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दलित महापुरुषों के स्मारकों में तैनात 5300 कर्मचारियों के PF खाते से 10 करोड़ का गबन

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Published : Sep 18, 2021, 5:10 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 6:05 PM IST

बसपा सरकार (Bsp Government) में दलित महापुरुषों (Dalit great men) के स्मारकों के रखरखाव के लिए तैनात कर्मिचारियों के पीएफ खाते से 10 करोड़ का गबन (10 crore embezzlement) किया गया. बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) के मैनेजर ने मिलीभगत कर ये बड़ी रकम में हेरफेर की है.

दलित महापुरुषों की एफडी से 10 करोड़ का गबन
दलित महापुरुषों की एफडी से 10 करोड़ का गबन

लखनऊ: बसपा सरकार (Bsp Government) के वक्त बनाए गए दलित महापुरुषों (Dalit great men) के स्मारकों और पार्कों के रखरखाव में तैनात 5300 कर्मचारियों के पीएफ खाते (PF Account) में करोड़ों का खेल हो रहा है. यहां के कर्मचारियों की तनख्वाह से कटने वाले पीएफ को पीपीएफ अकाउंट (PPF Account) बनाकर जमा करने की जगह उसकी एफडी करवाई गई और फिर उसे मिलीभगत करके तुड़वाया गया. इस तरह 10 करोड़ रुपये का गबन बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) के मैनेजर ने किया. यह सब कुछ 2018 में हुए एक आदेश का उल्लंघन करके किया गया, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारियों के वेतन से काटे जाने वाले अंश को उनका पीपीएफ अकाउंट बनवाकर उसमें जमा किए जाए. इसके बावजूद बैंकों से मिलने वाले कमीशन के लालच में स्मारक के वित्त एवं लेखा विभाग (Finance & Accounts Department) के अधिकारी आंखों में धूल झोंकते रहे और वेतन में की गई 48 करोड़ की कटौती की एफडी करवा दी. ऐसे में कर्मचारियों की गाढ़ी बचत के 10 करोड़ रुपये घोटालेबाजों की जेब में चले गए.


यह है पूरा मामला


स्मारक समिति में एफडी अकाउंट से 10 करोड़ का गबन किया गया. ऑडिट के दौरान यह पता चला कि जिस अकाउंट में करीब 48 करोड़ रुपये थे, उसमें अब केवल 38 करोड़ रुपये ही बकाया हैं. 10 करोड़ रुपये गायब हो चुके हैं. जांच के बाद यह पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा के जिस अकाउंट में यह रकम जमा थी, उससे निकालने के लिए एक पूरी साजिश रची गई. स्मारक समिति का एक फर्जी लेखाधिकारी खड़ा किया गया और एक अकाउंट बनाया गया. फिर, एक हवाई बैठक की गई और रुपये निकालकर दूसरे अकाउंट में जमा करवा दिए गए. हालांकि, ऑडिट में यह पूरा मामला पकड़ा गया. इस मामले में स्मारकों के प्रबंधक वित्त को सस्पेंड किया गया है और बाकी सारी एफडी का भी ऑडिट किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि स्मारक के वित्त विभाग के अधिकारियों ने बैंकों से मिलने वाले एकमुश्त कमीशन के लालच में ये एफडी करवाई. हालांकि, गुरुवार को इस प्रकरण में बैंक मैनेजर और दो अज्ञात व्यतियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया था, जबकि स्मारकों के वित्त प्रबन्धक को निलंबित कर दिया गया था.

दलित महापुरुषों की एफडी से 10 करोड़ का गबन

इसे भी पढ़ें-दलित महापुरुषों के स्मारकों की FD से 10 करोड़ का गबन, इन पर गिरी गाज



आपको बता दें कि लखनऊ स्थित सभी स्मारक लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए Lucknow Development Authority) के अंतर्गत आते हैं, जिनके देखभाल व संरक्षण का कार्य प्राधिकरण के अंतर्गत ही आता है. प्रकरण के संबंध में एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने कहा कर्मचारियों के पीपीएफ एकाउंट के साथ ही एनपीएस एकाउंट भी खोले जाने हैं, जिसमें उनको बेहतर रिटर्न्स दिए जाएंगे. इससे कर्मचारियों का नुकसान नहीं होगा. इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है. मुकदमा भी दर्ज है.

