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30 साल पुरानी व्यवस्था से राइस मिलर्स परेशान, बोले-बंद कर देंगे कारोबार

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Published : Sep 27, 2021, 5:42 PM IST

लखीमपुर राइस मिलर्स एसोशिएशन ने सरकार से भाड़ा, हलिंग चार्ज बढ़ाने और चावल रिकवरी की 67 प्रतिशत की 30 साल पुरानी व्यवस्था को बदलने की मांग की है. माग पूरी न होने की दशा में मिलर्स ने इस बार राइस मिल नहीं चलाने की चेतावनी दी है.

लखीमपुर राइस मिलर्स एसोशिएशन
लखीमपुर राइस मिलर्स एसोशिएशन

लखीमपुर खीरी: यूपी के राइस मिलर्स ने सरकार से हलिंग चार्ज बढ़ाने की मांग की है. मिलर्स ने दो टूक कहा है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तरह उनको हलिंग चार्ज 250 रुपये प्रति कुंतल दिया जाए, जबकि यूपी में ये 10 रुपये मिल रहा. राइस मिलर्स एसोशिएशन ने कहा है कि सरकार उनका भाड़ा बढ़ाए, हलिंग चार्ज बढ़ाए और चावल रिकवरी की 67 प्रतिशत की 30 साल पुरानी व्यवस्था को बदले. अन्यथा मिलर इस बार राइस मिल नहीं चलाएंगे. मिलर्स ने मांग की है कि पीसीएफ पर सूख का बकाया मिलर्स का करोड़ों रुपये भी दिलाए.

ये है मसला
राइस मिलर्स का कहना है कि 30 साल पहले मिलर के लिए सरकार ने 67 पर्सेंट चावल की रिकवरी का नियम बनाया था. एक कुंतल में 67 किलो चावल की रिकवरी अब नहीं आती. पहले किसान ओसा कर साफ धान मिल पर लाता था. पर अब 25-30 परसेंट मॉइस्चर का धान मंडी में किसान लाता है, जिसकी रिकवरी 60 परसेंट से ज्यादा नहीं आती. इसलिए रिकवरी के ये पुराने नियम सरकार बदले. वहीं, हलिंग चार्ज भी यूपी में मिलर्स को 10 रुपये कुंतल मिल रहा, जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रति कुंतल 250 रुपये सरकार मिलर्स को दे रही. मिलर्स का कहना है कि 30 साल पुराने नियम सरकार राइस इंडस्ट्री को चलाने के लिए बदले.

लखीमपुर राइस मिलर्स एसोशिएशन की मांग



लखीमपुर राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मिश्रा कहते हैं कि सरकार मैसूर लैब की रिपोर्ट दबाए क्यों बैठी है. चावल रिकवरी की लैब रिपोर्ट को सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होने कहा कि सरकार आखिर मैसूर लैब की रिपोर्ट को क्यों छिपा रही. राजीव मिश्रा कहते हैं कि तीस सालों में लेबर ,भाड़ा, बिजली और डीजल सब कितने गुना बढ़ गया इसका सरकार हिसाब लगाए. पर सरकार ने मिलर्स का न हलिंग चार्ज बढ़ाया न ही और कोई खर्च बढ़ाया. उन्होंने कहा कि सरकार अगर जल्द उनकी मांगो पर ध्यान नहीं देती तो मिलर्स इस बार राइस मिल नही चलाएंगे.

इसे भी पढ़ें-गन्ना मंत्री का दावा, अक्टूबर से संचालित होंगी पश्चिमी यूपी की चीनी मिलें


खीरी जिले में रह गईं हैं 80 से 42 राइस मिलें
राइस मिल एसोसिएशन का कहना है कि सरकार की इन्हीं गलत नीतियों के कारण राइस मिलें लगातार कम होती चली जा रहीं. मिलर लगातार घाटे के चलते अपनी मिलें बन्द कर रहे हैं. जो आने वाले वक्त के लिए ठीक नहीं. सरकार को मिलर्स की बात सुननी चाहिए और कोई सकारात्मक निष्कर्ष निकालना चाहिए. राजीव मिश्रा ने कहा कि खीरी जिले में 80 राइस मिल हुआ करती थी. लेकिन, अब मुश्किल से 42 राइस मिलें रह गईं हैं. इनमें से भी 25-30 ही ठीक से चल रहीं बाकी जैसे तैसे अपना कारोबार चला रहीं.

लखीमपुर खीरी: यूपी के राइस मिलर्स ने सरकार से हलिंग चार्ज बढ़ाने की मांग की है. मिलर्स ने दो टूक कहा है कि छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की तरह उनको हलिंग चार्ज 250 रुपये प्रति कुंतल दिया जाए, जबकि यूपी में ये 10 रुपये मिल रहा. राइस मिलर्स एसोशिएशन ने कहा है कि सरकार उनका भाड़ा बढ़ाए, हलिंग चार्ज बढ़ाए और चावल रिकवरी की 67 प्रतिशत की 30 साल पुरानी व्यवस्था को बदले. अन्यथा मिलर इस बार राइस मिल नहीं चलाएंगे. मिलर्स ने मांग की है कि पीसीएफ पर सूख का बकाया मिलर्स का करोड़ों रुपये भी दिलाए.

ये है मसला
राइस मिलर्स का कहना है कि 30 साल पहले मिलर के लिए सरकार ने 67 पर्सेंट चावल की रिकवरी का नियम बनाया था. एक कुंतल में 67 किलो चावल की रिकवरी अब नहीं आती. पहले किसान ओसा कर साफ धान मिल पर लाता था. पर अब 25-30 परसेंट मॉइस्चर का धान मंडी में किसान लाता है, जिसकी रिकवरी 60 परसेंट से ज्यादा नहीं आती. इसलिए रिकवरी के ये पुराने नियम सरकार बदले. वहीं, हलिंग चार्ज भी यूपी में मिलर्स को 10 रुपये कुंतल मिल रहा, जबकि मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रति कुंतल 250 रुपये सरकार मिलर्स को दे रही. मिलर्स का कहना है कि 30 साल पुराने नियम सरकार राइस इंडस्ट्री को चलाने के लिए बदले.

लखीमपुर राइस मिलर्स एसोशिएशन की मांग



लखीमपुर राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव मिश्रा कहते हैं कि सरकार मैसूर लैब की रिपोर्ट दबाए क्यों बैठी है. चावल रिकवरी की लैब रिपोर्ट को सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए. उन्होने कहा कि सरकार आखिर मैसूर लैब की रिपोर्ट को क्यों छिपा रही. राजीव मिश्रा कहते हैं कि तीस सालों में लेबर ,भाड़ा, बिजली और डीजल सब कितने गुना बढ़ गया इसका सरकार हिसाब लगाए. पर सरकार ने मिलर्स का न हलिंग चार्ज बढ़ाया न ही और कोई खर्च बढ़ाया. उन्होंने कहा कि सरकार अगर जल्द उनकी मांगो पर ध्यान नहीं देती तो मिलर्स इस बार राइस मिल नही चलाएंगे.

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खीरी जिले में रह गईं हैं 80 से 42 राइस मिलें
राइस मिल एसोसिएशन का कहना है कि सरकार की इन्हीं गलत नीतियों के कारण राइस मिलें लगातार कम होती चली जा रहीं. मिलर लगातार घाटे के चलते अपनी मिलें बन्द कर रहे हैं. जो आने वाले वक्त के लिए ठीक नहीं. सरकार को मिलर्स की बात सुननी चाहिए और कोई सकारात्मक निष्कर्ष निकालना चाहिए. राजीव मिश्रा ने कहा कि खीरी जिले में 80 राइस मिल हुआ करती थी. लेकिन, अब मुश्किल से 42 राइस मिलें रह गईं हैं. इनमें से भी 25-30 ही ठीक से चल रहीं बाकी जैसे तैसे अपना कारोबार चला रहीं.

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