लखनऊ: महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही सख्त नजर आते हों, लेकिन उत्तर प्रदेश पुलिस महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर गंभीर नहीं दिख रही. राजधानी लखनऊ में धारा 376 यानि महिलाओं के साथ दुष्कर्म (बलात्कार) जैसे गंभीर अपराधों के मामले में बड़ी संख्या में जांच लंबित है. राजधानी में धारा 376 के तहत विभिन्न थानों में दर्ज लगभग 107 मुकदमों में जांच लंबित है.
2017-18 में महिला अपराधों में टॉप पर रहा प्रदेश
वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश महिलाओं के अपराध के मामले में सबसे आगे रहा है. इसका एक कारण यह भी है कि महिलाएं अब अपने साथ हुए दुष्कर्म को छुपाती नहीं हैं और आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के लिए खुलकर सामने आती हैं. महिलाएं भले ही हिम्मत कर सामने आती हों, लेकिन तमाम बार देखा गया है कि पुलिस की लापरवाही के चलते इन महिलाओं को समय से न्याय नहीं मिल पाता है.
पुलिस की निष्क्रियता से जांच में होती लेटलतीफी
शासन और पुलिस के अधिकारी लगातार महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों में पुलिस को सक्रिय रहने की हिदायत तो देते हैं, लेकिन इन हिदायतों के बावजूद भी विभिन्न कारणों से महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों की जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है. इस लेटलतीफी के चलते कई बार आरोपियों को कोर्ट में मदद भी मिलती है.
महिलाओं के साथ बलात्कार जैसी घटनाओं की लंबित जांच के बारे में ईटीवी भारत के संवाददाता ने वूमेन क्राइम एंड सेफ्टी की डीसीपी चारू निगम से बातचीत की. उन्होंने बताया कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म की शिकायत पर दर्ज किए गए 107 मामलों की जांच लंबित है. जिसकी रिपोर्ट मांगी गई है. संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि जल्द से जल्द जांच को पूरा कर चार्जशीट कोर्ट में पेश करें. हम जल्द से जल्द जांच को पूरा कर लेंगे.
राजधानी में कई मामलों में लंबित है जांच
राजधानी लखनऊ में भले ही कानून व्यवस्था को बेहतर करने के लिए पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया गया हो, लेकिन इसके बावजूद भी महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को लेकर पुलिस जिम्मेदार नहीं नजर आ रही है. जिसका कारण है कि लखनऊ में महिलाओं के साथ बलात्कार की धाराओं में दर्ज किए गए मुकदमों की जांच लंबित है.