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लखीमपुर: बचपन में ही उठ गया था बाप का साया, संघर्ष से बिटिया बनी डिप्टी एसपी - uppsc exam 2016

हर्षिता तिवारी और मनीष कुमार वर्मा का यूपीपीएससी 2016 में चयन हुआ है. हर्षिता अपने जज्बे के दम पर आज नायब तहसीलदार से डिप्टी एसपी बन गईं, तो वहीं मनीष लेखपाल से नायब तहसीलदार बन गए.

हर्षिता तिवारी का पीसीएस 2016 में हुआ चयन
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Published : Feb 23, 2019, 8:15 PM IST

लखीमपुर: कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हर्षिता तिवारी ने. बचपन में सिर से पिता का साया उठ गया था. इसके बावजूदकड़ी मेहनत और जज्बे के दम पर आज वह डिप्टी एसपी बन गईं. वहीं किसान परिवार में जन्मे छोटे से गांव के मनीष कुमार वर्मा लेखपाल से नायब तहसीलदार बन गए. दोनों का यूपीपीएससी2016 में चयन हुआ है. वहीं दोनों का कहना है कि यह आखिरी पड़ाव नहीं, मंजिल अभी और भी है.

हर्षिता तिवारी के पिता बचपन में ही गुजर गए थे. पिता के गुजर जाने के बाद प्रयागराज के मेजा तहसील के छोटे से गांव दिघिया में उनकी मां पर चार बेटियों और एक बेटे की परवरिश का जिम्मा आ गया. उनकी मां ने बेटियों को तालीम की ताकत से आगे बढ़ाना शुरू किया. मेरठ से कम्प्यूटर साइंस में बी-टेक करने के बाद हर्षिता ने टाटा कंसल्टेंसी में जॉब शुरू की. इसके बाद प्रतियोगिता परीक्षाकी तैयारी भी शुरू कर दी. पहली सफलता राजस्व निरीक्षक पद पर नौकरी से मिली. इसके बाद हर्षिता को दूसरी सफलता सप्लाई इंस्पेक्टर के रूप में मिली. फिर नायब तहसीलदार, समीक्षा अधिकारी और 2016 पीसीएस के रिजल्ट में हर्षिता का यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी पद पर चयन हुआ.

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हर्षिता तिवारी का पीसीएस 2016 में हुआ चयन

वहीं हर्षिता का कहना है कि उन्होंने पूरी शिद्दत से नौकरी की. पर्सनल समय से समय निकालकर पढ़ाई करती रही. हर्षिता मौजूदा वक्त में लखीमपुर खीरी जिले में नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हैं. उन्होंने बताया किऑफिस के लोगों, परिवार और पति का काफी सहयोग रहा. राजस्व से पुलिस की नौकरी में जाने की चुनौती को हर स्तर पर स्वीकार करते हुए कहती हैं कि निश्चित तौर पर पुलिस की नौकरी डायनेमिक जॉब है. बहुत चैलेंजिंग भी है, पर इससे समाज के लिए कुछ करने का मौका मिलेगा और नए तरीके से समाज को समझने का भी. उन्होंने कहा कि वो महिला सशक्तीकरण की एक मिसाल बनना चाहती हैं.


वहीं पीसीएस 2016 में ही मनीष कुमार वर्मा का चयन नायब तहसीलदार पद पर हुआ है. नीमगांव इलाके के कोटरी गांव के किसान रवीन्द्र कुमार के पुत्र मनीष खीरी में ही सदर तहसील में लेखपाल पद पर तैनात हैं. गांव की पृष्ठभूमि से निकले मनीष का कहना है कि ग्रामीण पृष्ठमभूमि मायने नहीं रखती. मायने रखता है मेहनत और लक्ष्य को भेदने का जज्बा. उन्होंने कहा कि लक्ष्य आईएएस बनने का है.

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लखीमपुर: कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हर्षिता तिवारी ने. बचपन में सिर से पिता का साया उठ गया था. इसके बावजूदकड़ी मेहनत और जज्बे के दम पर आज वह डिप्टी एसपी बन गईं. वहीं किसान परिवार में जन्मे छोटे से गांव के मनीष कुमार वर्मा लेखपाल से नायब तहसीलदार बन गए. दोनों का यूपीपीएससी2016 में चयन हुआ है. वहीं दोनों का कहना है कि यह आखिरी पड़ाव नहीं, मंजिल अभी और भी है.

हर्षिता तिवारी के पिता बचपन में ही गुजर गए थे. पिता के गुजर जाने के बाद प्रयागराज के मेजा तहसील के छोटे से गांव दिघिया में उनकी मां पर चार बेटियों और एक बेटे की परवरिश का जिम्मा आ गया. उनकी मां ने बेटियों को तालीम की ताकत से आगे बढ़ाना शुरू किया. मेरठ से कम्प्यूटर साइंस में बी-टेक करने के बाद हर्षिता ने टाटा कंसल्टेंसी में जॉब शुरू की. इसके बाद प्रतियोगिता परीक्षाकी तैयारी भी शुरू कर दी. पहली सफलता राजस्व निरीक्षक पद पर नौकरी से मिली. इसके बाद हर्षिता को दूसरी सफलता सप्लाई इंस्पेक्टर के रूप में मिली. फिर नायब तहसीलदार, समीक्षा अधिकारी और 2016 पीसीएस के रिजल्ट में हर्षिता का यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी पद पर चयन हुआ.

