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लखीमपुर खीरी: धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में छुट्टा जानवर है बड़ा मुद्दा - लखीमपुर खीरी न्यूज

जिले के धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में ईटीवी भारत ने लोगों से बातचीत की. इस दौरान गांव वालों ने कहा कि छुट्टा जानवर से वे काफी परेशान हैं. आए दिन छुट्टा जानवर फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं. क्षेत्र में छुट्टा जानवर से होने वाला नुकसान इस चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है.

गांव के लोगों से बातचीत करते संवाददाता.
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Published : May 4, 2019, 11:14 AM IST

लखीमपुर खीरी: खेती किसानी से जुड़े तमाम लोग छुट्टा जानवरों से परेशान हैं. अभी तक इस इलाके में नीलगाय ही किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई थी, लेकिन अब छुट्टा जानवर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं. धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में छुट्टा जानवर से होने वाला नुकसान भी इस चुनाव में एक मुद्दा बन कर सामने आया है.

गांव के लोगों से बातचीत करते संवाददाता.
  • धौरहरा लोकसभा क्षेत्र के शहर व गांव में लोग छुट्टा जानवर से काफी परेशान हैं.
  • गांव के नसीर खान कहते हैं कि हमको घर पर बैठने की फुरसत नहीं मिलती. दिन-रात खेतों में छुट्टा जानवरों से अपनी फसल बचाने का काम मिल गया है.
  • उल्लाह का कहना है कि अभी तक नीलगाय फसलों को तबाह करती थी, अब दोहरी मार है. नीलगाय के साथ छुट्टा जानवर भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
  • ग्रामीण राजाराम का कहना है कि इस चुनाव में सामाजिक समीकरण भी खूब चल रहे हैं. मुस्लिम और दलित बहुल इस गांव में ज्यादातर लोग गठबंधन की तरफ मुखातिब है.
  • गांव में छुट्टा जानवरों के अलावा गांव के लोगों ने नोटबंदी को एक गलत फैसला बताया. उनका कहना है कि सब पैसा जमा करा लिया गया और हमें मिला क्या. न भ्रष्टाचार कम हुआ, न आतंकवाद कम हुआ.

लखीमपुर खीरी: खेती किसानी से जुड़े तमाम लोग छुट्टा जानवरों से परेशान हैं. अभी तक इस इलाके में नीलगाय ही किसानों के लिए मुसीबत बनी हुई थी, लेकिन अब छुट्टा जानवर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं. धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में छुट्टा जानवर से होने वाला नुकसान भी इस चुनाव में एक मुद्दा बन कर सामने आया है.

गांव के लोगों से बातचीत करते संवाददाता.
  • धौरहरा लोकसभा क्षेत्र के शहर व गांव में लोग छुट्टा जानवर से काफी परेशान हैं.
  • गांव के नसीर खान कहते हैं कि हमको घर पर बैठने की फुरसत नहीं मिलती. दिन-रात खेतों में छुट्टा जानवरों से अपनी फसल बचाने का काम मिल गया है.
  • उल्लाह का कहना है कि अभी तक नीलगाय फसलों को तबाह करती थी, अब दोहरी मार है. नीलगाय के साथ छुट्टा जानवर भी नुकसान पहुंचा रहे हैं.
  • ग्रामीण राजाराम का कहना है कि इस चुनाव में सामाजिक समीकरण भी खूब चल रहे हैं. मुस्लिम और दलित बहुल इस गांव में ज्यादातर लोग गठबंधन की तरफ मुखातिब है.
  • गांव में छुट्टा जानवरों के अलावा गांव के लोगों ने नोटबंदी को एक गलत फैसला बताया. उनका कहना है कि सब पैसा जमा करा लिया गया और हमें मिला क्या. न भ्रष्टाचार कम हुआ, न आतंकवाद कम हुआ.
Intro:लखीमपुर- धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में छुट्टा जानवरों का एक बड़ा मुद्दा जनता के बीच में काम कर रहा है। खेती किसानी से जुड़े तमाम लोग छुट्टा जानवरों से परेशान हैं अभी तक इस इलाके में नीलगाय ही किसानों की दुश्मन हुआ करती थी लेकिन अब छुट्टा जानवर बड़े पैमाने पर किसानों की फसलों को नुकसान कर रहे हैं। धौरहरा लोकसभा क्षेत्र में छुट्टा जानवर से होने वाला नुकसान भी इस चुनाव में एक मुद्दा बन कर सामने आ रहा है।
ईटीवी भारत ने धरारा लोकसभा क्षेत्र के शहर व गांव में गांव के लोगों से बात की। मुस्लिम बाहुल्य और दलित बिरादरी के इस गांव में छुट्टा जानवर से किसान काफी परेशान हैं।


Body:गांव के नसीर खान कहते हैं कि पिछले पाँच सालों में कोई काम मिला हो ना मिला हो पर हमको घर पर बैठने की फुर्सत जरूर नहीं मिली। रात दिन खेतों में छुट्टा जानवरों से अपनी फसल बचाने का काम मिल गया है।
गांव के ही वली उल्लाह बताते हैं कि लकड़ी का काम थोड़ा बहुत कर लिया करते थे पर ज्यादातर सेमल और यूकेलिप्टस का काम करने वाली छोटी फैक्ट्रियां बंद हो गई। जिससे हम लोग भी बेरोजगार हो गए। काम सिर्फ बचा है तो छुट्टा जानवरों से खेत बचाने का। अभी तक नीलगाय तबाह करती थी अब दोहरी मार है। नीलगाय के साथ छुट्टा जानवर भी तबाही मचाए हैं।
दिन में खेतों में छुट्टा जानवर चरते हैं फिर रात में गाँव मे भी तांडव मचाते हैं।



Conclusion:गांव के राजा राम कहते हैं इस चुनाव में सामाजिक समीकरण भी खूब चल रहे हैं मुस्लिम और दलित बहुल इस गांव में ज्यादातर लोग गठबंधन की तरफ मुखातिब हैं पर कांग्रेस और भाजपा के सपोर्टर हैं।
छुट्टा जानवरों के अलावा गांव के लोग नोटबंदी को एक गलत फैसला मानते हैं उनका कहना है कि सब पैसा जमा करा लिया और हमें मिला क्या, ना भ्रष्टाचार कम हुआ,न आतंकवाद कम हुआ। हमारा पैसा जरूर जमा हो गया।

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प्रशान्त पाण्डेय
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