लखीमपुर खीरी: सिंगापुर में लाखों की नौकरी कर रही जिले की स्वाति पांडे नौकरी छोड़कर किसानों की जिंदगी में मिठास घोलने के लिए वापस अपने जिले में आ गई हैं. स्वाति ने अपनी टीम बनाई और यूपी के लखीमपुर खीरी जिले समेत आसपास के जिलों और दूसरे प्रदेशों तक मीठी तुलसी यानी स्टीविया की खेती शुरू कर दी. स्वाति ने 'आरबोरियल' नाम से एक कम्पनी भी बना ली है, जो मीठी तुलसी यानी स्टीविया की पत्तियों से प्रोडक्ट्स बना रही है. स्वाति कहती हैं कि सिंगापुर और इंग्लैंड में नौकरी करते करते ही ये सोच लिया था कि अपना कुछ काम करना है, अपना बिजनेस करना है. ऐसा बिजनेस जो भारत मे हो और किसानों की जिंदगी में कुछ मिठास ला सकें और समाज के हितकारी के लिए भी हो. इसीलिए उन्होंने स्टीविया की खेती को चुना. इस नेचुरल स्वीटनर की देश विदेश में बड़ी डिमांड है.
लीज पर खेत लेकर शुरू की खेती
स्वाती खीरी जिले के नीमगांव इलाके के कोटरा गांव के रहने वाले डॉक्टर अशोक कुमार पाण्डेय की बेटी हैं. डॉक्टर अशोक कुमार पाण्डेय भारतीय वन अनुसन्धान संस्थान में साइंटिस्ट थे, जो हाल ही में उपनिदेशक पद से रिटायर हुए हैं. स्वाति की मां घरेलू महिला हैं. बचपन में जब स्वाति छुट्टी बिताने गांव आया करती थीं तो किसानों की दीन हीन दशा देखकर उनके लिए मन में कुछ करने का जज्बा था. 2010 में आईआईटी धनबाद से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद स्वाति को उच्च शिक्षा के लिए कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप मिल गई. स्वाति भारत से लन्दन के प्रतिष्ठित इम्पीरियल कॉलेज से पीजी कर वहीं नौकरी करने लगीं. इसके बाद स्वाति सिंगापुर चली गईं और अच्छी पगार वाली नौकरी शुरू की. स्वाति कहती हैं कि सिंगापुर में रहते हुए उन्होंने यह देखा कि नेचुरल स्वीटनर यानी शुगर फ्री की बड़ी डिमांड है. उन्हें एक ऐसे बिजनेस की तलाश थी जिसका सोसायटी पर पॉजिटिव इम्पैक्ट हो. ऐसे में शुगर फ्री से बढ़िया और क्या हो सकता था. अच्छी नौकरी करते हुए स्वाति अपने देश में अपने देश के लोगों के लिए कुछ करने का प्लान करती रहीं. लखीमपुर आकर स्वाति ने स्टीविया की नर्सरी बनाई और लीज पर खेत लेकर स्टीविया की खेती शुरू की. तीन साल तो रिसर्च वर्क चला कि स्टीविया की कौन सी वैरायटी लगाई जाए. स्वाति ने कड़ी मेहनत करके अपनी कम्पनी खोल ली और प्रोडक्ट्स भी लांच कर दिए हैं. स्वाति कहती हैं कि अभी तो यह शुरुआत है, अभी लम्बी उड़ान बाकी है.
2018 में मिला कार्टियर वीमेंस इनिशिएटिव अवार्ड
स्वाति पांडे को 2018 में अपनी कंपनी अरबोरियल के जरिए नया स्टार्टअप शुरू करने के लिए एशिया पेसिफिक से कार्टियर विमेंस इनीशिएटिव अवार्ड के लिए चुना गया. स्वाति को इनाम में 1 लाख डॉलर का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला. स्वाति की कंपनी आरबोरियल के शुरू होने की यह कहानी करीब 5 साल पुरानी है. 2015 में स्वाती ने अपनी कंपनी शुरू की. शुरुआत में स्वाति ने फार्म लेकर स्टीविया को उगाया और उसके प्रोडक्ट बनाने की तरफ आगे बढ़ीं. फार्म पर नर्सरी में स्टीविया की पौध तैयार करने से लेकर स्टीविया को खेतों में लगाने तक करीब ढाई सौ लोगों को सालभर स्वाति ने रोजगार दिया. इनमें ज्यादातर महिला मजदूर हैं, जिनको खेतों में सालभर काम मिलता है. इसके अलावा फील्ड स्टाफ लखनऊ बायोटेक पार्क में और यूपी भर में तैनात है.
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में स्वाति की कम्पनी को मिला टेंडर
प्रधानमंत्री जन औषधि योजना में भारत सरकार से निकले टेंडर में स्वाति की कंपनी अरबोरियल प्राइवेट लिमिटेड को नेचुरल स्वीटनर सप्लाई का टेंडर मिला है. भारत भर में करीब 6000 जन औषधि केंद्रों पर आर बोरियल के उत्पाद बिकने लगे हैं और इनकी डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है. आरबोरियल कम्पनी का 'मधुरक' जन औषधि केंद्रों पर बिकने लगा. एमेजॉन पर मैजिक लीफ नाम से नेचुरल स्वीटनर बिक रहा है. स्वाति कहती हैं कि लिक्विड और पाउडर फार्म में भी प्रोडक्ट्स लांच हो चुके हैं. हम जल्द ही बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं.
किसानों को सीधे खुद से जोड़ रही हैं स्वाति
स्वाति पांडे अब यूपी के कई जिले के किसानों को अपने साथ जोड़कर स्टीविया यानी मीठी तुलसी की खेती के लिए जोड़ रही हैं. स्टीविया की खेती से किसान साल में 1 एकड़ में डेढ़ लाख रुपए की आमदनी कमा सकते हैं. इसको जानवर खाते नहीं, इसलिए ये जंगलों के किनारे भी हो सकती है. स्वाति कहती हैं कि भारत या विदेशों में आ रही 90 फीसदी स्टीविया या उससे बने प्रोडक्ट्स चीन से आ रहे हैं. स्वाति का कहना है कि हमें चीन को पीछे छोड़ना है, जिससे देश खुद आत्मनिर्भर बन सके. चीन में स्टीविया की एकीकृत खेती हो रही है, जिससे वह पूरे विश्व में स्टीविया से बने शुगर फ्री प्रोडक्ट्स बनाकर बेच रहा है. स्वाति ने कहा कि हमने अपनी स्टडी में पाया कि स्टीविया के नेचुरल प्रोडक्ट्स की मांग लगातार बढ़ती जा रही है और हमारे देश की जलवायु स्टीविया की खेती के अनुकूल है. इसीलिए मार्केट स्ट्रेटजी, डिमांड और सप्लाई को देखते हुए स्वाति ने स्टीविया की खेती शुरू कराई और कम्पनी बनाई.