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दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में 100 साल बाद मिला दुर्लभ आर्किड का फूल - लखीमपुर खीरी ताजा खबर

यूपी के लखीमपुर दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगलों में दुर्लभ आर्किड का फूल मिला है. दुधवा टाइगर रिजर्व प्रशासन इसे एक नई खोज मान रहा है.

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दुधवा टाइगर रिजर्व में मिला आर्किड का फूल
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Published : Jul 5, 2020, 4:31 PM IST

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व में दुर्लभ ऑर्किड के फूल का पौधा मिला है. दुधवा टाइगर रिजर्व के अफसरों का कहना है कि आर्किड का यह फूल तराई के जंगलों में करीब 100 साल बाद दिखा है. इसके पहले अंग्रेजों ने ही इस आर्किड को वनों में उत्तराखण्ड में नोटिफाइड किया है. दुधवा में इस फूल की खोज दुधवा के डायरेक्टर संजय कुमार, डब्लूडब्लूएफ के कोआर्डिनेटर मुदित गुप्ता और कर्तनियाघाट फाउंडेशन के सदस्य वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर फजलुर्रहमान ने की है. दुधवा के पूर्व डायरेक्टर रमेश पाण्डेय कहते हैं ये दुर्लभ आर्किड तराई के जंगलों में पहली बार दिखा है. ये दुधवा के लिए नई खोज है. आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल ये आर्किड की प्रजाति संकटापन्न है.

तराई के जंगलों में पहली बार दिखा दुर्लभ फूल
दुधवा टाइगर रिजर्व के पूर्व डायरेक्टर और वर्तमान में दिल्ली जू के डायरेक्टर रमेश कुमार पांडे ने अपने ट्विटर हैंडल पर दो ऑर्किड के फूलों की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है, दुधवा में एक नई डिस्कवरी हुई है. जमीन पर उगने वाला यूलोफिया आबटुसा (Eulophia Obtusa) नाम का आर्किड दुधवा में पहली बार मिला. दुधवा टाइगर रिजर्व में मौजूद फ्लोरल रेकॉर्ड्स के अनुसार तराई के जंगलों में यह दुर्लभ फूल पहली बार दिखा है.

दुधवा के लिए है नई खोज
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं कि दुधवा में फील्ड विजिट के दौरान यह अनोखा बेहद अलग और खूबसूरत फूल मूंज के बीच उगा दिखा. इसे देखकर हमारी टीम ठिठक गई, यह नया फूल बेहद सुंदर और आकर्षक है. जब दुधवा में मौजूद फूलों की लिस्ट देखी गई तो इस ऑर्किड का उल्लेख कहीं नहीं मिला. यह हमारे लिए एक नई खोज है.

कर्तनियाघाट फाउन्डेशन के सदस्य फलजुर्रहमान कहते हैं यह हमारे लिए एक बिल्कुल नया एहसास था. हम फूल की खूबसूरती देख ठिठक गए, ऐसा लग रहा था, जैसे एक नई खोज कर ली.

ऑर्किड पर इंटरनेशनल जर्नल्स में लिखने वाले और जर्मनी में रहकर रिसर्च कर रहे बांग्लादेश के एमडी शरीफ हुसैन सौरव कहते हैं कि जंगलों में हो रहे हैबिटेट लॉस से इस ऑर्किड का वजूद खतरे में है. यूलोफिया ओबटुसा भी भयंकर खतरे में है. उनका कहना है कि युलोफिया ओबटुसा 1833 में उत्तराखंड में देखी गई थी. इसके बाद गैंगेटिक प्लेन्स में यह ऑर्किड की प्रजाति 1902 में पाई गई. जंगलों के लगातार गायब होने और खेती के बढ़ते दायरे में यह ऑर्किड की प्रजाति खत्म होने की कगार पर है. आईयूसीएन की रेड लिस्ट में भी शामिल है.

मुदित गुप्ता ने दी जानकारी
डब्लूडब्लूएफ के कोआर्डिनेटर मुदित गुप्ता कहते हैं कि अभी तक दुधवा में मौजूद फ्लावर्स के डाक्यूमेंटेशन में यूलोफिया ओबटुसा का जिक्र नहीं मिलता. हम दुधवा के फ़्लोरा फना की तहकीकात और अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इस खूबसूरत ऑर्किड को जंगल में देखना अपने आप में सुखद अनुभव है.

लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व में दुर्लभ ऑर्किड के फूल का पौधा मिला है. दुधवा टाइगर रिजर्व के अफसरों का कहना है कि आर्किड का यह फूल तराई के जंगलों में करीब 100 साल बाद दिखा है. इसके पहले अंग्रेजों ने ही इस आर्किड को वनों में उत्तराखण्ड में नोटिफाइड किया है. दुधवा में इस फूल की खोज दुधवा के डायरेक्टर संजय कुमार, डब्लूडब्लूएफ के कोआर्डिनेटर मुदित गुप्ता और कर्तनियाघाट फाउंडेशन के सदस्य वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर फजलुर्रहमान ने की है. दुधवा के पूर्व डायरेक्टर रमेश पाण्डेय कहते हैं ये दुर्लभ आर्किड तराई के जंगलों में पहली बार दिखा है. ये दुधवा के लिए नई खोज है. आईयूसीएन की रेड लिस्ट में शामिल ये आर्किड की प्रजाति संकटापन्न है.

तराई के जंगलों में पहली बार दिखा दुर्लभ फूल
दुधवा टाइगर रिजर्व के पूर्व डायरेक्टर और वर्तमान में दिल्ली जू के डायरेक्टर रमेश कुमार पांडे ने अपने ट्विटर हैंडल पर दो ऑर्किड के फूलों की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा है, दुधवा में एक नई डिस्कवरी हुई है. जमीन पर उगने वाला यूलोफिया आबटुसा (Eulophia Obtusa) नाम का आर्किड दुधवा में पहली बार मिला. दुधवा टाइगर रिजर्व में मौजूद फ्लोरल रेकॉर्ड्स के अनुसार तराई के जंगलों में यह दुर्लभ फूल पहली बार दिखा है.

दुधवा के लिए है नई खोज
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय कुमार कहते हैं कि दुधवा में फील्ड विजिट के दौरान यह अनोखा बेहद अलग और खूबसूरत फूल मूंज के बीच उगा दिखा. इसे देखकर हमारी टीम ठिठक गई, यह नया फूल बेहद सुंदर और आकर्षक है. जब दुधवा में मौजूद फूलों की लिस्ट देखी गई तो इस ऑर्किड का उल्लेख कहीं नहीं मिला. यह हमारे लिए एक नई खोज है.

कर्तनियाघाट फाउन्डेशन के सदस्य फलजुर्रहमान कहते हैं यह हमारे लिए एक बिल्कुल नया एहसास था. हम फूल की खूबसूरती देख ठिठक गए, ऐसा लग रहा था, जैसे एक नई खोज कर ली.

ऑर्किड पर इंटरनेशनल जर्नल्स में लिखने वाले और जर्मनी में रहकर रिसर्च कर रहे बांग्लादेश के एमडी शरीफ हुसैन सौरव कहते हैं कि जंगलों में हो रहे हैबिटेट लॉस से इस ऑर्किड का वजूद खतरे में है. यूलोफिया ओबटुसा भी भयंकर खतरे में है. उनका कहना है कि युलोफिया ओबटुसा 1833 में उत्तराखंड में देखी गई थी. इसके बाद गैंगेटिक प्लेन्स में यह ऑर्किड की प्रजाति 1902 में पाई गई. जंगलों के लगातार गायब होने और खेती के बढ़ते दायरे में यह ऑर्किड की प्रजाति खत्म होने की कगार पर है. आईयूसीएन की रेड लिस्ट में भी शामिल है.

मुदित गुप्ता ने दी जानकारी
डब्लूडब्लूएफ के कोआर्डिनेटर मुदित गुप्ता कहते हैं कि अभी तक दुधवा में मौजूद फ्लावर्स के डाक्यूमेंटेशन में यूलोफिया ओबटुसा का जिक्र नहीं मिलता. हम दुधवा के फ़्लोरा फना की तहकीकात और अध्ययन कर रहे हैं, लेकिन इस खूबसूरत ऑर्किड को जंगल में देखना अपने आप में सुखद अनुभव है.

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