लखीमपुर खीरी: उत्तर प्रदेश के इंडो नेपाल बॉर्डर (Indo-Nepal border) के जनजातीय इलाके में विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) इन दिनों रामचरितमानस (Ramcharit manas) बांट रहा है. लेकिन, आखिर जनजाति के लोगों में विश्व हिंदू परिषद को रामचरितमानस बांटने की जरूरत क्यों पड़ी? विश्व हिंदू परिषद ने इस इलाके में एक बड़ा अभियान शुरू किया है, जिसमें घर-घर रामचरितमानस (Ramcharit manas) वितरित किया जा रहा है. वहीं घर के दरवाजों पर रामचरितमानस की चौपाइयां लिखी जाएंगी. विश्व हिंदू परिषद के प्रान्त प्रचार प्रमुख आचार्य संजय मिश्रा ने बताया कि अभी एक हजार रामचरित मानस वितरित किया गया है.
दरअसल, दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच थारू जनजाति हिन्दू मानी जाती है. इनका पुराना इतिहास राजस्थान से जुड़ा बताया जाता है. ये महाराणा प्रताप की सेना के बताए जाते हैं. खीरी में जंगल के बियाबान में थारू जनजाति के 45 गांव बसते हैं. थारू जनजाति के लोग बहुत ही सरल स्वभाव के होते हैं. मेहमानों को ये खूब तवज्जो भी देते हैं.
आचार्य संजय मिश्रा इसे सोची समझी रणनीति बताते हैं. वह कहते हैं कि पहले दूसरे धर्मों के लोग इन थारुओं के बीच आकर रहते थे, फिर इनसे सम्बन्ध बनाते हैं. कुछ प्रलोभन देकर फिर इनका धर्म परिवर्तन करा रहे, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमने डीएम और प्रशासन को भी इससे अवगत कराया है. हम अपने संगठन के माध्यम से भी थारू जनजाति के लीगों के बीच जाकर हिन्दू धर्म संस्कृति का महत्व बता रहे हैं. ऐसे किसी प्रलोभन में फंसने से उन्हें आगाह भी कर रहे हैं. आचार्य जय कहते हैं कि हमने अभी एक हजार प्रति रामायण की इस इलाके में विभिन्न गांवों में कार्यक्रम करके लोगों को दी हैं. इस इलाके में हम थारूओं के संतों को भी आगे कर रहे कि वो धर्म ध्वज की पताका इस इलाके में फहराते रहें. हम दिसम्बर में एक बड़ा सन्त सम्मेलन भी करने जा रहे.
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विश्व हिंदू परिषद (Vishva Hindu Parishad) और आरएसएस (Rashtriya Swayamsevak Sangh) थारू जनजाति इलाके में आज से नहीं बल्कि पिछले 50 सालों से ज्यादा वक्त से काम कर रहा है. आरएसएस से संचालित करीब 400 एकल विद्यालय इन थारू इलाके और आसपास के गांवों में चल रहे, जिनसे भी विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को धर्मान्तरण की खबरें और इनपुट मिले हैं.
आचार्य संजय मिश्रा कहते हैं कि हम इस मामले में बेहद गम्भीर हैं. अभी 18 जुलाई से रामचरितमानस वितरण कार्यक्रम शुरू किया गया है. आगे और भी हिन्दू जागरण के कार्यक्रम किए जाएंगे. हम हर घर के बाहर दरवाजों पर रामायण की चौपाइयों को लिखवाएंगे, जिससे लोगों में बीमारियों और गलत विचार मन में न आएं.
क्या थारु इलाके में धर्मान्तरण हो रहा है? इंडो नेपाल बॉर्डर के 45 थारू गांवों में क्या धर्मान्तरण का कोई सक्रिय नेटवर्क चल रहा है? क्या थारुओं को लालच देकर उनकी जमीनें कब्जा की जा रही है? क्या कोई विदेशी एजेंसी भी इस धर्मान्तरण नेटवर्क में शामिल है? क्या विदेशी फंडिंग धर्मान्तरण में कई जा रही? ये वो कुछ बड़े सवाल हैं, जिनका उत्तर ढूंढना जरूरी है. थारू इलाके में धर्मांतरण की खबरें खुफिया विभाग के पास भी है. आईबी, लोकल इंटेलिजेंस की चौकस निगाहें भी इनकी परतों और नेटवर्क को खंगाल रही हैं. वैसे पुलिस में अभी तक ऐसा कोई मुकदमा इस इलाके दर्ज नहीं हुआ है. खुफिया विभाग भी इंडो-नेपाल बॉर्डर इलाके में पिछले बीस तीस सालों में एक धर्म विशेष के धार्मिक स्थल बढ़ने के इनपुट गृह मंत्रालय को दे चुका है. अब धर्म परिवर्तन की आशंका में हिन्दू संगठन मुखर हो गए हैं और सजग भी. इसीलिए थारू इलाके में एक हजार रामचरित मानस की प्रतियां थारुओं को दी जा रहीं.
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