लखीमपुर खीरी: जिले में प्राइवेट स्कूल संचालक शुक्रवार को 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाते हुए कलेक्ट्रेट पहुंच गए. स्कूल संचालकों ने एक स्वर में कहा कि कोरोना से उपजे लॉकडाउन में हम बर्बाद हो चुके हैं. उस पर प्रशासन अब उन पर जबरदस्ती चुनाव के लिए बसें देने का दबाव बना रहा है. प्रशासन कोरोना में स्कूल तो बंद किए हुए है, लेकिन नेता रैलियां बदस्तूर जारी किए हुए हैं.
स्कूल संचालकों ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम दिया. इसमें लिखा कि या तो बिजली बिल से लेकर बिल्डिंग बनाने की ईएमआई और बसों की किस्तों में उनको छूट दिलवाई जाए, अन्यथा उनको इच्छा मृत्यु दे दी जाए. अब वह और जुल्म सहने को तैयार नहीं.
कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन
आर्यावर्त स्ववित्तपोषित स्कूल संचालकों और टीचर्स ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया. सबसे पहले स्कूल संचालकों ने भाजपा के पंचायत चुनाव प्रभारी अनिल तिवारी को अपना मांगपत्र सौंपा और दर्द मुख्यमंत्री से साझा करने की अपील की. इसके बाद स्कूल संचालक कलेक्ट्रेट पहुंचे. डीएम और एसडीएम चुनावी सिलसिले में दौरे पर थे तो सब के सब भारत माता की जय, वंदे मातरम, स्कूल एकता जिंदाबाद के नारे लगाते एसडीएम अरुण कुमार सिंह के दफ्तर के बाहर पहुंच गए. मांग पत्र राजीव त्रिवेदी ने पढ़कर सुनाया.
सरकार ने नहीं की कोई मदद
उन्होंने कहा कि स्कूलों पर कोरोना की मार पड़ी है. बैंकों से कर्ज लेकर हम लोगों ने स्कूल बनवाए. बच्चों को लाने-ले जाने को बसें खरीदीं. पर कोरोना के चलते एक साल से न फीस मिली न कोई अन्य सरकारी मदद. स्कूल संचालकों की बिल्डिंग, बसों की ईएमआई जा रही, जिसमें कोई राहत या मदद स्कूलों को सरकार ने नहीं दी. उधर, पंचायत चुनाव में प्रशासन का फरमान आया है कि अपनी बसों की फिटनेस कराकर चुनाव के लिए दें. संचालकों ने कहा कि वो 60-70 हजार लगाकर बसों की फिटनेस कराने की स्थिति में नहीं हैं.
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…नहीं तो इच्छा मृत्यु दे दी जाए
संचालकों ने मांग की कि स्कूल टीचर्स को 10 हजार, स्टॉफ को पांच हजार रुपये महीने की दर से सरकार मदद करे. वहीं, ईएमआई में राहत दिलवाए. स्कूल खोलने की इजाजत दे, वरना वो बर्बाद हो जाएंंगे. स्कूल संचालकों ने कहा कि उनकी मांगों पर सरकार सहानुभूतिपूर्वक विचार करे, नहीं तो उनको इच्छा मृत्यु दे दी जाए.