लखनऊः परिवहन विभाग कर्मचारियों की कमी से तो जूझ ही रहा है. अधिकारियों का भी इस विभाग में टोटा होता जा रहा है. लगातार अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं और उस पद पर नए अधिकारी की तैनाती नहीं हो रही है. बड़ी बात ये है कि परिवहन आयुक्त कार्यालय में ही डीटीसी का पद खाली हुए एक माह से ज्यादा बीत चुका है, लेकिन अब तक इस पद पर न तो किसी की तैनाती की गई और न किसी को प्रभार ही सौंपा गया है. प्रदेश में 18 ऐसे जिले हैं जो बिना मुखिया के ही संचालित हो रहे हैं. इससे परिवहन विभाग का काफी काम प्रभावित हो रहा है, लेकिन इस ओर बड़े अफसरों का कोई ध्यान ही नहीं है
31 जनवरी को रिटायर हो चुके हैं डीटीसी
परिवहन आयुक्त कार्यालय की नाक के नीचे लखनऊ जैसे महत्वपूर्ण जोन के डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (डीटीसी) का पद खाली पड़ा है. इस पद पर न तो अभी तक किसी की तैनाती की गई है और न ही किसी को पदभार सौंपा गया है. ऐसे में बिना डीटीसी के ही प्रवर्तन, चालान व अन्य महत्वपूर्ण गतिविधियों को किस प्रकार संचालित कराया जा रहा है, इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है.
एक माह से रिक्त पड़ा है पद
परिवहन मंत्री और परिवहन विभाग मुख्यालय के जिम्मेदारों ने एक महीने से भी ज्यादा समय से रिक्त पड़े डीटीसी जोन के पद पर किसी अधिकारी को कमान नहीं सौंपी. इसका पदभार भी किसी को न सौंपा जाना गंभीरता की कहानी खुद बयां कर रहा है. यही नहीं जनवरी माह से शुरू होकर 20 फरवरी तक संचालित किए गए राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह का भी अधिकांश कार्यक्रम बिना उप परिवहन आयुक्त के ही संपन्न करा दिया गया. जबकि राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह होने के बावजूद इसकी अधिकांश गतिविधियां राजधानी में ही संचालित की गईं. इसके बाद भी परिवहन मंत्री, प्रमुख सचिव व परिवहन आयुक्त तक ने लखनऊ जोन के खाली पड़े उप परिवहन आयुक्त के पद पर तैनाती की जहमत नहीं उठाई.
बता दें कि सेवानिवृत्ति के दो दिन पूर्व ही अपर परिवहन आयुक्त के पद पर प्रमोशन पाए अनिल कुमार मिश्रा 31 जनवरी को सेवानिवृत्त हो गए. वह अपने कार्यकाल तक लखनऊ जोन के उप परिवहन आयुक्त (डीटीसी) के पद पर तैनात रहे. उनकी सेवानिवृत्ति के एक महीने बाद तक इस पद पर न तो कोई अधिकारी तैनात किया गया और न ही इसका पदभार ही किसी अधिकारी को दिया गया.
यह हैं डीटीसी के काम
- प्रवर्तन कार्य के दौरान ओवरलोडेड वाहनों पर की गयी कार्रवाई की समीक्षा.
- प्रवर्तन कार्यों के दौरान किए गए चालान की समीक्षा.
- जोन के अंतर्गत शामिल जिलों के प्रवर्तन कार्यों की समीक्षा.
- मोटर ट्रेनिंग स्कूलों का निरीक्षण.
- मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को लाइसेंस जारी करना.
- मोटर ट्रेनिंग स्कूलों के लाइसेंस का नवीनीकरण.
- मोटर ट्रेनिंग स्कूलों को प्रारूप-5 जारी करना.
- जोन के तहत आने वाले जिलों का निरीक्षण करना.
लखनऊ जोन में शामिल हैं ये 18 जिले
लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, लखीमपुर, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, फैजाबाद, बाराबंकी, सीतापुर, अमेठी, सुलतानपुर, अम्बेडकर नगर, बस्ती, संतकबीर नगर, संत रविदास नगर, बलरामपुर.