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'सौ काशी तो एक बांसी' के नाम से मशहुर बांसी नदी के दिन बहुरने की आस

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ऐतिहासिक बांसी नदी के दिन बहुरने की आस है. बुधवार को जनपद के सांसद ने जिलाधिकारी के साथ नदी का दौरा किया. इस दौरान जिलाधिकारी ने संबधित अधिकारीयों को जरूरी निर्देश दिए.

बांसी नदी के दिन बहुरने की लगी आस.
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Published : Nov 7, 2019, 7:04 PM IST

कुशीनगर: जनपद में एक किनारे से होकर संकट के दौर के बीच बहने वाली रामायण कालीन बांसी नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं. इसी नदी किनारे कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेले के बारे मे एक कहावत है कि 'सौ काशी तो एक बांसी' बिहार और यूपी की सीमा पर इस ऐतिहासिक मेले को लेकर बुधवार को क्षेत्रीय सांसद के साथ जिला प्रशासन ने दौरा किया.

बांसी नदी के दिन बहुरने की लगी आस.

बांसी नदी के दिन बहुरने की लगी आस

जिले के मुख्यालय पडरौना से आठ किमी. दूर बिहार सीमा पर स्थित बांसी नदी के घाट पर लगने वाले ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले की तैयारियाँ शुरू हो गयी हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जनकपुर से अयोध्या लौटने के दौरान की कहानी में भी इस स्थान का ज़िक्र आने से इस स्थान की महत्ता अधिक है. इसी कारण यहां कहा जाता है कि 'सौ काशी तो एक बांसी' मेले के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां नदी किनारे होता है. उस दिन भोर से ही लोग नदी में स्नान कर पुण्य का लाभ कमाते हैं, मेला स्थल के निकट से होकर बहने वाली नदी के बारे में प्रधान प्रतिनिधि विनय कन्नौजिया ने बताया कि नदी संकट के दौर से गुजर रही है. इसकी आवाज सांसद और मंत्री तक कई बार पहुंचाई गई, लेकिन कुछ भी आज तक नही हुआ. अव्यवस्था के कारण संकट के दौर से गुजर रही बांसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियाँ शुरु कर दी हैं. घाटों की साफ-सफाई के साथ ही नदी में जमे शिल्ट को निकालने का काम लगा दिया गया है. इसी क्रम में इस ऐतिहासिक स्थल पर बुधवार को क्षेत्रीय भाजपा सांसद विजय दूबे ने जिला प्रशासन के साथ मेला क्षेत्र का दौरा किया.

नदी में जलबहाव का संकट है, उसे दूर करने के लिए सम्बन्धित विभागों को लगाया गया है.
-डॉ.अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी

कुशीनगर: जनपद में एक किनारे से होकर संकट के दौर के बीच बहने वाली रामायण कालीन बांसी नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं. इसी नदी किनारे कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेले के बारे मे एक कहावत है कि 'सौ काशी तो एक बांसी' बिहार और यूपी की सीमा पर इस ऐतिहासिक मेले को लेकर बुधवार को क्षेत्रीय सांसद के साथ जिला प्रशासन ने दौरा किया.

बांसी नदी के दिन बहुरने की लगी आस.

बांसी नदी के दिन बहुरने की लगी आस

जिले के मुख्यालय पडरौना से आठ किमी. दूर बिहार सीमा पर स्थित बांसी नदी के घाट पर लगने वाले ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले की तैयारियाँ शुरू हो गयी हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जनकपुर से अयोध्या लौटने के दौरान की कहानी में भी इस स्थान का ज़िक्र आने से इस स्थान की महत्ता अधिक है. इसी कारण यहां कहा जाता है कि 'सौ काशी तो एक बांसी' मेले के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहां नदी किनारे होता है. उस दिन भोर से ही लोग नदी में स्नान कर पुण्य का लाभ कमाते हैं, मेला स्थल के निकट से होकर बहने वाली नदी के बारे में प्रधान प्रतिनिधि विनय कन्नौजिया ने बताया कि नदी संकट के दौर से गुजर रही है. इसकी आवाज सांसद और मंत्री तक कई बार पहुंचाई गई, लेकिन कुछ भी आज तक नही हुआ. अव्यवस्था के कारण संकट के दौर से गुजर रही बांसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियाँ शुरु कर दी हैं. घाटों की साफ-सफाई के साथ ही नदी में जमे शिल्ट को निकालने का काम लगा दिया गया है. इसी क्रम में इस ऐतिहासिक स्थल पर बुधवार को क्षेत्रीय भाजपा सांसद विजय दूबे ने जिला प्रशासन के साथ मेला क्षेत्र का दौरा किया.

नदी में जलबहाव का संकट है, उसे दूर करने के लिए सम्बन्धित विभागों को लगाया गया है.
-डॉ.अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी

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कुशीनगर में एक किनारे से होकर संकट के दौर के बीच बहने वाली रामायण कालीन बाँसी नदी के दिन अब बहुरने वाले हैं. इसी नदी किनारे कार्तिक पूर्णिमा को लगने वाले मेले के बारे मे एक कहावत है कि सौ काशी तो एक बाँसी, बिहार और यूपी की सीमा पर इस ऐतिहासिक मेले को लेकर आज क्षेत्रीय साँसद के साथ जिला प्रशासन ने दौरा किया.


Body:vo जिले के मुख्यालय पडरौना से आठ किमी. दूर बिहार सीमा पर स्थित बाँसी नदी के घाट पर लगने वाले ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा मेले की तैयारियाँ शुरु हो गयी हैं,

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जनकपुर से अयोध्या लौटने के दौरान की कहानी में भी इस स्थान का ज़िक्र आने से इस स्थान की महत्ता अधिक है. इसी कारण यहां कहा जाता है कि सौ काशी तो एक बाँसी

मेले के दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का जमावड़ा यहाँ नदी किनारे होता है, उस दिन भोर से ही लोग नदी में स्नान कर पुण्य का लाभ कमाते हैं

मेला स्थल के निकट से होकर बहने वाली नदी के बारे में प्रधान प्रतिनिधि विनय कन्नौजिया ने बताया कि नदी संकट के दौर से गुजर रही है. इसकी आवाज साँसद और मंत्री तक कई बार पहुंचाई गई लेकिन कुछ भी आज तक नही हुआ

बाइट - विनय कन्नौजिया, प्रधान प्रतिनिधि, बाँसी

इसी क्रम में इस ऐतिहासिक स्थल पर आज क्षेत्रीय भाजपा साँसद विजय दूबे ने जिला प्रशासन के साथ मेला क्षेत्र का दौरा किया, 11 तारीख को लगने वाले मेले की व्यवस्था के बारे में जिलाधिकारी डा. अनिल कुमार सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि नदी में जलबहाव का संकट है उसे दूर करने के लिए सम्बन्धित विभागों को लगाया गया है

बाइट - डा. अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी, कुशीनगर


Conclusion:vo अव्यवस्था के कारण संकट के दौर से गुजर रही बाँसी नदी को पुनर्जीवित करने के लिए जिला प्रशासन ने तैयारियाँ शुरु कर दी हैं. घाटों की साफ सफाई के साथ ही नदी में जमे शिल्ट को निकालने का काम लगा दिया गया है
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