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UP Assembly Election 2022: लखीमपुर खीरी के लिए अखिलेश यादव के इस मास्टर स्ट्रोक के क्या हैं मायने...

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए लखीमपुर खीरी से सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मास्टर स्ट्रोक खेला है. चलिए जानते हैं आखिर क्या है यह मास्टर स्ट्रोक और इसके मायने क्या हैं.

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थार काण्ड से चर्चा में आए खीरी जिले में अखिलेश यादव के इस मास्टर स्ट्रोक के क्या हैं मायने?
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Published : Jan 28, 2022, 5:45 PM IST

लखीमपुर खीरीः थार काण्ड से देश दुनिया में चर्चा में आए खीरी जिले में अखिलेश यादव के इस मास्टर स्ट्रोक ने सभी दलों को चौंका दिया है. खेती किसानी और गन्ने में नाम कमाने वाले खीरी जिले में पहली बार समाजवादी पार्टी ने किसी सिख को टिकट दिया है. वैसे तो समाजवादी पार्टी ने अलग अलग जगहों पर चार पंजाबियों को टिकट दिए हैं पर खीरी जिले में पहली बार कोई प्रमुख सियासी पार्टी विधानसभा चुनाव में सिख कौम के प्रत्याशी को टिकट देने की हिम्मत जुटा पाई है. क्या अखिलेश यादव का ये कोई मास्टर स्ट्रोक है.

इस बारे में सपा एमएलसी शशांक यादव कहते हैं कि निश्चित तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों के साथ खड़े रहे हैं. चाहें वो दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़ किसानों का मोर्चा हो या लखीमपुर खीरी में किसानों पर थार जीप चढ़ाकर कुचलने की वीभत्स घटना, सिखों पर भाजपा सरकार ने जो वार किए हैं, बदनाम किया क्या सिख इसे भूल पाएंगे.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में पिछले साल अक्टूबर में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा के खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की थार जीप से किसानों को कुचले जाने के बाद सियासत काफी तेज हो गई थी. अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर आर्थिक सहायता दी थी.

अब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा ने पलिया से प्रिपेन्द्र सिंह उर्फ काकू को टिकट देकर समाजवादी पार्टी ने चुनावी घमासान में उतारा है. इस बारे में सीएसएसपी के यूपी कोआर्डिनेटर डॉक्टर संजय कुमार कहते हैं कि सपा बड़ी तादात में बसी सिख कौम को ये मैसेज देना चाह रही कि वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. ये परसेप्शन की लड़ाई है. सपा ने यूपी में अभी तक चार पंजाबियों को टिकट देकर ये मैसेज दिया है कि वह पीड़ित सिख कौम के साथ हैं.

सपा ने खीरी जिल में एक ब्राम्हण, एक सिख, दो कुर्मी, एक कुशवाहा (मौर्य), दो दलित और एक मुस्लिम चेहरे को चुनावी रण में उतारा है. इसमें दो नए चेहरे शामिल हैं. धौरहरा से वरुण चौधरी और इंडो नेपाल बॉर्डर से सटी पलिया विधानसभा सीट पर प्रिपेन्द्र पाल सिंह काकू को टिकट दिया गया है. इस बारे में सपा एमएलएसी शशांक यादव कहते हैं कि यह सपा की सोशल इंजीनियरिंग हैं.

खीरी जिला यूं तो समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था पर 2014 में भाजपा ने यहां सबको हिला दिया था. 2014 में भाजपा ने खीरी में दोनों लोकसभा सीटों लखीमपुर और धौरहरा पर कब्जा किया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने आठों सीटों पर जीत दर्ज कर एक इतिहास रच दिया था.

इस बारे में युवराज दत्त पीजी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के यूपी कोआर्डिनेटर डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि समाजवादी पार्टी इस बार भाजपा के ध्रुवीकरण को तवज्जो नहीं दे रही है. सपा पूरा का पूरा जोर जातिगत आधार पर छोटी-छोटी जातियों की गोलबंदी कर भाजपा को चुनौती देने में लगी है. समाजवादी पार्टी जानती है कि धार्मिक आधार पर वह भाजपा से मोर्चा नहीं ले सकती है.

सपा ने इस बार खीरी जिले में छह पुराने और चिरपरिचित चेहरों को टिकट दिए हैं. सदर सीट से सबसे युवा प्रत्याशी का लिम्का बुक में रिकार्ड दर्ज करवा चुके उत्कर्ष वर्मा को चौथी बार टिकट दिया है. अपने बाबा कौशल किशोर वर्मा की सियासी विरासत संभाल रहे उत्कर्ष 2017 से पहले दो बार विधायक रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी ने गोला विधानसभा से विनय तिवारी पर दांव खेला है. ब्राम्हण चेहरे के रूप में समाजवादी पार्टी में 2013 में पहली बार विधायक बने विनय तिवारी 2017 की भाजपा की आंधी में हार गए थे.


