लखनऊ : शहर के अंदर से 15 साल पुराने टेंपो (15 year old tempos) अब चलते हुए नजर नहीं आएंगे. इनकी जगह परमिट पर वाहन स्वामी अब ऑटो रिक्शा संचालित कर सकेंगे. पब्लिक ट्रांसपोर्ट में एकरूपता बनाने के लिए ये फैसला लिया गया है. मंडलायुक्त डा रोशन जैकब (Divisional Commissioner Dr Roshan Jacob) की अध्यक्षता में संभागीय परिवहन प्राधिकरण बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. इस फैसले से करीब डेढ़ हजार टेंपो मालिकों को फायदा होगा.
कमिश्नर रौशन जैकब ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विक्रम टेंपो, टैक्सी जिनकी मियाद 15 साल पूरी हो गई है वह स्वेच्छा से ऑटो का परमिट ले सकते हैं. विक्रम टेंपो चालकों को परमिट को लेकर किसी प्रकार की समस्या न होने पाए. शहरी क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएं, जिससे हर क्षेत्र की आम जनता को बेहतर सेवाएं मिल सके. टेंपो से ऑटो कंवर्जन के निर्णय पर टेंपो टैक्सी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश राज, ऑटो संघ के अध्यक्ष पंकज दीक्षित, अवध सीएनजी टेंपो टैक्सी एसोसिएशन के अध्यक्ष मारिफ अली खान, उपाध्यक्ष अजय प्रताप सिंह, संगठन मंत्री अरुण सिंह ने हर्ष व्यक्त किया.
वाहनों के फिटनेस की होगी जांच : शहर में दौड़ रहे यात्री वाहन ऑटो, टेंपो, सिटी बस, ई रिक्शा की फिटनेस जांच के लिए मंडलायुक्त ने आरटीओ को निर्देश दिए हैं. 15 दिनों तक यात्री वाहनों के फिटनेस, रजिस्ट्रेशन और बीमा के कागजातों की जांच की जाएगी.
आगरा एक्सप्रेस वे, पूर्वोंचल एक्सप्रेस वे और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे पर प्राइवेट बसों के परमिट आवेदन की आखिरी तारीख 22 नवंबर है. राज्य परिवहन प्राधिकरण की सचिव ममता शर्मा ने बताया कि परमिट आवेदन पर आगामी 29 नवंबर को फैसला होगा. आवेदन पत्रों की जांच करते हुए हर रूट पर बस परमिट का प्रस्ताव एसटीए की बैठक में रखा जाएगा.
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