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लखीमपुर हिंसा मामला : मंत्री के बेटे के दोस्त सुमित की जमानत टली

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया हिंसा मामले में आरोपी सुमित जायसवाल की जमानत प्रार्थना पत्र को अदालत ने किया कैंसिल. अब जमानत पर सुनवाई, मुकदमे में बढ़ी धाराओं के आधार पर नई बेल एप्लिकेशन पर होगा.

लखीमपुर हिंसा मामला
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Published : Dec 15, 2021, 4:23 PM IST

लखीमपुर खीरी : तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के मुख्य आरोपी बेटे आशीष मिश्र मोनू के दोस्त सुमित जायसवाल उर्फ मोदी की जमानत प्रार्थना पत्र अदालत ने कैंसिल कर दिया है. अब जमानत पर सुनवाई मुकदमे में बढ़ी धाराओं के आधार पर नई बेल एप्लिकेशन पर होगा.

अभियोजन ने जिला जज की अदालत में तर्क दिया कि जब मामले में 307, 326, 34 और शस्त्र अधिनियम की धाराएं मुकदमे में बढ़ गईं हैं, तो पुरानी जमानत अर्जी पर सुनवाई का क्या मतलब. इस पर बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली है. अवधेश सिंह का कहना था, वो नई जमानत अर्जी अदालत में डालेंगे.

दरअसल, तीन अक्टूबर को हुए तिकुनिया हिंसा मामले में सुमित जायसवाल भी किसानों की तरफ से दर्ज एफआईआर में आरोपी हैं, जो गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र के दोस्त हैं. सुमित जयसवाल थार से भागते हुए वीडियो में भी दिखाई पड़े थे. इसके आधार पर सुमित जायसवाल पर किसानों ने एफआईआर दर्ज कराई थी. 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में सुमित आरोपी हैं.

इसे भी पढे़ं- मथुरा पहुंचे प्रवीण तोगड़िया, बोले- सरकार से किसान नाराज

बता दें, सुमित की जमानत अर्जी पर बुधवार यानी आज जिला जज की अदालत में सुनवाई होनी थी, पर अभियोजन पक्ष के वकील शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने अदालत के सामने एप्लीकेशन देकर बताया कि तिकुनिया हिंसा मामले में विवेचक के प्रार्थना पत्र पर अब 307, 326, 34 और शस्त्र अधिनियम की धाराएं बढ़ गईं हैं, ऐसे में सुमित जायसवाल की जमानत पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. नई एप्लीकेशन के आधार पर ही कोई सुनवाई हो. वहीं, कुछ माल विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया है. उसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इस पर बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने सुमित जायसवाल की बेल एप्लीकेशन वापस ले ली है.

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लखीमपुर खीरी : तिकुनिया हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के मुख्य आरोपी बेटे आशीष मिश्र मोनू के दोस्त सुमित जायसवाल उर्फ मोदी की जमानत प्रार्थना पत्र अदालत ने कैंसिल कर दिया है. अब जमानत पर सुनवाई मुकदमे में बढ़ी धाराओं के आधार पर नई बेल एप्लिकेशन पर होगा.

अभियोजन ने जिला जज की अदालत में तर्क दिया कि जब मामले में 307, 326, 34 और शस्त्र अधिनियम की धाराएं मुकदमे में बढ़ गईं हैं, तो पुरानी जमानत अर्जी पर सुनवाई का क्या मतलब. इस पर बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली है. अवधेश सिंह का कहना था, वो नई जमानत अर्जी अदालत में डालेंगे.

दरअसल, तीन अक्टूबर को हुए तिकुनिया हिंसा मामले में सुमित जायसवाल भी किसानों की तरफ से दर्ज एफआईआर में आरोपी हैं, जो गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्र के दोस्त हैं. सुमित जयसवाल थार से भागते हुए वीडियो में भी दिखाई पड़े थे. इसके आधार पर सुमित जायसवाल पर किसानों ने एफआईआर दर्ज कराई थी. 4 किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में सुमित आरोपी हैं.

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बता दें, सुमित की जमानत अर्जी पर बुधवार यानी आज जिला जज की अदालत में सुनवाई होनी थी, पर अभियोजन पक्ष के वकील शासकीय अधिवक्ता अरविंद त्रिपाठी ने अदालत के सामने एप्लीकेशन देकर बताया कि तिकुनिया हिंसा मामले में विवेचक के प्रार्थना पत्र पर अब 307, 326, 34 और शस्त्र अधिनियम की धाराएं बढ़ गईं हैं, ऐसे में सुमित जायसवाल की जमानत पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए. नई एप्लीकेशन के आधार पर ही कोई सुनवाई हो. वहीं, कुछ माल विधि विज्ञान प्रयोगशाला में भेजा गया है. उसकी रिपोर्ट आनी बाकी है. इस पर बचाव पक्ष के वकील अवधेश सिंह ने सुमित जायसवाल की बेल एप्लीकेशन वापस ले ली है.

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