लखीमपुर खीरी: दुधवा टाइगर रिजर्व में एक साल पहले जन्मीं टेरेसा नाम की हथिनी की बच्ची का नामकरण दुधवा पार्क प्रशासन के अफसरों ने कर दिया है. टेरेसा के बच्चे को 'मशक्कली' नाम मिला है. दुधवा के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि करीब 200 से ज्यादा लोगों ने नाम सुझाए पर हमारी कमेटी को 'मशक्कली' नाम सबसे उपयुक्त लगा. इसलिए बर्थडे पर हमने उसे 'मशक्कली' नाम दे दिया.
दरअसल, दुधवा टाइगर रिजर्व में दर्जनों पालतू हाथी हैं पर पिछले साल 3 अक्टूबर को टेरेसा नाम की पालतू हथिनी ने एक मादा बच्चे को जन्म दिया. दुधवा पार्क के अफसरों और महावतों में बच्चे के जन्म को लेकर काफी खुशी थी. दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक कहते हैं कि जंगल में पालतू हथिनी के जन्म ने सबको रोमांचित किया था. चूंकि टेरेसा कर्नाटक से आई और तराई की धरती पर दुधवा में गर्भवती हुई फिर एक फीमेल बच्चे को जन्म दिया. ये सबके लिए खुशी का विषय था.
2018 में कर्नाटक से आए थे 10 हाथी
टेरेसा नाम की ये हथिनी कर्नाटक के बांदीपोरा एलिफेंट कैम्प से मई 2018 में दुधवा आई. दुधवा टाइगर रिजर्व के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर महावीर कौजलगी कर्नाटक के 3 एलिफेंट पार्क से मैसूर के बांदीपोरा, नागरहोले और शिमोगा से 10 हाथियों को ट्रक से लाए थे. इनमें से टेरेसा और डायना के साथ एक-एक बच्चा पहले से ही था. इनमें अमृता, भास्कर, कावेरी, नकुल, डायना, तुंगा, पार्वती आदि शामिल हैं.
करीब 28 साल की उम्र में टेरेसा ने दुधवा पहुंचकर जंगली हाथी से मेटिंग की और टेरेसा ने 3 अक्टूबर 2021 को एक मादा बच्चे को जन्म दिया. टेरेसा के बच्चे के जन्मदिन और नामकरण की खुशी में दुधवा में हाथियों की एक पार्टी भी रखी गई. जिसमें उन्हें केला, गन्ना, फल और गुड़ खिलाया गया. दुधवा के डिप्टी डायरेक्टर कैलाश प्रकाश और वेटनरी डॉक्टर दयाशंकर ने पार्टी का आयोजन किया. इसके बाद 'मशक्कली' नाम दिया गया.
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर कहते हैं पालतू हथिनियों का संसर्ग हमेशा जंगली हाथियों से ही होता है. टेरेसा का भी जंगली हाथी से संसर्ग हुआ. हमनें ऑनलाइन लोगों से बच्चे के जन्म के वक्त ही नाम भेजने को कहा था. करीब 200 से ज्यादा नाम आए. हमारी सेलेक्शन टीम को मशक्कली नाम सबसे बेहतर लगा. हमनें टेरेसा के बच्चे को उसके पहले जन्मदिन पर 'मशक्कली' नाम दे दिया है.
टेरेसा के बच्चे मशक्कली की देखभाल को दुधवा के वेटनरी डॉक्टर दयाशंकर और महावतों की टीम ने की है. टेरेसा के गर्भधारण से ही उसके खाने पीने और दवाओं का खास ख्याल रखा गया. मशक्कली के जन्म के बाद उसको गाय का दूध दलिया और गन्ने खाने को दिए गए.
डॉक्टर दयाशंकर कहते हैं मशक्कली अब शरारतें भी करने लगी है. कभी मां की पूंछ खींचती है तो कभी गुस्सा भी दिखाती है. हम टेरेसा और मशक्कली को डायट चार्ट के हिसाब से ही खाना देते हैं. मशक्कली मां का दूध भी पीती है.
इसे भी पढे़ं- जब कीचड़ में फंसा हाथी का बच्चा, ऐसे किया गया रेस्क्यू