लखनऊ : प्रोसेस इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम से महानिदेशालय नागरिक उड्डयन (डीजीसीए) को बिना सूचना दिए रात में विमानों का उतारना एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) के अधिकारियों को भारी पड़ गया. डीजीसीए ने सुरक्षा मानकों की चूक मानते हुए 35 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को नोटिस (DGCA issues notice to 35 air traffic controllers) जारी कर दिया है. एटीसी का तर्क है कि लॉकडाउन के वक्त एयरपोर्ट अथॉरिटी से दिशा निर्देश मिले थे उनका पालन किया जा रहा था. इसके बाद कोई दूसरा आदेश अब तक जारी ही नहीं हुआ. ये सिर्फ लखनऊ ही नहीं देश के अन्य हवाई अड्डों पर भी हुआ है.
जानकारी के मुताबिक, चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डे पर एटीसी में वर्तमान में 60 कंट्रोलर तैनात हैं. 22 मार्च 2020 से कोरोना लॉकडाउन के समय घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय उड़ानें बंद कर दी गईं थीं. इस बीच मेडिकल एयर एम्बुलेंस समेत कुछ इमरजेंसी सेवाओं के ही विमान उड़ान भर रहे थे. दूसरी ओर नागरिक उड्डयन विभाग को इस बात का डर था कि एटीसी के सभी कंट्रोलर कोरोना की चपेट में आ गए तो काम कैसे चलेगा. इसे ध्यान में रखते हुए रडार को रात के डेढ़ से सुबह छह बजे तक बंद रखने का निर्देश दिया गया था. साल 2016 के पहले जब एयरपोर्ट पर रडार नहीं था तो इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) से विमानों का परिचालन होता था. एटीसी को इसके बाद कोई नया आदेश नहीं मिला. ऐसे में रात के समय डेढ़ से सुबह छह बजे तक रडार बंद रखा जाने लगा था. डीजीसीए अफसरों ने नवम्बर 2022 में निरीक्षण किया तो सामने आया कि लखनऊ एयरपोर्ट का रडार सिस्टम रात डेढ़ बजे से सुबह छह बजे तक बंद था. उसे 24 घंटे सक्रिय रहना चाहिए था. डीजीसीए ने इसे लापरवाही और सुरक्षा चूक मानते हुए 35 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स को नोटिस जारी किया है.
लखनऊ एटीसी के पूर्व कंट्रोलर और हेड रहे गोपाल दत्त जोशी के मुताबिक, एक समय कम से कम चार दर्जन प्लेन स्क्रीन पर रन करते रहते हैं. प्रोसीजरल सिस्टम में कागज की पट्टी पर हर मिनट विमानों की लोकेशन बदलनी होती है. इससे पता रहता है कि विमान कितनी ऊंचाई और कितनी दूरी पर है. उसकी स्पीड क्या है.
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