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हर्षिता तिवारी का पीसीएस 2016 में हुआ चयन

वहीं हर्षिता का कहना है कि उन्होंने पूरी शिद्दत से नौकरी की. पर्सनल समय से समय निकालकर पढ़ाई करती रही. हर्षिता मौजूदा वक्त में लखीमपुर खीरी जिले में नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हैं. उन्होंने बताया किऑफिस के लोगों, परिवार और पति का काफी सहयोग रहा. राजस्व से पुलिस की नौकरी में जाने की चुनौती को हर स्तर पर स्वीकार करते हुए कहती हैं कि निश्चित तौर पर पुलिस की नौकरी डायनेमिक जॉब है. बहुत चैलेंजिंग भी है, पर इससे समाज के लिए कुछ करने का मौका मिलेगा और नए तरीके से समाज को समझने का भी. उन्होंने कहा कि वो महिला सशक्तीकरण की एक मिसाल बनना चाहती हैं.


वहीं पीसीएस 2016 में ही मनीष कुमार वर्मा का चयन नायब तहसीलदार पद पर हुआ है. नीमगांव इलाके के कोटरी गांव के किसान रवीन्द्र कुमार के पुत्र मनीष खीरी में ही सदर तहसील में लेखपाल पद पर तैनात हैं. गांव की पृष्ठभूमि से निकले मनीष का कहना है कि ग्रामीण पृष्ठमभूमि मायने नहीं रखती. मायने रखता है मेहनत और लक्ष्य को भेदने का जज्बा. उन्होंने कहा कि लक्ष्य आईएएस बनने का है.

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Intro:खबर लाइव यू से गई है।
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लखीमपुर- कहते हैं कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हर्षिता तिवारी ने। बचपन में सर से पिता का साया उठ गया था,पर बेटी कड़ी मेहनत और जज्बे के दम पर आज डिप्टी एसपी बन गई। वहीं किसान परिवार में जन्में छोटे से गाँव के मनीष कुमार वर्मा लेखपाल से नायब तहसीलदार बन गए। दोनों का पीसीएस 2016 में चयन हो गया। पर दोनों कहते हैं ये आखिरी पड़ाव नहीं,मंजिल अभी और भी है।
हर्षिता तिवारी के पिता बचपन में ही गुजर गए थे। प्रयागराज के मेजा तहसील के छोटे से गाँव दिघिया मे उनकी माँ श्रीमती राकेश तिवारी पर चार बेटियों और एक बेटे की परवरिश का जिम्मा आ गया। घरेलू महिला राकेश ने अपनी बेटियों को तालीम की ताकत से आगे बढ़ाना शुरू किया। चार बहनों और एक भाई ने मेहनत कर परिवार को संभाल लिया। मेरठ से कम्प्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद हर्षिता ने टाटा कन्सलटेंसी में जॉब शुरू की। इसके बाद कम्पटीशन की तैयारी शुरू कर दी। पहली सफलता राजस्व निरीक्षक पद पर नौकरी से मिली। इसके बाद हर्षिता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दूसरी सफलता सप्लाई इंस्पेक्टर के रूप में मिली। फिर ,नायब तहसीलदार,समीक्षा अधिकारी और 2016 पीसीएस के रिजल्ट में हर्षिता का यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी पद पर चयन हो गया है।




Body:हर्षिता कहती हैं मैंने पूरी शिद्दत से नौकरी की। अपने पर्सनल समय से समय निकाल पढाई करती रही। आज चयन हुआ है तो मेरी माँ,परिवार का आशीर्वाद है।
हर्षिता मौजूदा वक्त में लखीमपुर खीरी जिले में नायब तहसीलदार के पद पर तैनात हैं। कहती हैं नौकरी में पढ़ाई करने के दौरान समय को मैनेज करना पड़ता है ऑफिस में भी मैंने फुल डिवोशन के साथ काम किया घर में पर्सनल कामों में से समय निकाला। आफिस के लोगों परिवार और पति का काफी सहयोग रहा।
राजस्व से पुलिस की नौकरी में जाने की चुनौती को हर स्तर स्वीकार करते हुए कहती हैं कि निश्चित तौर पर पुलिस की नौकरी डायनेमिक जॉब है बहुत चैलेंजिंग भी पर इससे मुझे समाज के लिए कुछ करने का मौका मिलेगा और नए तरीके से समाज को समझने का भी मैं विमन एंपावरमेंट की एक मिसाल बनना चाहती हूं। मुझे देख कर लोग अपनी लड़कियों को पढ़ाएंगे और लड़कियों को बोझ नहीं समझेंगे।
हर्षिता आगे कहती हैं कि अभी तो मेरी पढ़ाई की शुरुआत हुई है। यह आखिरी पड़ाव नहीं है अभी तो मंजिलें और भी है। हर्षिता कहती हैं अभी पीसीएस की परीक्षा देनी है और आईएएस की तैयारी भी कर रही हूं। मेरा सपना है आईएएस बनूँ।


Conclusion:पीसीएस 2016 में ही मनीष कुमार वर्मा का चयन नायब तहसीलदार पद पर हुआ। नीमगाँव इलाके के कोटरी गाँव मे किसान रवीन्द्र कुमार और ईश्वर वती के पुत्र मनीष खीरी में ही सदर तहसील में लेखपाल पद पर तैनात हैं।
खेतो बॉडी और गाँव की पृष्ठभूमि से निकले मनीष कहते हैं। मेरे माता पिता,स्टाफ मित्रों और गुरुजनों का आशीर्वाद है। लेखपाल से नायब तहसीलदार बने मनीष कहते हैं ग्रामीण पृष्ठमभूमि मायने नहीं रखती। मायने रखता है आपका मेहनत और लक्ष्य को भेदने का जज्बा। नौकरी करते हुए पढाई की। और पहले एटेम्पट में नायब बना हूँ। पर ये पड़ाव नहीं। कारवाँ अभी चलता जाएगा। लक्ष्य आईएएस बनने का है।
वन टू वन
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प्रशान्त पाण्डेय
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