लखनऊ: बसपा सरकार (Bsp Government) के वक्त बनाए गए दलित महापुरुषों (Dalit great men) के स्मारकों और पार्कों के रखरखाव में तैनात 5300 कर्मचारियों के पीएफ खाते (PF Account) में करोड़ों का खेल हो रहा है. यहां के कर्मचारियों की तनख्वाह से कटने वाले पीएफ को पीपीएफ अकाउंट (PPF Account) बनाकर जमा करने की जगह उसकी एफडी करवाई गई और फिर उसे मिलीभगत करके तुड़वाया गया. इस तरह 10 करोड़ रुपये का गबन बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) के मैनेजर ने किया. यह सब कुछ 2018 में हुए एक आदेश का उल्लंघन करके किया गया, जिसमें कहा गया था कि कर्मचारियों के वेतन से काटे जाने वाले अंश को उनका पीपीएफ अकाउंट बनवाकर उसमें जमा किए जाए. इसके बावजूद बैंकों से मिलने वाले कमीशन के लालच में स्मारक के वित्त एवं लेखा विभाग (Finance & Accounts Department) के अधिकारी आंखों में धूल झोंकते रहे और वेतन में की गई 48 करोड़ की कटौती की एफडी करवा दी. ऐसे में कर्मचारियों की गाढ़ी बचत के 10 करोड़ रुपये घोटालेबाजों की जेब में चले गए.


यह है पूरा मामला


स्मारक समिति में एफडी अकाउंट से 10 करोड़ का गबन किया गया. ऑडिट के दौरान यह पता चला कि जिस अकाउंट में करीब 48 करोड़ रुपये थे, उसमें अब केवल 38 करोड़ रुपये ही बकाया हैं. 10 करोड़ रुपये गायब हो चुके हैं. जांच के बाद यह पता चला कि बैंक ऑफ बड़ौदा के जिस अकाउंट में यह रकम जमा थी, उससे निकालने के लिए एक पूरी साजिश रची गई. स्मारक समिति का एक फर्जी लेखाधिकारी खड़ा किया गया और एक अकाउंट बनाया गया. फिर, एक हवाई बैठक की गई और रुपये निकालकर दूसरे अकाउंट में जमा करवा दिए गए. हालांकि, ऑडिट में यह पूरा मामला पकड़ा गया. इस मामले में स्मारकों के प्रबंधक वित्त को सस्पेंड किया गया है और बाकी सारी एफडी का भी ऑडिट किया जा रहा है. सूत्रों का कहना है कि स्मारक के वित्त विभाग के अधिकारियों ने बैंकों से मिलने वाले एकमुश्त कमीशन के लालच में ये एफडी करवाई. हालांकि, गुरुवार को इस प्रकरण में बैंक मैनेजर और दो अज्ञात व्यतियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया गया था, जबकि स्मारकों के वित्त प्रबन्धक को निलंबित कर दिया गया था.

दलित महापुरुषों की एफडी से 10 करोड़ का गबन

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आपको बता दें कि लखनऊ स्थित सभी स्मारक लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए Lucknow Development Authority) के अंतर्गत आते हैं, जिनके देखभाल व संरक्षण का कार्य प्राधिकरण के अंतर्गत ही आता है. प्रकरण के संबंध में एलडीए उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने कहा कर्मचारियों के पीपीएफ एकाउंट के साथ ही एनपीएस एकाउंट भी खोले जाने हैं, जिसमें उनको बेहतर रिटर्न्स दिए जाएंगे. इससे कर्मचारियों का नुकसान नहीं होगा. इस पूरे प्रकरण की जांच की जा रही है. मुकदमा भी दर्ज है.

Last Updated : Sep 18, 2021, 6:05 PM IST
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