लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 1 करोड़ 80 लाख छात्र-छात्राओं को किताबों के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है. जिन किताबों को अप्रैल माह में ही बच्चों में वितरित कर दिया चाहिए था उन्हें जून बीतने के बाद भी नहीं वितरित किया जा सका है. शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का कहना है कि अगस्त के अंत तक सभी के पास किताबें पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों का दावा है कि किताबों के आवंटन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कोरोना के कारण बंद स्कूल अभी खुले हैं इसलिए थोड़ी देरी हो रही है. जल्द ही स्थितियां सामान्य हो जाएंगी.
प्रदेश भर में बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों के साथ ही सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के बच्चों को भी निशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं. इसकी पूरी जिम्मेदारी बेसिक शिक्षा विभाग की है. वर्तमान में प्रदेश भर में करीब 1 लाख 35 हजार स्कूल हैं. इनमें करीब एक करोड़ 80 लाख छात्र-छात्राओं को किताबें उपलब्ध कराई जानी हैं.
1 अप्रैल से होती है सत्र की शुरुआत
सामान्यतः बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 1 अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत होती है. ऐसे में अप्रैल माह में ही बच्चों को किताबें उपलब्ध कराया जाना आवश्यक होता है. वर्तमान सत्र में कक्षाएं शुरू होने के साथ ही कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से फैलने लगे थे, जिसके बाद से स्कूलों को बंद कर दिया गया था.
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यह हैं सरकारी दावे
बीते फरवरी माह में ही पुस्तकों की छपाई का काम 17 संस्थाओं को सौंप दिया गया था. अचानक कोरोना संक्रमण फैलने के चलते यह प्रक्रिया पूरी तरह से रुक गई. इस काल में शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर छपाई के काम में लगी संस्थाओं के कर्मचारी तक संक्रमित हुए. जिसके कारण भी पुस्तकों की छपाई में देर हुई और किताबें बच्चों में बंटने में देरी हुई.
बोले जिम्मेदार
बेसिक शिक्षा परिषद के पाठ्य पुस्तक अधिकारी श्याम किशोर तिवारी ने बताया कि पुस्तकों के प्रकाशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. जिलों में आवंटन भी किया जा रहा है. कोरोना संक्रमण के चलते बीते कुछ समय से स्कूल बंद चल रहे थे. 1 जुलाई से शिक्षक वापस लौटे हैं. पुस्तक बांटने की प्रक्रिया जारी है. उम्मीद है कि अगस्त के अंतिम सप्ताह तक सभी छात्र-छात्राओं के हाथों में किताबें होंगी.