लखीमपुर खीरीः तिकुनिया हिंसा में मारे गए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के ड्राइवर हरिओम मिश्र का मोबाइल वारदात के 40 दिन बाद क्राइम ब्रांच ने बरामद कर लिया है. सूत्रों के मुताबिक हरिओम का मोबाइल इलाके के ही एक युवक को वहां पड़ा मिला था और जिसे वह लेकर चला गया था. एसआईटी के लिए हरिओम का मोबाइल मिलना केस की गुत्थी को सुलझाने में काफी मददगार साबित सकता है.
गौरतलब है कि तिकुनिया गांव में 3 अक्टूबर को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के विरोध के लिए अग्रसेन ग्राउंड के मैदान पर हजारों की तादाद में किसान इकट्ठा हुए थे. संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर किसानों ने हेलीपैड पर कब्जा कर लिया था. इसी दौरान दोपहर में जब डिप्टी सीएम के कार्यक्रम बदल गया और रूट डायवर्ट हो गया तो किसान वापस जाने लगे. आरोप है तभी पीछे से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे अशीष मिश्रा की थार जीप ने चार किसानों एक पत्रकार को कुचल दिया था. इसके कई वीडियो भी वायरल हुए थे.
किसानों का आरोप है की इस हत्याकांड में थार गाड़ी मंत्री के बेटे आशीष मिश्र चला रहे थे. इस मामले में तिकुनिया कोतवाली में एफआईआर भी दर्ज हुई है. अब तक अंकित दास समेत 13 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इस मामले की एसआईटी इसकी जांच कर रही है. वहीं, तिकुनिया में थार चढ़ाने की घटना के बाद भड़की हिंसा में किसानों पर भी आरोप है कि उग्र भीड़ ने तीन भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. जिसमें केंद्रीय मंत्री के ड्राइवर हरिओम मिश्रा, भाजपा के मंडल मंत्री श्यामसुंदर निषाद और भाजपा कार्यकर्ता शिवम मिश्रा की हत्या हुई थी. इस मामले में दर्ज दूसरी एफआईआर की भी जांच एसआईटी कर रही है. चार आरोपी दूसरे मामले में भी गिरफ्तार हो चुके हैं. अब एसआईटी को घटना के 40 दिन बाद मारे गए ड्राइवर हरिओम मिश्रा का मोबाइल तिकुनिया इलाके के ही एक गांव से मिला है.
एसआईटी को हरिओम का मोबाइल मिलने से तमाम राज खुलने की आशा है. एसआईटी डीआईजी उपेंद्र अग्रवाल के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच हो रही है. 15 नवंबर को इस मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा और दो अन्य आरोपियों की जमानत पर जिला जज की अदालत में सुनवाई भी होनी है.
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तिकुनिया हिंसा मामले में मारे गए 4 किसानों और एक पत्रकार के मामले में गवाह बने 8 किसानों ने एसआईटी को प्रार्थना पत्र देकर गुहार लगाई है कि उन्हें पुलिस सुरक्षा नहीं चाहिए. भारतीय किसान यूनियन टिकैत के जिलाध्यक्ष दिलबाग सिंह कहते हैं कि अभी उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है. लेकिन कुछ किसान अपने निजी कारणों से सुरक्षा नहीं ले रहे हैं. शुक्रवार को हम पाँच किसानों ने सुरक्षा गार्ड लेने के लिए फार्म भरे हैं, हो सकता है कुछ किसान निजी वजहों से सुरक्षा ना लेना चाह रहे हो.