यही हाल कस्ता विधानसभा का भी रहा. 2012 में पासी बिरादरी के युवा चेहरे सुनील भार्गव उर्फ लाला को नए परिसीमन के बाद बनी कस्ता सीट से जीत का सेहरा पहनने को मिला. 2017 में उनको बीजेपी के सौरभ सिंह सोनू ने हरा दिया था. सपा ने तीसरी बार फिर से सुनील लाला पर भरोसा जताया है. श्रीनगर सीट से भी इस बार समाजवादी पार्टी ने अपने पुराने साथी दो बार विधायक रह चुके रामसरन पर भरोसा जताया है.
महत्वपूर्ण सीट मोहम्मदी पर समाजवादी पार्टी ने एक बार के शाहाबाद सीट से सांसद, हरदोई की पिहानी सीट से विधायक रह चुके दाऊद अहमद को चुनावी दंगल में उतारा है. दाऊद 2017 में बसपा से मोहम्मदी सीट से चुनाव लड़ चुके पर हार गए थे. दाऊद 2009 में खीरी लोकसभा से बसपा के टिकट पर लड़े लेकिन हार गए थे.

ये भी पढ़ेंः UP Election 2022: भाजपा ने जारी की 91 प्रत्याशियों की सूची, देखें लिस्ट

खीरी की धौरहरा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने नए चेहरे वरुण चौधरी को टिकट दिया है. वरुण के पिता यशपाल चौधरी धौरहरा से तीन बार विधायक रह चुके हैं. पिछले कोरोना काल में यशपाल चौधरी के निधन के बाद बेटे वरुण चौधरी को पिता की विरासत संभालने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी ने दी है. किसानी और दूध डेयरी में उपलब्धि हासिल कर चुके वरुण अब सियासी पारी का आगाज करेंगे.
पलिया विधानसभा सीट से सपा उम्मीदवार प्रिपेन्द्र सिंह उर्फ काकू भी खेती किसानी से जुड़े हैं.वह नेशनल शूटर भी हैं. सिख प्रिपेन्द्र बिजुआ के ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं.
निघासन से सियासत के धुरंधर माने जाने वाले आरएस कुशवाहा को टिकट देकर सपा ने सोशल इंजीनियरिंग की है. यूपी के खीरी जिले से ही कभी बसपा के हाथी पर सवार हो कुशवाहा ने लखनऊ विधानसभा का रास्ता तय किया. इसके बाद एमएलसी और बसपा प्रदेश अध्यक्ष का ताज तक की जिम्मेदारी संभाल चुके कुशवाहा इस बार समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर निघासन से ही चुनावी दंगल में उतरे हैं. इस बार यह देखना रोचक होगा कि क्या अखिलेश का यह मास्टर स्ट्रोक बीजेपी को नुकसान पहुंचा पाएगा.

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लखीमपुर खीरीः थार काण्ड से देश दुनिया में चर्चा में आए खीरी जिले में अखिलेश यादव के इस मास्टर स्ट्रोक ने सभी दलों को चौंका दिया है. खेती किसानी और गन्ने में नाम कमाने वाले खीरी जिले में पहली बार समाजवादी पार्टी ने किसी सिख को टिकट दिया है. वैसे तो समाजवादी पार्टी ने अलग अलग जगहों पर चार पंजाबियों को टिकट दिए हैं पर खीरी जिले में पहली बार कोई प्रमुख सियासी पार्टी विधानसभा चुनाव में सिख कौम के प्रत्याशी को टिकट देने की हिम्मत जुटा पाई है. क्या अखिलेश यादव का ये कोई मास्टर स्ट्रोक है.

इस बारे में सपा एमएलसी शशांक यादव कहते हैं कि निश्चित तौर पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों के साथ खड़े रहे हैं. चाहें वो दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ़ किसानों का मोर्चा हो या लखीमपुर खीरी में किसानों पर थार जीप चढ़ाकर कुचलने की वीभत्स घटना, सिखों पर भाजपा सरकार ने जो वार किए हैं, बदनाम किया क्या सिख इसे भूल पाएंगे.

गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में पिछले साल अक्टूबर में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान भाजपा के खीरी से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी की थार जीप से किसानों को कुचले जाने के बाद सियासत काफी तेज हो गई थी. अखिलेश यादव ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर आर्थिक सहायता दी थी.

अब यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए सपा ने पलिया से प्रिपेन्द्र सिंह उर्फ काकू को टिकट देकर समाजवादी पार्टी ने चुनावी घमासान में उतारा है. इस बारे में सीएसएसपी के यूपी कोआर्डिनेटर डॉक्टर संजय कुमार कहते हैं कि सपा बड़ी तादात में बसी सिख कौम को ये मैसेज देना चाह रही कि वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है. ये परसेप्शन की लड़ाई है. सपा ने यूपी में अभी तक चार पंजाबियों को टिकट देकर ये मैसेज दिया है कि वह पीड़ित सिख कौम के साथ हैं.

