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लविवि में हैं 100 साल पुराना पेड़, जैव विविधता से समृद्ध है परिसर - अर्थ प्रोटेक्शन ग्रुप एनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड

लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर में वनस्पतियों, पक्षियों और तितलियों की समृद्ध विविधता है. परिसर के अंदर पेड़ों की सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. इनमें से कुछ पेड़ सौ साल से अधिक पुराने हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : May 11, 2021, 9:02 AM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के परिसर में 100 साल पुराने कई वृक्ष हैं. खास बात ये है कि इनमें कई 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कैंपस में वनस्पतियों के साथ-साथ पक्षियों और तितलियों की समृद्ध विविधता है. परिसर के अंदर पेड़ों की सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के ग्रीन ऑडिट में ये खुलकर सामने आया.

इस ग्रीन ऑडिट को मेसर्स अर्थ प्रोटेक्शन ग्रुप एनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, पर्यावरण के क्षेत्र में एक अग्रणी सलाहकार, प्रबंध निदेशक डॉ. नीलेश अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक डॉ. राजीव कनौजिया और लखनऊ विश्वविद्यालय की टीम के सदस्यों के साथ प्रो. अमिता कनौजिया के मार्गदर्शन में किया गया.

इस परिसर में है जैव विविधता
लविवि के सौ साल पुराने परिसर में समृद्ध जैव विविधता है. कैंपस में वनस्पतियों के साथ-साथ पक्षियों और तितलियों की समृद्ध विविधता है. परिसर के अंदर पेड़ों की सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. कुछ पेड़ सौ साल से अधिक पुराने हैं.

ये हैं पेड़ों की प्रमुख प्रजातियां
पेड़ों की प्रमुख प्रजातियाँ हैं अमलतास, गुलमोहर, यूकेलिप्टस, बरगद, पाकड़, पीपल, कचनार, जामुन, जैक फल, कदम्ब, सीता अशोक, पलाश, सेमल, नील, गुलमोहर, सप्तपर्णी, बोतल ब्रश, इमली, गूलर, आम, आंवला, आदि. इसी तरह बेल, ड्रमस्टिक(सहजन), बहेड़ा, जंगल जलेबी, खिरनी, नीम, भारतीय चंदन की लकड़ी, शमी, बबूल, जंगल किकर, सफेद सिरीस, चीर, रबर के पेड़, महिंब, पाम, अशोक, बांस, जड़ी-बूटियों, झाड़ियों और घासों की कई प्रजातियां हैं, जो जीवों की जैव विविधता का समर्थन करती हैं.

इसे भी पढ़ें-3 साल में सिर्फ 6000 छात्रों को मिला एलयू की साइबर लाइब्रेरी का फायदा

परिसर के अंदर 65 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां हैं. जैसे- हॉर्नबिल, ट्री पाई, उल्लू, तोता-मैना, सनबर्ड्स, रॉबिन्स आदि. कैंपस के भीतर तितलियों की लगभग 25 प्रजातियां बताई गई हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय (ओल्ड कैंपस) 219.01 एकड़ में फैला हुआ है, जिसकी स्थापना 1920 में हुई थी. 9 संकायों के तहत विश्वविद्यालय के कुल 50 विभाग हैं; लगभग 17,054 छात्र, 418 शिक्षण संकाय और 1,927 गैर-शिक्षण कर्मचारी हैं.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय के परिसर में 100 साल पुराने कई वृक्ष हैं. खास बात ये है कि इनमें कई 100 साल से भी ज्यादा पुराने हैं. कैंपस में वनस्पतियों के साथ-साथ पक्षियों और तितलियों की समृद्ध विविधता है. परिसर के अंदर पेड़ों की सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के ग्रीन ऑडिट में ये खुलकर सामने आया.

इस ग्रीन ऑडिट को मेसर्स अर्थ प्रोटेक्शन ग्रुप एनवायर्नमेंटल कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, पर्यावरण के क्षेत्र में एक अग्रणी सलाहकार, प्रबंध निदेशक डॉ. नीलेश अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक डॉ. राजीव कनौजिया और लखनऊ विश्वविद्यालय की टीम के सदस्यों के साथ प्रो. अमिता कनौजिया के मार्गदर्शन में किया गया.

इस परिसर में है जैव विविधता
लविवि के सौ साल पुराने परिसर में समृद्ध जैव विविधता है. कैंपस में वनस्पतियों के साथ-साथ पक्षियों और तितलियों की समृद्ध विविधता है. परिसर के अंदर पेड़ों की सौ से अधिक प्रजातियां मौजूद हैं. कुछ पेड़ सौ साल से अधिक पुराने हैं.

ये हैं पेड़ों की प्रमुख प्रजातियां
पेड़ों की प्रमुख प्रजातियाँ हैं अमलतास, गुलमोहर, यूकेलिप्टस, बरगद, पाकड़, पीपल, कचनार, जामुन, जैक फल, कदम्ब, सीता अशोक, पलाश, सेमल, नील, गुलमोहर, सप्तपर्णी, बोतल ब्रश, इमली, गूलर, आम, आंवला, आदि. इसी तरह बेल, ड्रमस्टिक(सहजन), बहेड़ा, जंगल जलेबी, खिरनी, नीम, भारतीय चंदन की लकड़ी, शमी, बबूल, जंगल किकर, सफेद सिरीस, चीर, रबर के पेड़, महिंब, पाम, अशोक, बांस, जड़ी-बूटियों, झाड़ियों और घासों की कई प्रजातियां हैं, जो जीवों की जैव विविधता का समर्थन करती हैं.

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परिसर के अंदर 65 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां हैं. जैसे- हॉर्नबिल, ट्री पाई, उल्लू, तोता-मैना, सनबर्ड्स, रॉबिन्स आदि. कैंपस के भीतर तितलियों की लगभग 25 प्रजातियां बताई गई हैं.

लखनऊ विश्वविद्यालय (ओल्ड कैंपस) 219.01 एकड़ में फैला हुआ है, जिसकी स्थापना 1920 में हुई थी. 9 संकायों के तहत विश्वविद्यालय के कुल 50 विभाग हैं; लगभग 17,054 छात्र, 418 शिक्षण संकाय और 1,927 गैर-शिक्षण कर्मचारी हैं.

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