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सरकारी डॉक्टर लेते हैं केवल दाम उनकी जगह प्राइवेट आदमी करते हैं काम, देखिए खास रिपोर्ट

कुशीनगर जिले में होम्योपैथ में नियुक्त जिले के चिकित्सकों की तनख्वाह लगभग 60 हजार से डेढ़ लाख हैं. कुछ की इससे ज्यादा भी हैं. इटीवी भारत की टीम जब सरकारी अस्पतालों पर विजिट करना शुरू किया तो सामने आया जिसे देख कर यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कुशीनगर होम्योपैथी विभाग में सरकारी डॉक्टर सिर्फ सरकार से लाखों का दाम लेते हैं और अपनी जगह प्राइवेट लोगों से काम कराते हैं.

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Published : Jul 31, 2021, 1:49 PM IST

देखिए खास रिपोर्ट
देखिए खास रिपोर्ट

कुशीनगर: जिले में होम्योपैथी के 45 छोटे-बड़े औषधालय हैं. ग्रामीण इलाकों में लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें इसलिए जिले में सरकार ने चिकित्सालयों पर 34 डॉक्टरों के साथ लगभग 40 फरमासिस्ट उपलब्ध कराएं हैं. जहां डॉक्टर या फार्मासिस्ट की कमी थी वहां पर एक फोर्थ क्लास कर्मचारी के साथ होम्योपैथ चिकित्सालय में को संचालित कराया जा रहा. होम्योपैथ में नियुक्त जिले के चिकित्सकों की तनख्वाह लगभग 60 हजार से डेढ़ लाख हैं. कुछ की इससे ज्यादा भी हैं. इटीवी भारत की टीम जब सरकारी अस्पतालों पर विजिट करना शुरू किया तो सामने आया जिसे देख कर यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कुशीनगर होम्योपैथी विभाग में सरकारी डॉक्टर सिर्फ सरकार से लाखों का दाम लेते हैं और अपनी जगह प्राइवेट लोगों से काम कराते हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि होम्योपैथिक अस्पताल में जहां सरकारी कर्मचारी तनख्वाह तो लेते ही हैं मगर उनकी अनुपस्थिति बनी रहती है, जबकि उनकी जगह प्राइवेट लोग मरीजों को देख रहे हैं और दवा भी दे रहे हैं.

देखिए खास रिपोर्ट



विजिट-1- होम्योपैथी चिकित्सालय, मोतीचक ब्लाक


इटीवी भारत की टीम ने मोतीचक ब्लाक के पैकैली गांव स्थिति होम्योपैथी चिकित्सालय पहुंची जहां पर डॉ. अंशुमान और फार्मासिस्ट प्रिंस की पोस्टिंग है. इस अस्पताल में पहले दिन नौ बजे पहुंचे जहां ताला बंद था, खिड़की दरवाजे टूटे फूटे थे देखने से ही खण्डहर की तरह लगने वाला होम्योपैथी अस्पताल वाकई वीरान था. दूसरे दिन फिर हमारी टीम 11 बजे पहुंची और स्थानीय लोगों से बात की तो ग्रामीण कमलेश ने बताया कि यहां शायद दो या तीन डॉक्टर हैं जो कभी 9 बजे तो कभी 11 बजे आते हैं. पूछने पर कहते हैं कि हमारा यही टाइम है. अक्सर दूर के मरीज आकर इंतजार कर चले जाते है.

अभी हमारी टीम पैकैली के ग्रामीणों से बात कर ही रही थी कि एक स्कार्पियो में दो लोग अस्पताल की तरफ आते दिखे. ग्रामीणों ने बताया यही डॉक्टर हैं. हमारे कैमरे के सामने ही अस्पताल का ताला 11 बजे के बाद खोलते हुए स्कार्पियो से उतरे प्रिंस चुर्वेदी ने बताया कि मैं फार्मासिस्ट हूं और देवरिया में ट्रैफिक जाम था इसलिए देरी हुई. डॉ. साहब आज छुट्टी पर हैं, मुझे फोन किया था.