सपा ने खीरी जिल में एक ब्राम्हण, एक सिख, दो कुर्मी, एक कुशवाहा (मौर्य), दो दलित और एक मुस्लिम चेहरे को चुनावी रण में उतारा है. इसमें दो नए चेहरे शामिल हैं. धौरहरा से वरुण चौधरी और इंडो नेपाल बॉर्डर से सटी पलिया विधानसभा सीट पर प्रिपेन्द्र पाल सिंह काकू को टिकट दिया गया है. इस बारे में सपा एमएलएसी शशांक यादव कहते हैं कि यह सपा की सोशल इंजीनियरिंग हैं.

खीरी जिला यूं तो समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता था पर 2014 में भाजपा ने यहां सबको हिला दिया था. 2014 में भाजपा ने खीरी में दोनों लोकसभा सीटों लखीमपुर और धौरहरा पर कब्जा किया था. 2017 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने आठों सीटों पर जीत दर्ज कर एक इतिहास रच दिया था.

इस बारे में युवराज दत्त पीजी कालेज के एसोसिएट प्रोफेसर और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के यूपी कोआर्डिनेटर डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि समाजवादी पार्टी इस बार भाजपा के ध्रुवीकरण को तवज्जो नहीं दे रही है. सपा पूरा का पूरा जोर जातिगत आधार पर छोटी-छोटी जातियों की गोलबंदी कर भाजपा को चुनौती देने में लगी है. समाजवादी पार्टी जानती है कि धार्मिक आधार पर वह भाजपा से मोर्चा नहीं ले सकती है.

सपा ने इस बार खीरी जिले में छह पुराने और चिरपरिचित चेहरों को टिकट दिए हैं. सदर सीट से सबसे युवा प्रत्याशी का लिम्का बुक में रिकार्ड दर्ज करवा चुके उत्कर्ष वर्मा को चौथी बार टिकट दिया है. अपने बाबा कौशल किशोर वर्मा की सियासी विरासत संभाल रहे उत्कर्ष 2017 से पहले दो बार विधायक रह चुके हैं. समाजवादी पार्टी ने गोला विधानसभा से विनय तिवारी पर दांव खेला है. ब्राम्हण चेहरे के रूप में समाजवादी पार्टी में 2013 में पहली बार विधायक बने विनय तिवारी 2017 की भाजपा की आंधी में हार गए थे.


यही हाल कस्ता विधानसभा का भी रहा. 2012 में पासी बिरादरी के युवा चेहरे सुनील भार्गव उर्फ लाला को नए परिसीमन के बाद बनी कस्ता सीट से जीत का सेहरा पहनने को मिला. 2017 में उनको बीजेपी के सौरभ सिंह सोनू ने हरा दिया था. सपा ने तीसरी बार फिर से सुनील लाला पर भरोसा जताया है. श्रीनगर सीट से भी इस बार समाजवादी पार्टी ने अपने पुराने साथी दो बार विधायक रह चुके रामसरन पर भरोसा जताया है.
महत्वपूर्ण सीट मोहम्मदी पर समाजवादी पार्टी ने एक बार के शाहाबाद सीट से सांसद, हरदोई की पिहानी सीट से विधायक रह चुके दाऊद अहमद को चुनावी दंगल में उतारा है. दाऊद 2017 में बसपा से मोहम्मदी सीट से चुनाव लड़ चुके पर हार गए थे. दाऊद 2009 में खीरी लोकसभा से बसपा के टिकट पर लड़े लेकिन हार गए थे.

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खीरी की धौरहरा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी ने नए चेहरे वरुण चौधरी को टिकट दिया है. वरुण के पिता यशपाल चौधरी धौरहरा से तीन बार विधायक रह चुके हैं. पिछले कोरोना काल में यशपाल चौधरी के निधन के बाद बेटे वरुण चौधरी को पिता की विरासत संभालने की जिम्मेदारी समाजवादी पार्टी ने दी है. किसानी और दूध डेयरी में उपलब्धि हासिल कर चुके वरुण अब सियासी पारी का आगाज करेंगे.
पलिया विधानसभा सीट से सपा उम्मीदवार प्रिपेन्द्र सिंह उर्फ काकू भी खेती किसानी से जुड़े हैं.वह नेशनल शूटर भी हैं. सिख प्रिपेन्द्र बिजुआ के ब्लाक प्रमुख भी रह चुके हैं.
निघासन से सियासत के धुरंधर माने जाने वाले आरएस कुशवाहा को टिकट देकर सपा ने सोशल इंजीनियरिंग की है. यूपी के खीरी जिले से ही कभी बसपा के हाथी पर सवार हो कुशवाहा ने लखनऊ विधानसभा का रास्ता तय किया. इसके बाद एमएलसी और बसपा प्रदेश अध्यक्ष का ताज तक की जिम्मेदारी संभाल चुके कुशवाहा इस बार समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार होकर निघासन से ही चुनावी दंगल में उतरे हैं. इस बार यह देखना रोचक होगा कि क्या अखिलेश का यह मास्टर स्ट्रोक बीजेपी को नुकसान पहुंचा पाएगा.

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