लखीमपुर खीरीः शौर्य चक्र विजेता मेजर अभिषेक सिंह का लखीमपुर खीरी में जोरदार स्वागत किया गया. मेजर अभिषेक जब अपने स्कूल डॉन बास्को पहुंचे तो वो इमोशनल हो गए. अपने टीचर्स के पैर छूकर आशीर्वाद लिया और स्वागत में आए स्कूली बच्चों से कहा कि जिंदगी में एक मिसाइल चूक सकती, दो चूक सकती पर अगर दिल से और लगन से निशाना लगाया तो हो ही नहीं सकता कि निशाना चूक जाए. जिंदगी में हार कभी न मानना. अपना गोल निश्चित करिए और उस पर लग जाइए. सफलता आपके कदम चूमेगी.
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से हाल ही में शौर्य चक्र द्वारा सम्मानित किए गए लखीमपुर के लाल मेजर अभिषेक सिंह अपने शहर आए तो उनका जिले के संगठनों और लोगों ने जोरदार स्वागत किया. मेजर अभिषेक सिंह की अगवानी शहर के बाहर ही करने मोटरसाइकिल और कारणों से लोग पहुंच गए. भारत माता की जय के नारे लगाते हुए मेजर अभिषेक सिंह को कार से पहले शहर में लाया गया. मूसाराम इंटरप्राइजेज पर उनका स्वागत किया गया. इसके बाद शहर के हर गली मोहल्ले से निकलते हुए मुख्य बाजार में जगह-जगह व्यापारियों जेसी रोटरी आदि संस्थाओं ने मेजर अभिषेक सिंह का स्वागत किया.
इसके बाद अभिषेक सिंह अपने कॉलेज पहुंचे, जहां उन्होंने नर्सरी से लेकर इंटर तक की शिक्षा ग्रहण की थी. डॉन बॉस्को कॉलेज के बच्चों ने मेजर अभिषेक सिंह की अगवानी आर्मी के स्टाइल में ही किया. गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए पूरे सम्मान के साथ उन्हें मंच तक ले जाया गया. मेजर अभिषेक भी अपने कॉलेज को देख कर भावुक हो गए. कॉलेज की पुरानी टीचर्स रीता जूडा, जान्हवी मिश्रा आदि को देख तुरंत अभिषेक ने उनके झुककर पैर छुए. कॉलेज के बच्चों ने भारत माता की जय के नारों के साथ मेजर अभिषेक और अपने कॉलेज के पूर्व छात्र का इस्तकबाल किया. कॉलेज के फादर ने मेजर अभिषेक को सैंपलिंग देकर उनका सम्मान किया. अभिषेक के किसान पिता परमेश सिंह का भी सम्मान किया गया.
मेजर अभिषेक ने अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि जिंदगी में सफलता और असफलता तो लगी ही रहती है. कभी हार नहीं माननी चाहिए और न कभी पीछे मुड़कर देखना चाहिए. उन्होंने अपने सीडीएस की ट्रेनिंग के दौर का एक वाकया बताते हुए बच्चों से कहा कि ट्रेनिंग के दौरान मिसाइल ट्रेनिंग में उनका मिसाइल दो बार नहीं दगा. पर जब कश्मीर में वह आतंकवादियों से लोहा ले रहे थे तो उनकी जान बच गई तो लगा कि जिंदगी में कभी भी हार नहीं माननी चाहिए. उन्होंने बताया कि वह साधारण स्टूडेंट थे. पढ़ाई के लिए उन्होंने घर में भी खूब मार खाई. पढ़ाई लिखाई में बहुत तेज नहीं थे न ही कोई टॉपर थे.
स्कूल के दिनों को याद करते हुए मेजर अभिषेक ने बताया कि नंबर गेम में विद्यार्थियों को कभी नहीं पड़ना चाहिए. उन्हें हाईस्कूल और इन्टर में बहुत अच्छे नम्बर नहीं मिले थे, पर बचपन में ही यह तय कर रखा था कि उन्हें किसी भी तरह आर्मी ज्वॉइन करनी है और इसके लिए उन्होंने पहले एनडीए की तैयारी की पर सफलता नहीं मिली तो वाईडीसी से ग्रेजुएशन के बाद सीडीएस की तैयारी की. सीडीएस में सेलेक्शन के बाद उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरे मनोयोग से की.
उन्होंने कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेने की घटना को बताते हुए कहा किफ्रैक्शन ऑफ सेकंड्स में जब उनके ऊपर से एके-47 की गोलियां निकल गईं तो लगा कि जिंदगी हर मोड़ पर इम्तेहान लेती है. उन्होंने कॉलेज के स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए कहा कि कभी घबराना नहीं, कभी मेहनत से जी न चुराना. लगातार आगे बढ़ते रहना सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी.