लखीमपुर खीरी: कहते हैं कि जब मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाता है, कुछ ऐसे ही मुश्किल काम को आसान कर दिखाया है लखीमपुर खीरी जिले के एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने. धूल फांकती तहसील को अरुण कुमार सिंह ने कॉरपोरेट दफ्तर में तब्दील कर दिया है. नई सोच और नए विजन के साथ एसडीएम ने काम किया तो तहसील ISO द्वारा प्रमाणित हो गई.
लखीमपुर खीरी तहसील को ISO 2015 का प्रमाण पत्र मिला तो एसडीएम से लेकर पूरे तहसील स्टाफ ने केक काटकर एक-दूसरे को बधाई दी. आखिरकार छह महीनों की मेहनत जो रंग लाई थी. अपनी मेहनत की सफलता मिलने पर सब बेहद खुश हैं, क्योंकि उनकी तहसील अब कोई खंडहर जैसे सरकारी दफ्तर नहीं कॉरपोरेट ऑफिस की तरह दिखने लगी थी.
लखीमपुर खीरी: रंग लाई SDM की मेहनत, बदल गई तहसील की तस्वीर - सीएण योगी
लखीमपुर खीरी तहसील को ISO 2015 का प्रमाण पत्र मिला. इसका पूरा श्रेय एसडीएम अरुण कुमार और उनके तहसील स्टाफ को जाता है. एसडीएम अरुण कुमार की मेहनत की वजह से आज यह सरकारी तहसील किसी कॉरपोरेट ऑफिस से कम नहीं लगती है.
लखीमपुर खीरी: कहते हैं कि जब मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो मुश्किल काम भी आसान हो जाता है, कुछ ऐसे ही मुश्किल काम को आसान कर दिखाया है लखीमपुर खीरी जिले के एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने. धूल फांकती तहसील को अरुण कुमार सिंह ने कॉरपोरेट दफ्तर में तब्दील कर दिया है. नई सोच और नए विजन के साथ एसडीएम ने काम किया तो तहसील ISO द्वारा प्रमाणित हो गई.
लखीमपुर खीरी तहसील को ISO 2015 का प्रमाण पत्र मिला तो एसडीएम से लेकर पूरे तहसील स्टाफ ने केक काटकर एक-दूसरे को बधाई दी. आखिरकार छह महीनों की मेहनत जो रंग लाई थी. अपनी मेहनत की सफलता मिलने पर सब बेहद खुश हैं, क्योंकि उनकी तहसील अब कोई खंडहर जैसे सरकारी दफ्तर नहीं कॉरपोरेट ऑफिस की तरह दिखने लगी थी.
तहसील को आईएसओ 2015 के प्रमाण पत्र का दर्जा मिला है। तो तहसील में खुशी की लहर है। एसडीएम से लेकर तहसीलदार, नायब तहसीलदार,लेखपाल और तहसील का स्टाफ सब जुटा है। केक काट रहा है एक दूसरे को खिला रहा। छह महीनों की मेहनत की बधाई दे खुशी मना रहा है। अपनी मेहनत पर आज सब बेहद खुश हैं मेहनत रंग लाई है। तहसील की तस्वीर बदल गई है। तहसील कारपोरेट ऑफिस और मल्टीनेशनल दफ्तर की तरह दिखने लगी है।
Body:जी हां लखीमपुर तहसील को आईएसओ 2015 का प्रमाण पत्र मिला है। करीब सालभर पहले इस तहसील में एसडीएम के रूप में अरुण कुमार सिंह ने दायित्व संभाला। इन्नोवेटिव आईडियाज वाले एसडीएम अरुण कुमार सिंह ने तहसील की तस्वीर बदलने का एक खाका तैयार कर दिया। स्टाफ ने भी एसडीएम के साथ कदम से कदम मिलाकर उनका साथ दिया। पहले तहसील का भौतिक परिवेश बदला गया। जिसमें आने वाले फरियादियों के बैठने के लिए बेंचे बनीं। जगह-जगह कूड़े दान,ऑफिस के टेबल कुर्सियां और अलमारी सब एक जैसी कर दी गई।
तहसील में घुसते ही लोगों के लिए साइनेज बोर्ड लगाये गये हैं। कृषि भूमि पट्टा हो,तालाब का पट्टा हो,वरासत का काम हो या फिर जमीनों के बंटवारे का कोई मामला। सभी के लिए एक एक बोर्ड बनाकर कैसे काम कराना है,कहां कराना है,यह दर्ज करा दिया गया। तहसील के रंग रोगन के साथ ही उसकी दरों दीवारों को भी मेंटेन किया गया। सभागार तो ऐसा बना दिया गया जैसे कोई मल्टीनेशनल ऑफिस का मीटिंग हॉल हो।
तहसील में हर कानूनगो के बैठने के लिए उनके चेंबर बनाए गए हैं। उन्हीं चैंबर्स में साथ में कानूनगो के अंडर में आने वाले लेखपालों की भी कुर्सियां मेजें लगी हैं। बाकायदा एसी चैंबर्स बनाए गए हैं। जनता के बैठने के लिए भी यहां भी सुविधा है।
एस डी एम का दफ्तर हो या फिर तहसीलदार का दफ्तर उनको भी रिनोवेट किया गया है। शौचालयों को भी हाई-फाई बनाया गया है महिला और फरियादियों के साथ आने वाले बच्चों के लिए भी टॉयलेट की व्यवस्था है।
तहसील परिसर में पार्किंग की भी अलग व्यवस्था की जा रही है हालांकि अभी काम चल रहा है वकीलों की भी अपनी एक ही जैसी कुर्सियां और मेजें होंगी। उनके मुशियों की भी। बैनामा लेखक हों या फिर स्टांप वेंडर सबके लिए एक जैसी व्यवस्था की गई है।
तहसील में जितनी भी अलमारियां थी उनको एक रंग में रंग दिया गया है कुछ नई खरीदी गई हैं तो कुछ की मरम्मत करा कर उनको दुरुस्त किया गया है। फाइलों के लिए भी सिस्टम बनाया गया है नंबरिंग की गई है। जरूरत पड़ने पर अब तुरंत फाइल मिल जाया करेगी ऐसी व्यवस्था भी हुई है।
फाइलें देख रही लेखपाल प्रियंका कहती हैं कि मेरे लिए किसी सपने से कम नहीं है सरकारी तहसील में जब आई थी तब और अब में इतना फर्क आ गया है लेकिन हम सब ने मेहनत की है और नतीजा आपके सामने हैं।
Conclusion:तहसील का कंप्यूटर रूम बिल्कुल कारपोरेट ऑफिस का कंप्यूटर रूम दिखता है। दीवारों पर जगह-जगह बिजली बचाने के संदेश भी लिखे गए हैं। कूड़ा कहां फेंकना है इसका भी एक नियत स्थान है। डस्टबिन भी जगह जगह रखे गए हैं और उनकी टेपिंग भी की गई है। तहसील के बिजली के एक एक स्विच से लेकर एसी तक के
नायब तहसीलदार हर्षिता तिवारी कहती हैं,हर चीज व्यवस्थित होने से अब हमारी एनर्जी वेस्ट नहीं हो रही। हमें पॉजिटिव एनर्जी मिल रही। काम करने का माहौल मिल रहा। हम जब जो चीज चाहते हैं हमको तुरंत मिल जा रहा। यह सब जनता की सहूलियत के लिए है जनता से कनेक्ट बढाने के लिए ही किया जा रहा। इससे परस्पर सम्बन्ध भी बेहतर होंगे।
तहसील के लेखपालों से लेकर कानूनगो सबके लिए ड्रेसकोड लागू है। क्लर्क से लेकर चपरासी तक सभी बावर्दी दुरुस्त आते हैं। कर्मचारियों को दिल्ली से क्वालिटी मैनेजमेंट की टीम ने आकर ट्रेनिंग दी है। कॉर्पोरेट ऑफिस में कैसे चीजों को मेंटेन किया जाता है,यह सिखाया है। लेखपालों और कानूनगो से लेकर क्लर्क और तहसील के वकीलों ने भी ट्रेनिंग में हिस्सा लिया। अब सब मिलकर तहसील को बदलने के लिए तैयार हैं।
एसडीएम अरुण कुमार सिंह कहते हैं यह सब सिर्फ आईएसओ प्रमाण पत्र पाने के लिए नहीं किया गया। उद्देश्य है कि जनता को सहूलियत मिल सके हम जो सर्विस लोगों को प्रोवाइड करा रहे वो गुणवत्ता परक हो। लोगों का नजरिया सरकारी सिस्टम के प्रति चेंज हो सके कि यहां भी कुछ सकारात्मक हो सकता है।
यही नहीं तहसील में ये सब एसडीएम के जाने के बाद भी कैसे मेंटेन रहे इसके लिए भी एक सक्सेशन प्लान बनाया गया है। जिसको आगे आने वाने एसडीएम और स्टाफ तहसील को ऐसे ही मेंटेन रखें।
बाइट-प्रियंका(लेखपाल)
बाइट-हर्षिता तिवारी(नायब तहसीलदार)
बाइट-अरुण कुमार सिंह(एसडीएम,लखीमपुर)
पीटीसी-प्रशान्त पाण्डेय
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प्रशान्त पाण्डेय
9984152598