पैकेली फार्मासिस्ट के साथ आए एक दूसरे व्यक्ति से पूछा गया तो पता चला कि उक्त व्यक्ति फार्मासिस्ट का ड्राइवर है. इसका अस्पताल से कोई लेना देना नहीं. अतः अब एक बात साफ हो गई कि ग्रामीण जिन दो स्टाफ की बात कर रहे थे, वे यही लोग हैं पर डॉक्टर अंशुमान गोड़ कभी नहीं आते.

विजिट-2- नेबुआ नौरंगिया CHC

हमारी टीम कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया CHC में स्थित होम्योपैथी अस्पताल पहुंची, जहां होम्योपैथी की जिम्मेदारी सुनील चौधरी को मिली है, साथ ही गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को डॉक्टर की मदद के लिए नथुनी गुप्ता नाम के फर्माशिस्ट को सम्बद्ध किया गया है, लेकिन जब हमारी टीम नेबुआ नौरंगिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो देखा होम्योपैथी कक्ष खुला है और उसमें कोई नहीं है, लेकिन सारी दवाईयां और सरकारी रजिस्टर वैसे ही पड़ा हुआ है. उससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई जब हॉस्पिटल से जुड़े लोगों ने एक प्राइवेट आदमी रामप्रवेश कुशवाहा की ओर इशारा करते हुए होम्योपैथी की दवा देने की बात की.

जब हमने विभागीय सूत्रों से पूछा तो पता चला कि ओपीडी देखने के साथ रजिस्टर भी सोमवार, मंगलवार और बुद्धवार को यही भरते हैं, बाकी तीन दिन सम्बद्ध फर्माशिस्ट का जिम्मा होता है. तभी रामप्रवेश कुशवाहा ने हमारा इलाज करने के लिए तकलीफ पूछी, पर उसकी नजर मीडिया के कैमरे पर पड़ी जिसके बाद खुद को कभी स्वीपर तो कभी वार्डबॉय बताने लगे, जबकि दोनों पोस्ट यहां खाली हैं. डॉक्टर के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि डॉक्टर को मुख्यालय जाना है, और भागने लगा.

हमारी टीम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. संतोष से बात की तो उन्होंने बताया कि होम्योपैथी के डॉक्टर सुनील चौधरी जी सप्ताह में दो दिन भी नहीं आते. रामप्रवेश कुशवाहा काफी समय से काम करता हैं. मुझे लगता था वो होम्योपैथी का कर्मचारी है, पर कोरोना काल में पता चला कि उसका अस्पताल से कोई सम्बंध नही हैं, हालांकि होम्योपैथी से हमारे विभाग का कोई सम्बंधित नही होता. इसलिए हमने फिर ध्यान नहीं दिया.

विजिट-3-कसया होम्योपैथी अस्पताल

हमारी टीम कसया होम्योपैथी अस्पताल पहुंची, जहां वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉक्टर वीके यादव की पोस्टिंग है. उन्होंने अपने कमरे के बाहर सोमवार, ब्रहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार बैठने की स्लिप लगी थी बाकी दो दिन किसी और अस्पताल पर सम्बद्ध होने की बात पता चली, जिस दिन हम पहुंचे वह दिन मंगलवार था और होम्योपैथ अस्पताल पर डॉक्टर का रहने का दिन नहीं था.

अब हम ये देखना चाहते थे कि आखिर इस दिन मरीजों का इलाज कैसे होता है. सीएचसी में ही दूसरे भवन में फर्माशिस्ट अरुण कुशवाहा के पास पहुंचे तो टीम के कैमरे ने देखा कि फर्माशिस्ट नए मरीजों का पर्चा देख रहा और एक प्राइवेट व्यक्ति फर्माशिस्ट का पद संभालने में लगा है और दवाएं दे रहा.

