कुशीनगर: नीदरलैंड के गजल व पॉप गायक, गिरमिटिया मजदूरों के वंशज राजमोहन इन दिनों कुशीनगर आये हुए हैं. भारत से नीदरलैंड गए अपने पूर्वजों के तीसरी पीढ़ी के वंशज राजमोहन ने बताया कि वहां के निवासी होने के बाद भी उन लोगों का मन हमेशा भारत में ही रहता है. 2016 में उन्हें फेसबुक से यहां आने का न्यौता मिला. तब उन्हें पता चला कि यह लोक कलाओं का महोत्सव है. वह नीदरलैंड में डच आर्टिस्ट के रूप में रजिस्टर्ड हैं. डच सरकार इसके लिए उन्हें फंडिंग भी करती है. उन्होंने सरकार से यहां आने की अनुमति मांगी और 2017 लोकरंग में पहली बार उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी.
राजमोहन ने कहा कि भारत और भारतीयता हमारे रग-रग में रची बसी है. आज भी हम अपने पूर्वजों की संस्कृति और सभ्यता के लोक परंपराओं को सहेजते हुए आगे बढ़ रहे हैं. उनके यहां शादी, विवाह, छिकाई आदि उत्सवों में दाल, भात, चोखा, चटनी, वड़ा, साग फुलौड़ी आदि बनता है. सभी लोग बड़े चाव से खाते हैं. नीदरलैंड में जाति की चर्चा करने वालों पर लोग हंसते हैं. नीदरलैंड में भारतीयों के रहन सहन, लोक संकृति व भारत से लगाव की बात करते हुए वह भावुक हो उठे कहां कि उनके यहां जाति नहीं है.
नीदरलैंड में करीब 83 हजार हिन्दू आबादी : राजमोहन बताते हैं कि भारतीय परंपराओं को आत्मसात करते हुए सब एक-दूसरे के दुख-सुख में शरीक होते हैं. उनके यहां शादी-ब्याह में तीन से चार दिन का आयोजन होता है. इसमें वर छिकाई, तिलक, मटकोड, हल्दी, द्वारपूजा, भतवान जैसी रश्में होतीं हैं. भारतीय पकवान परोसे जाते हैं. यहां आकर पता चला कि यहां पर लड़की बनकर लड़कों का नाच हीन नजर से देखा जाता है जबकि नीदरलैंड में सभी उत्सवों में आज भी ऐसा नाच होता है. उन कलाकारों को काफी सम्मान भी मिलता है.
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बताया कि आज भी पूर्वजों के द्वारा गाये जाने वाले लोक गीत बैठकी में गये जाते हैं. बड़े ही नहीं, बच्चे भी ढोलक, हारमोनियम व घनताल के साथ लोक गीत गाते हैं. उनके पूर्वज सदियों पूर्व यहां से मजदूरी के लिए पांच वर्षो के कांट्रैक्ट पर सूरीनाम गए थे. लेकिन अनुबंध समाप्त होने पर वहां की सरकार उनको खेती की जमीन देकर बसाने का कार्य करने लगी तो पूर्वजों ने वहीं बस जाना बेहतर समझा.
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