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किसानों की सब्सिडी बनी मुसीबत, रकबा सुधार के लिए 40 किमी का चक्कर

पडरौना तहसील से ही खड्डा तहसील बनाई गई है. इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पाने के लिए इस क्षेत्र के बहुत से किसानों ने लाभ लेने के चक्कर में अपनी कम जमीनों के रकबे को ही अंकित कराया है. आज वही इनके लिए समस्या बन गयी है. आज खाद और बीज खरीदने के बाद रकबे के अनुसार ही सब्सिडी मिल रही है जबकि अपने खेतों के लिए खरीदे गए बीज और खाद के वे हकदार है.

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किसानों की सब्सिडी बनी मुसीबत, रकबा सुधार के लिए 40 किमी का चक्कर
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Published : Jan 26, 2022, 8:51 PM IST

कुशीनगर : सरकार में जिले की पड़रौना तहसील से अलग होकर खड्डा तहसील बना दी गई थी. हालांकि इससे भी उनकी समस्याओं का संपूर्ण समाधान नहीं हो सका है. इन दिनों कुछ किसानों को खेत के रकबे कम अंकित होने के कारण खरीदी गई अनाज के बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी से वंचित रहना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की आईडी खड्डा तहसील में न होने से इसमें सुधार के लिए तहसील क्षेत्र के किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि पडरौना तहसील से ही खड्डा तहसील बनाई गई है. इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पाने के लिए इस क्षेत्र के बहुत से किसानों ने लाभ लेने के चक्कर में अपनी कम जमीनों के रकबे को ही अंकित कराया है. आज वही इनके लिए समस्या बन गयी है. आज खाद और बीज खरीदने के बाद रकबे के अनुसार ही सब्सिडी मिल रही है जबकि अपने खेतों के लिए खरीदे गए बीज और खाद के वे हकदार है. उसे पाने के लिए जब किसान खड्डा कृषि विभाग के पास जाता है तो अधिकारी व कर्मचारी उन्हें पडरौना तहसील में भेजकर उनका रकबा दुरुस्त कराने की बात कहते हैं.

यह भी पढ़ें : कुशीनगर जिला कांग्रेस में भगदड़, RPN सिंह के समर्थन में विधानसभा प्रत्याशी समेत कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

तहसील से संबंधित कई कार्यों के समाधान के लिए किसानों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इससे पीड़ा के साथ पैसे का भी अपव्यय होता है. यदि तहसील की आईडी खड्डा तहसील में आ जाए तो इस क्षेत्र के किसानों की समस्या को कृषि विभाग द्वारा त्वरित रूप से निस्तारित कर दिया जाएगा. इससे किसानों का श्रम और धन दोनों के साथ समय की बर्बादी होने से बच जाएगी. इस संबंध में पूर्व ग्राम प्रधान विश्वनाथ यादव, अशोक साहनी, मुलायम साहनी, सुनील यादव सहित सैकड़ों किसानों ने तहसील की आईडी खड्डा तहसील पर ही मंगवाने की मांग की है.

इस मामले में कुशीनगर जिले के कृषि उप निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि तहसील में ID न होने की बात संज्ञान में नहीं थी. इस मामले को जल्द दिखवाया जाएगा. कहा कि कुछ किसान जानकारी की कमी से भी दौड़ते है जबकि उनकी अधिकांश समस्या का समाधान उनके इलाके के किसान सेवा केंद्र पर ही हो जाती हैं. किसान अपने डाक्यूमेंट सीड स्टोर के कंप्यूटर ऑपरेटर के जरिए सुधारवा सकते है. मुख्यालय स्थित डीडी ऑफिस सिर्फ उन्ही समस्या वाले किसानों को आना हैं जो अपात्र हो गए है या जो मृतक किसान के परिजन हैं.

कुशीनगर : सरकार में जिले की पड़रौना तहसील से अलग होकर खड्डा तहसील बना दी गई थी. हालांकि इससे भी उनकी समस्याओं का संपूर्ण समाधान नहीं हो सका है. इन दिनों कुछ किसानों को खेत के रकबे कम अंकित होने के कारण खरीदी गई अनाज के बीजों पर मिलने वाली सब्सिडी से वंचित रहना पड़ रहा है. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की आईडी खड्डा तहसील में न होने से इसमें सुधार के लिए तहसील क्षेत्र के किसानों को दर-दर भटकना पड़ रहा है.

गौरतलब है कि पडरौना तहसील से ही खड्डा तहसील बनाई गई है. इसके अंतर्गत प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि पाने के लिए इस क्षेत्र के बहुत से किसानों ने लाभ लेने के चक्कर में अपनी कम जमीनों के रकबे को ही अंकित कराया है. आज वही इनके लिए समस्या बन गयी है. आज खाद और बीज खरीदने के बाद रकबे के अनुसार ही सब्सिडी मिल रही है जबकि अपने खेतों के लिए खरीदे गए बीज और खाद के वे हकदार है. उसे पाने के लिए जब किसान खड्डा कृषि विभाग के पास जाता है तो अधिकारी व कर्मचारी उन्हें पडरौना तहसील में भेजकर उनका रकबा दुरुस्त कराने की बात कहते हैं.

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तहसील से संबंधित कई कार्यों के समाधान के लिए किसानों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. इससे पीड़ा के साथ पैसे का भी अपव्यय होता है. यदि तहसील की आईडी खड्डा तहसील में आ जाए तो इस क्षेत्र के किसानों की समस्या को कृषि विभाग द्वारा त्वरित रूप से निस्तारित कर दिया जाएगा. इससे किसानों का श्रम और धन दोनों के साथ समय की बर्बादी होने से बच जाएगी. इस संबंध में पूर्व ग्राम प्रधान विश्वनाथ यादव, अशोक साहनी, मुलायम साहनी, सुनील यादव सहित सैकड़ों किसानों ने तहसील की आईडी खड्डा तहसील पर ही मंगवाने की मांग की है.

इस मामले में कुशीनगर जिले के कृषि उप निदेशक आशीष कुमार ने बताया कि तहसील में ID न होने की बात संज्ञान में नहीं थी. इस मामले को जल्द दिखवाया जाएगा. कहा कि कुछ किसान जानकारी की कमी से भी दौड़ते है जबकि उनकी अधिकांश समस्या का समाधान उनके इलाके के किसान सेवा केंद्र पर ही हो जाती हैं. किसान अपने डाक्यूमेंट सीड स्टोर के कंप्यूटर ऑपरेटर के जरिए सुधारवा सकते है. मुख्यालय स्थित डीडी ऑफिस सिर्फ उन्ही समस्या वाले किसानों को आना हैं जो अपात्र हो गए है या जो मृतक किसान के परिजन हैं.

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