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लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व में घाघरा में फंसे टाइगर को रेस्क्यू कर बचाया गया

लखीमपुर खीरी के दुधवा टाइगर रिजर्व के कर्तनियाघाट वन्यजीव विहार में एक टाइगर को रेस्क्यू कर बचा लिया गया. टाइगर घाघरा नदी में फंस गया था.

घाघरा में फंसा टाइगर
घाघरा में फंसा टाइगर
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Published : Jul 23, 2022, 6:46 AM IST

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व के कर्तनियाघाट वन्यजीव विहार में शुक्रवार को घाघरा नदी के भंवर में फंसे टाइगर का सफल रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया. दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन, सिंचाई विभाग और स्थानीय नागरिकों की मदद से घागरा की धार में फंसे एक बाघ को बचा लिया गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन पर दुधवा पार्क प्रशासन और इस अभियान में लगे सभी लोगों को बधाई दी.

गिरिजापुरी बैराज में घाघरा की लहरों में टाइगर फंस गया था. घाघरा की लहरों में एक घंटे से ज्यादा देर तक टाइगर अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करता रहा. इसके बाद कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार के डिप्टी डायरेक्टर आकाश बधावन और रेस्क्यू टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से टाइगर को बचाया. स्थानीय नाविकों ने भी सहयोग दिया. सिंचाई विभाग ने घाघरा बैराज के गेट को बंदकर पानी की धार को कम किया. इसके बाद बाघ को रेस्क्यू टीम ने सकुशल बचा लिया.

टाइगर को बचाने की जानकारी देते दुधवा के फील्ड डायरेक्टर.

यह भी पढ़ें: दूध न देने वाली गाय को अगर छोड़ा तो होगी जेल : धर्मपाल सिंह

दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि बाघ एक कुशल तैराक होता है. लेकिन, घाघरा नदी के तेज भंवर में वह फंस गया था और बहता हुआ गिरिजापुरी बैराज तक पहुंच गया था. यहां बैराज की तेज धार में बाघ उलटी दिशा में तैरता रहा. वन विभाग की टीम को जब खबर मिली तो तुरंत आनन-फानन में एक सफल रेस्क्यू ऑपरेशन कर उसको बचा लिया गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग, सिंचाई विभाग और स्थानीय लोगों का बड़ा सहयोग रहा.

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लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व के कर्तनियाघाट वन्यजीव विहार में शुक्रवार को घाघरा नदी के भंवर में फंसे टाइगर का सफल रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया. दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन, सिंचाई विभाग और स्थानीय नागरिकों की मदद से घागरा की धार में फंसे एक बाघ को बचा लिया गया. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन पर दुधवा पार्क प्रशासन और इस अभियान में लगे सभी लोगों को बधाई दी.

गिरिजापुरी बैराज में घाघरा की लहरों में टाइगर फंस गया था. घाघरा की लहरों में एक घंटे से ज्यादा देर तक टाइगर अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करता रहा. इसके बाद कतर्नियाघाट वन्यजीव विहार के डिप्टी डायरेक्टर आकाश बधावन और रेस्क्यू टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से टाइगर को बचाया. स्थानीय नाविकों ने भी सहयोग दिया. सिंचाई विभाग ने घाघरा बैराज के गेट को बंदकर पानी की धार को कम किया. इसके बाद बाघ को रेस्क्यू टीम ने सकुशल बचा लिया.

टाइगर को बचाने की जानकारी देते दुधवा के फील्ड डायरेक्टर.

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दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक का कहना है कि बाघ एक कुशल तैराक होता है. लेकिन, घाघरा नदी के तेज भंवर में वह फंस गया था और बहता हुआ गिरिजापुरी बैराज तक पहुंच गया था. यहां बैराज की तेज धार में बाघ उलटी दिशा में तैरता रहा. वन विभाग की टीम को जब खबर मिली तो तुरंत आनन-फानन में एक सफल रेस्क्यू ऑपरेशन कर उसको बचा लिया गया. इस रेस्क्यू ऑपरेशन में वन विभाग, सिंचाई विभाग और स्थानीय लोगों का बड़ा सहयोग रहा.

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