मीडिया की टीम का कैमरा देखते ही प्राइवेट व्यक्ति भागने लगा. फर्माशिस्ट अरुण कुशवाहा ने बताया कि डॉक्टर साहब एक दिन कुबेरस्थान होम्योपैथिक और एक दीन जिला होम्योपैथ सम्बद्ध हैं. रोज यहां 20 से 30 मरीज आते हैं. इस पूरे मामले पर हमने जिला होम्योपैथ अधिकारी डॉ. अशोक गौड़ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में सभी जगह दवाएं और सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन प्राइवेट लोगों द्वारा संचालित अस्पताल के बारे में उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं हैं.

कुशीनगर: जिले में होम्योपैथी के 45 छोटे-बड़े औषधालय हैं. ग्रामीण इलाकों में लोगों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें इसलिए जिले में सरकार ने चिकित्सालयों पर 34 डॉक्टरों के साथ लगभग 40 फरमासिस्ट उपलब्ध कराएं हैं. जहां डॉक्टर या फार्मासिस्ट की कमी थी वहां पर एक फोर्थ क्लास कर्मचारी के साथ होम्योपैथ चिकित्सालय में को संचालित कराया जा रहा. होम्योपैथ में नियुक्त जिले के चिकित्सकों की तनख्वाह लगभग 60 हजार से डेढ़ लाख हैं. कुछ की इससे ज्यादा भी हैं. इटीवी भारत की टीम जब सरकारी अस्पतालों पर विजिट करना शुरू किया तो सामने आया जिसे देख कर यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि कुशीनगर होम्योपैथी विभाग में सरकारी डॉक्टर सिर्फ सरकार से लाखों का दाम लेते हैं और अपनी जगह प्राइवेट लोगों से काम कराते हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि होम्योपैथिक अस्पताल में जहां सरकारी कर्मचारी तनख्वाह तो लेते ही हैं मगर उनकी अनुपस्थिति बनी रहती है, जबकि उनकी जगह प्राइवेट लोग मरीजों को देख रहे हैं और दवा भी दे रहे हैं.

देखिए खास रिपोर्ट



विजिट-1- होम्योपैथी चिकित्सालय, मोतीचक ब्लाक


इटीवी भारत की टीम ने मोतीचक ब्लाक के पैकैली गांव स्थिति होम्योपैथी चिकित्सालय पहुंची जहां पर डॉ. अंशुमान और फार्मासिस्ट प्रिंस की पोस्टिंग है. इस अस्पताल में पहले दिन नौ बजे पहुंचे जहां ताला बंद था, खिड़की दरवाजे टूटे फूटे थे देखने से ही खण्डहर की तरह लगने वाला होम्योपैथी अस्पताल वाकई वीरान था. दूसरे दिन फिर हमारी टीम 11 बजे पहुंची और स्थानीय लोगों से बात की तो ग्रामीण कमलेश ने बताया कि यहां शायद दो या तीन डॉक्टर हैं जो कभी 9 बजे तो कभी 11 बजे आते हैं. पूछने पर कहते हैं कि हमारा यही टाइम है. अक्सर दूर के मरीज आकर इंतजार कर चले जाते है.

अभी हमारी टीम पैकैली के ग्रामीणों से बात कर ही रही थी कि एक स्कार्पियो में दो लोग अस्पताल की तरफ आते दिखे. ग्रामीणों ने बताया यही डॉक्टर हैं. हमारे कैमरे के सामने ही अस्पताल का ताला 11 बजे के बाद खोलते हुए स्कार्पियो से उतरे प्रिंस चुर्वेदी ने बताया कि मैं फार्मासिस्ट हूं और देवरिया में ट्रैफिक जाम था इसलिए देरी हुई. डॉ. साहब आज छुट्टी पर हैं, मुझे फोन किया था.

पैकेली फार्मासिस्ट के साथ आए एक दूसरे व्यक्ति से पूछा गया तो पता चला कि उक्त व्यक्ति फार्मासिस्ट का ड्राइवर है. इसका अस्पताल से कोई लेना देना नहीं. अतः अब एक बात साफ हो गई कि ग्रामीण जिन दो स्टाफ की बात कर रहे थे, वे यही लोग हैं पर डॉक्टर अंशुमान गोड़ कभी नहीं आते.

