कुशीनगर : अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, विजय कुमार हिमांशु ने दहेज के लिए जलाकर हत्या करने के मामले में दोषी पाए जाने पर पति व जेठानी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा जेठ को सात वर्ष के सश्रम कारावास व अर्थदंड की सजा दी है, वहीं देवर को साक्ष्य न मिलने के कारण कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया है.
अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता उपेन्द्र कुमार पाठक ने न्यायालय के समक्ष अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए बताया कि अभियोगी रामप्रताप गोंड़ पुत्र महाबल ग्राम गोपालपुर थाना पिपराइच जिला गोरखपुर ने अपनी बहन की शादी 2010 में जीतेन्द्र पुत्र शिवराज, ग्राम कोहरौली, थाना हाटा, जिला कुशीनगर के साथ की थी. दहेज में मोटरसाइकिल के लिए पति जितेन्द्र व भाई रामरेखा, उसकी पत्नी राजमती व दुर्गेश तथा मुकेश पुत्रगण रामरेखा प्रताड़ित करते थे. इसके लिए पंचायत भी हुई थी, लेकिन राजमती ने जितेन्द्र को अपने जाल में फांस कर उसकी पत्नी को रास्ते से हटाने के लिए अन्य भाइयों के साथ मिलकर 28 मार्च 2015 को 10 बजे दिन में मिट्टी का तेल छिड़ककर जला दिए.
आनन-फानन में गांव के लोग सरकारी अस्पताल सुकरौली ले गए. डॉक्टर ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया. मृतका का भाई गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जा रहा था, रास्ते में मृतका ने पति आदि द्वारा जलाने की बतायी थी. इलाज के दौरान एक अप्रैल 2015 को मृतका ने दम तोड़ दिया. घटना की सूचना पर थाना हाटा में धारा 498ए, 304बी भारतीय दंड संहिता व 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम में दर्ज किया.
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न्यायालय ने साथ ही धारा 302 सपठित धारा 34 में भी आरोपित कर विचारण किया. पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों व साक्षियों के साक्ष्यों का अवलोकन व उभय पक्षों की बहस सुनने के पश्चात रामरेखा को सात वर्ष का कारावास, जितेन्द्र व राजमती को आजीवन सश्रम कारावास व अर्थदंड से दंडित किया है.
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