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गरीबों को पढ़ाने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय ने 10 फीसदी सीटें बढ़ाईं - लखनऊ विश्वविद्यालय अपडेट

लखनऊ विश्वविद्यालय ने गरीब कोटे से 10 फीसदी प्रवेश ईडब्ल्यूएस कोटे के जरिए करने के निर्देश जारी किए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ-साथ उससे संबद्ध कॉलेजों पर भी ये नियम लागू होंगे. लखनऊ विश्वविद्यालय ने गरीब विद्यार्थियों के लिए हर कोर्स में 10 फीसदी सीटें बढ़ा दी हैं और उसकी गिनती कुल सीटों में नहीं की.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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Published : Dec 26, 2020, 2:32 PM IST

Updated : Dec 26, 2020, 2:49 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय ने गरीब कोटे से 10 फीसद प्रवेश ईडब्ल्यूएस कोटे से करने के निर्देश जारी किए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ-साथ उससे संबद्ध कॉलेजों में भी नियम लागू होंगे. ये सीटें अलग से सृजित की जाएंगी. मिसाल के तौर पर अगर 40 सीटें हैं, तो इसकी 10 फीसदी यानी 4 सीटें अलग से सृजित होंगी. यानी की 44 मगर इसका मतलब यह नहीं है कि 44 सीटों को कुल सीटें माना जाए. यह व्यवस्था पीएचडी से लेकर सारे प्रवेश में लागू होगी.

लखनऊ विश्वविद्यालय
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पीएचडी प्रवेश परीक्षा में ईडब्ल्यूएस कोटे को लेकर अनेक विवाद हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि पीएचडी प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ अभ्यर्थियों को नहीं दिया, जिससे विद्यार्थी परेशान हुए हैं. दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय की सोच इस विषय पर दूसरी है. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि हम गरीब कोटे का पूरा 10 फीसद लाभ अभ्यर्थियों को दे रहे हैं. हम इस तरह से लाभ दे रहे हैं कि जितनी सीटें हैं, उनमें सीटों की संख्या को 10 फीसद बढ़ाया जाता है, ताकि पुराने आरक्षण में कोई छेड़छाड़ न हो मगर जो 10 फीसद सीटें बढ़ाई जाती हैं, उसको कुल सीटों की संख्या में शामिल नहीं किया जाता है.

कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि पीएचडी प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे से छेड़छाड़ किए जाने के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि हम पूरी बहस करने और तथ्यों को पूरी पारदर्शिता के साथ सामने रखने के लिए तैयार हैं, मगर यह नहीं मान सकते हैं कि ईडब्ल्यूएस कोटे में कोई गड़बड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि इस तरह से प्रत्येक प्रवेश परीक्षा में गरीब कोटे से आरक्षण दिया जाता रहेगा.

लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय ने गरीब कोटे से 10 फीसद प्रवेश ईडब्ल्यूएस कोटे से करने के निर्देश जारी किए हैं. लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ-साथ उससे संबद्ध कॉलेजों में भी नियम लागू होंगे. ये सीटें अलग से सृजित की जाएंगी. मिसाल के तौर पर अगर 40 सीटें हैं, तो इसकी 10 फीसदी यानी 4 सीटें अलग से सृजित होंगी. यानी की 44 मगर इसका मतलब यह नहीं है कि 44 सीटों को कुल सीटें माना जाए. यह व्यवस्था पीएचडी से लेकर सारे प्रवेश में लागू होगी.

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पीएचडी प्रवेश परीक्षा में ईडब्ल्यूएस कोटे को लेकर अनेक विवाद हुए हैं, जिसमें कहा गया है कि पीएचडी प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे का लाभ अभ्यर्थियों को नहीं दिया, जिससे विद्यार्थी परेशान हुए हैं. दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय की सोच इस विषय पर दूसरी है. लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि हम गरीब कोटे का पूरा 10 फीसद लाभ अभ्यर्थियों को दे रहे हैं. हम इस तरह से लाभ दे रहे हैं कि जितनी सीटें हैं, उनमें सीटों की संख्या को 10 फीसद बढ़ाया जाता है, ताकि पुराने आरक्षण में कोई छेड़छाड़ न हो मगर जो 10 फीसद सीटें बढ़ाई जाती हैं, उसको कुल सीटों की संख्या में शामिल नहीं किया जाता है.

कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय ने बताया कि पीएचडी प्रवेश में ईडब्ल्यूएस कोटे से छेड़छाड़ किए जाने के आरोप में कोई सच्चाई नहीं है. उन्होंने कहा कि हम पूरी बहस करने और तथ्यों को पूरी पारदर्शिता के साथ सामने रखने के लिए तैयार हैं, मगर यह नहीं मान सकते हैं कि ईडब्ल्यूएस कोटे में कोई गड़बड़ी हुई है. उन्होंने बताया कि इस तरह से प्रत्येक प्रवेश परीक्षा में गरीब कोटे से आरक्षण दिया जाता रहेगा.

Last Updated : Dec 26, 2020, 2:49 PM IST
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