विजिट-2- नेबुआ नौरंगिया CHC

हमारी टीम कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया CHC में स्थित होम्योपैथी अस्पताल पहुंची, जहां होम्योपैथी की जिम्मेदारी सुनील चौधरी को मिली है, साथ ही गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को डॉक्टर की मदद के लिए नथुनी गुप्ता नाम के फर्माशिस्ट को सम्बद्ध किया गया है, लेकिन जब हमारी टीम नेबुआ नौरंगिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो देखा होम्योपैथी कक्ष खुला है और उसमें कोई नहीं है, लेकिन सारी दवाईयां और सरकारी रजिस्टर वैसे ही पड़ा हुआ है. उससे भी ज्यादा हैरानी तब हुई जब हॉस्पिटल से जुड़े लोगों ने एक प्राइवेट आदमी रामप्रवेश कुशवाहा की ओर इशारा करते हुए होम्योपैथी की दवा देने की बात की.

जब हमने विभागीय सूत्रों से पूछा तो पता चला कि ओपीडी देखने के साथ रजिस्टर भी सोमवार, मंगलवार और बुद्धवार को यही भरते हैं, बाकी तीन दिन सम्बद्ध फर्माशिस्ट का जिम्मा होता है. तभी रामप्रवेश कुशवाहा ने हमारा इलाज करने के लिए तकलीफ पूछी, पर उसकी नजर मीडिया के कैमरे पर पड़ी जिसके बाद खुद को कभी स्वीपर तो कभी वार्डबॉय बताने लगे, जबकि दोनों पोस्ट यहां खाली हैं. डॉक्टर के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि डॉक्टर को मुख्यालय जाना है, और भागने लगा.

हमारी टीम ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. संतोष से बात की तो उन्होंने बताया कि होम्योपैथी के डॉक्टर सुनील चौधरी जी सप्ताह में दो दिन भी नहीं आते. रामप्रवेश कुशवाहा काफी समय से काम करता हैं. मुझे लगता था वो होम्योपैथी का कर्मचारी है, पर कोरोना काल में पता चला कि उसका अस्पताल से कोई सम्बंध नही हैं, हालांकि होम्योपैथी से हमारे विभाग का कोई सम्बंधित नही होता. इसलिए हमने फिर ध्यान नहीं दिया.

विजिट-3-कसया होम्योपैथी अस्पताल

हमारी टीम कसया होम्योपैथी अस्पताल पहुंची, जहां वरिष्ठ होम्योपैथ चिकित्सक डॉक्टर वीके यादव की पोस्टिंग है. उन्होंने अपने कमरे के बाहर सोमवार, ब्रहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार बैठने की स्लिप लगी थी बाकी दो दिन किसी और अस्पताल पर सम्बद्ध होने की बात पता चली, जिस दिन हम पहुंचे वह दिन मंगलवार था और होम्योपैथ अस्पताल पर डॉक्टर का रहने का दिन नहीं था.

अब हम ये देखना चाहते थे कि आखिर इस दिन मरीजों का इलाज कैसे होता है. सीएचसी में ही दूसरे भवन में फर्माशिस्ट अरुण कुशवाहा के पास पहुंचे तो टीम के कैमरे ने देखा कि फर्माशिस्ट नए मरीजों का पर्चा देख रहा और एक प्राइवेट व्यक्ति फर्माशिस्ट का पद संभालने में लगा है और दवाएं दे रहा.

मीडिया की टीम का कैमरा देखते ही प्राइवेट व्यक्ति भागने लगा. फर्माशिस्ट अरुण कुशवाहा ने बताया कि डॉक्टर साहब एक दिन कुबेरस्थान होम्योपैथिक और एक दीन जिला होम्योपैथ सम्बद्ध हैं. रोज यहां 20 से 30 मरीज आते हैं. इस पूरे मामले पर हमने जिला होम्योपैथ अधिकारी डॉ. अशोक गौड़ से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिले में सभी जगह दवाएं और सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन प्राइवेट लोगों द्वारा संचालित अस्पताल के बारे में उन्हें ऐसी कोई सूचना नहीं हैं.

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