ड बनाया जा रहा है. इन वार्डों में 8 केबिन रोगियों के लिए और एक केबिन डॉक्टरों के लिए है. वहीं खिड़कियों पर मच्छरदानी में लगाई गई हैं, जिससे मच्छर या मक्खी अंदर न आ सकें और वेंटीलेशन की व्यवस्था बनी रहे.
गोरखपुर में 21 बोगियों का वार्ड बनाकर तैयार
पूर्वोत्तर रेलवे की डीआरएम मोनिका अग्निहोत्री ने बताया कि लखनऊ मंडल में 50 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड बनाने का जिम्मा दिया गया था. इसमें गोरखपुर में 21 बोगियों का वार्ड बनाकर तैयार कर दिया गया है. वहीं ऐशबाग कोचिंग डिपो में चार बोगियां बनकर तैयार हो गई हैं. शेष बोगियां अगले दो-तीन दिन में वार्ड बना दी जाएंगी, जिसके बाद इन्हें इस्तेमाल किया जा सकेगा.