कुशीनगर: जिले में मनरेगा के माध्यम से रोजगार देने को लेकर इन दिनों बड़े-बड़े आंकड़े पेश किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है. दुदही विकास खण्ड क्षेत्र के गरीब मुसहर जाति बाहुल्य मठिया माफी गांव के ग्रामीण काफी परेशान हैं, लोगों का कहना है कि अधिकारी जब भी आते हैं, बड़ी-बड़ी बातें कर चले जाते हैं. मनरेगा के नाम पर रोजगार मिले कई साल हो गए हैं. वहीं क्षेत्र के बीडीओ ने कहा कि मामला संज्ञान में नही था.
तीन साल पहले मठिया माफी गांव तब चर्चा में आया था, जब यहां के दो मुसहर भाइयों की असमय कुपोषण व बीमारी से मौत हो गई थी. गोरखपुर के सांसद रहते योगी आदित्यनाथ ने मौके पर पहुंचकर इस मामले को उठाया भी था.
बाद में योगी आदित्यनाथ तो प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए, लेकिन इस गांव की तस्वीर आज तक नहीं बदल सकी, ग्रामीणों का कहना है कि आज तक यह गांव विकास से अछूता है. कोई परिवर्तन यहां नहीं हुआ. मृत दोनों मुसहरों का परिवार और आसपास के लोग आज भी झोपड़ी में निवास करते हैं. बस कुछ झोपड़ियों के सामने शौचालय जरूर बन गए हैं.
ईटीवी भारत की टीम जब गांव में पहुंची तो बहुत सारे लोग एक साथ बैठे नजर आए. लोगों ने कहा कि सालों बीत गए. कभी कोई रोजगार सरकारी व्यवस्था के तहत नहीं मिला. साक्ष्य के रुप मे दर्जनों लोगों ने कोरे जॉब कार्ड को भी दिखाया.
दुदही खण्ड विकास क्षेत्र के बीडीओ विवेकनन्द मिश्र ने बताया कि रोजगार देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस गांव की स्थिति के बारे में पूरा पता नहीं था. आज ही अन्य अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को गांव में भेजकर स्थिति का आकलन करवाता हूं.